NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | दक्षिण भारत का इतिहास
1. निम्नलिखित में से कौन-सा एक तमिल देश के संगम युग का राजवंश नहीं था ?
(a) चेर
(b) चोल
(c) पल्लव
(d) पांड्य
उत्तर - (c)
व्याख्या- 'पल्लव' संगम युग का राजवंश नहीं था। संगम साहित्य में चेल, चोल और पाण्ड्य राज्यों का उल्लेख है और संगम युग में इन राज्यों का ही वर्णन मिलता है। पांड्य सुदूर दक्षिण में स्थित था। चोल कोरोमंडल पर शासन करते थे, जबकि चेर पांड्य क्षेत्र के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र पर शासन करते थे। चेरों के शासकीय क्षेत्र को केरल कहा जाता है।
2. अशोक के अभिलेखों में दक्षिण भारत के किस राजवंश का उल्लेख नहीं मिलता है ?
(a) चोल
(b) चेर
(c) पांड्य
(d) होयसल
उत्तर - (d)
व्याख्या- अशोक के अभिलेखों में दक्षिण भारत के होयसल वंश का उल्लेख नहीं मिलता है। इसके अभिलेखों में साम्राज्य की सीमा पर बसने वाले चोल, पांड्य, चेर (केरलपुत्र) तथा सतियपुत्रों का उल्लेख किया गया है, जिसमें केवल सतियपुत्रों की पहचान अब तक स्पष्ट रूप से नहीं हो पाई है।
होयसल राजवंश का संबंध मध्यकालीन भारत से है। होयसलों के राज्य का क्षेत्र वर्तमान के मैसूर में स्थित था। इस वंश ने 1006 से 1346 ई. तक शासन किया था।
3. महापाषाणकालीन कलश-शवाधान (अर्न बेरियल) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. वे मृतकों के अस्थिपंजर को काले कलश में डालकर दफनाते
2. कई मामलों में ये अस्थिपंजर पत्थरों से घिरे होते थे।
3. अर्न बेरियल गर्त शवाधान से भिन्न परिपाटी की थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 3
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- महापाषाणकालीन कलश-शवाधान (अर्न बेरियल) के संबंध में कथन (1) और (2) असत्य हैं, क्योंकि तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों में निवास करने वाले महापाषाणिक लोग मृतकों के अस्थिपंजर को लाल कलश में डालकर गड्ढों में दफनाते थे न कि काले कलश में। ये अस्थिपंजर पत्थरों से घिरे नहीं होते थे और इसमें दफन की वस्तुएँ भी अधिक नहीं होती थीं। कथन (3) सत्य है, क्योंकि अर्न बेरियल परिपाटी गर्त शवाधानों से भिन्न थी, जोकि गोदावरी - कृष्णा घाटी में प्रचलित थी।
4. उत्तर भारत के धार्मिक समूहों के संपर्क में आने से महापाषाणिक लोगों के जीवन में कौन-सा बदलाव आया?
(a) धान रोपनी की परिपाटी का प्रचलन
(b) लोहे के व्यापार का प्रचलन
(c) रहट द्वारा सिंचाई का प्रचलन
(d) खरीफ फसलों का प्रचलन
उत्तर - (a)
व्याख्या- उत्तर भारत के धार्मिक समूहों के संपर्क में आने से महापाषाणिक लोगों ने धान रोपनी की परिपाटी को अपनाया। प्रथम शताब्दी ई. में महापाषाणिकों ने पहाड़ों से मैदानों की ओर रुख किया और कछारी डेल्टाई क्षेत्रों को कृषि योग्य बनाया। बौद्ध, जैन, ब्राह्मण धर्मप्रचारक आदि के संपर्क में आने से महापाषाणिकों का उनकी भौतिक संस्कृति के साथ संपर्क हुआ। इसके फलस्वरूप उन्होंने अनेक गाँव और नगर बसाए तथा उनके बीच भी सामाजिक वर्ग बनने लगे।
5. सुदूर दक्षिण के प्रायद्वीपीय क्षेत्र को निम्नलिखित में से क्या कहकर संबोधित किया जाता था?
(a) तमिषकम
(b) संगम
(c) तमिलक्षेत्र
(d) प्रायद्वीपीय भूमि
उत्तर - (a)
व्याख्या- सुदूर दक्षिण के प्रायद्वीपीय क्षेत्र को 'तमिषकम या तमिलकम' कहकर पुकारा जाता था। यह क्षेत्र उत्तरी और सुदूर दक्षिणी लोगों के बीच संस्कृति और आर्थिक संबंध की स्थापना हेतु महत्त्वपूर्ण था।
6. पांड्य राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह प्रायद्वीप के सुदूर दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी भाग में अवस्थित था।
2. पाटलिपुत्र में रहने वाले मेगास्थनीज को पांड्य देश की जानकारी थी।
3. इसे मोतियों का देश कहा जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- पांड्य राज्य के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। पांड्य राज्य भारतीय प्रायद्वीप के सुदूर दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी भाग में था और उसमें तमिलनाडु के आधुनिक तिरुनेल्लवेली, रामनद और मदुरै जिले शामिल थे। उसकी राजधानी मदुरै थी।
मेगास्थनीज ने पांड्य राज्य के संबंध में सर्वप्रथम उल्लेख किया है अर्थात् उसे इस राज्य के बारे में जानकारी थी।
पाटलिपुत्र में निवास करने वाले मेगास्थनीज के अनुसार पांड्य राज्य 'मोतियों का देश' था। यह मोतियों के लिए प्रसिद्ध था।
7. चोल, चेर और पांड्य राज्यों के उदय में समकालीन किस साम्राज्य का योगदान था ?
(a) रोमन साम्राज्य का
(b) बिजेंटियन साम्राज्य का
(c) ईरानी साम्राज्य का
(d) तुर्की साम्राज्य का
उत्तर - (a)
व्याख्या- चोल, पांड्य और चेर इन तीनों राज्यों के उदय में रोमन साम्राज्य के साथ बढ़ते हुए व्यापार का महत्त्वपूर्ण योगदान था। ईसा की पहली सदी से ही ये तीनों राज्यों के शासक उस आयात-निर्यात व्यापार से लाभ उठाते रहे, जो एक ओर दक्षिण भारत के समुद्रतटवर्ती प्रदेश और दूसरी ओर रोमन साम्राज्य के पूर्वी उपनिवेशों के (विशेषत: मिस्र) बीच चल रहा था।
8. पांड्य राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इसके अंतर्गत तमिलनाडु के तिरुनेल्लवेली, रामनद और मदुरै जिले शामिल थे।
2. उसकी राजधानी तिरुनेल्लवेली में थी।
3. पांड्य राजाओं ने आगस्टस के दरबार में राजदूत भेजे थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- पांड्य राज्य के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर पर तीन आरंभिक राज्यों के उदय में एक महत्त्वपूर्ण राज्य पांड्य था। इस राज्य का उल्लेख सर्वप्रथम मेगास्थनीज ने किया है। इस राज्य में तमिलनाडु के आधुनिक तिरुनेल्लवेली, रामनद और मदुरै जिले शामिल थे।
पांड्य शासकों का रोमन साम्राज्य के साथ व्यापारिक संबंध था, जिसके फलस्वरूप उन्होंने रोमन सम्राट आगस्टस दरबार में अपना राजदूत भेजा था। कथन (2) असत्य है, क्योंकि पांड्य राज्य की राजधानी तिरुनेल्लवेली नहीं, बल्कि मदुरै थी।
9. चोल राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सत्य नहीं है ?
(a) चोल राज्य मध्य काल के आरंभ में कोरोमंडल कहलाता था।
(b) यह पेन्नार और वेलार नदियों के बीच स्थित था।
(c) उनकी राजनीतिक सत्ता का केंद्र उरैयूर था ।
(d) उरैयूर रेशम व्यापार के लिए प्रसिद्ध था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- चोल राज्य के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि चोल राज्य की राजनीतिक सत्ता का केंद्र उरैयूर सूती कपड़े के व्यापार हेतु प्रसिद्ध था, न कि रेशम के व्यापार हेतु। चोल राज्य संगमकालीन आरंभिक तीन राज्यों में से एक था, जो चोलमंडलम (कोरोमंडल) कहलाता था। यह पेन्नार तथा वेलार नदियों के बीच स्थित पांड्य राज्यक्षेत्र के पूर्वोत्तर कोण में था।
10. ईसा-पूर्व दूसरी सदी के मध्य में किस चोल राजा ने श्रीलंका पर विजय प्राप्त की थी ?
(a) एलारा
(b) शेनगुट्टवन
(c) राजेंद्र चोल
(d) राजा बल्लाल
उत्तर - (a)
व्याख्या- ईसा पूर्व दूसरी सदी के मध्य में एलारा नामक चोल राजा ने श्रीलंका पर विजय प्राप्त कर, वहाँ लगभग 50 वर्षों तक शासन किया था। एलारा पहला शक्तिशाली चोल शासक था, जिसने चेर तथा पांड्य शासकों को पराजित किया।
11. चोल शासक कारैकाल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने पुहार नामक नगर की स्थापना की थी।
2. उसने कृष्णा नदी के किनारे 160 किमी लंबा बाँध बनाया था।
3. पुहार की पहचान वर्तमान के कावेरीपट्टनम से की गई है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- चोल शासक कारैकाल के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं । चोलों का सुनिश्चित इतिहास काल उसके प्रसिद्ध शासक कारैकाल (करिकाल) के समय ईसा की दूसरी सदी से प्रारंभ होता है। कारैकाल सात स्वरों (संगीत) का ज्ञाता तथा वैदिक धर्म का अनुयायी था। उसने पुहार नामक नगर की स्थापना की थी। यह एक व्यापारिक केंद्र था।
पुहार को आधुनिक रूप से कावेरीपट्टनम के रूप में जाना जाता है। यह चोल शासकों की राजधानी थी । उत्खनन से यह पता चलता है कि पुहार का डॉक (गोदीबाड़ा) बहुत विशाल था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि कारैकाल ने कावेरी नदी के किनारे 160 किमी लंबा बाँध बनाया था न कि कृष्णा नदी के किनारे । इस बाँध का निर्माण श्रीलंका से बंदी बनाकर लाए गए 12,000 गुलामों के द्वारा कराया गया था।
12. चोलों के वैभव का मुख्य स्रोत निम्नलिखित में से कौन एक था ?
(a) सूती कपड़ों का व्यापार
(b) रेशमी कपड़ों का व्यापार
(c) मसालों का व्या
(d) युद्ध में जीते गए क्षेत्र
उत्तर - (a)
व्याख्या- चोलों के वैभव का मुख्य स्रोत सूती कपड़ों का व्यापार था। चोलों का राज्य मुख्यत: व्यापार और वाणिज्य हेतु प्रसिद्ध था। इनके राजधानी नगर के पास विशाल बंदरगाहों के होने से व्यापार में सरलता होती थी। संगमकालीन राज्यों में अन्यत्र ऐसे उदाहरण नहीं मिलते हैं।
13. चोल साम्राज्य के पतन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कारैकाल के उत्तराधिकारियों के समय चोल सत्ता का ह्रास हुआ।
2. ईसा की चौथी से नौवीं सदी तक के दक्षिण भारतीय इतिहास में चोलों की भूमिका नगण्य रही।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- चोल साम्राज्य के पतन के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं।
चोल शासक कारैकाल की सत्ता समाप्ति के पश्चात् उसके उत्तराधिक अत्यंत दुर्बल सिद्ध हुए और वह अपने राज्य के पतन को रोक न सके। उनकी दुर्बलता का लाभ उठाकर चेर, पांड्य और उत्तर के एक अन्य राज्य पल्लव ने उन पर आक्रमण कर वहाँ अपनी सत्ता स्थापित कर ली।
कारैकाल के पश्चात् दक्षिण भारत में ईसा की चौथी से नौवीं सदी तक भारतीय इतिहास में चोलों की भूमिका प्रभावहीन बनी रही, जिसने चोल सत्ता को पतन की ओर उन्मुख किया।
14. चेर राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह राज्य पांड्य क्षेत्र के पश्चिम और उत्तर में था।
2. उसमें आधुनिक केरल राज्य और तमिलनाडु का अंश था।
3. चेरों ने चोल नरेश कारैकाल के पिता का वध किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- चेर राज्य के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। पांड्य और चोल शासन की समाप्ति के पश्चात् दक्षिण भारत में एक नया राज्य चेर वंश स्थापित हुआ, जिसे अशोक के अभिलेखों में केरलपुत्र के नाम से भी संबोधित किया गया है। इनका राज्य पांड्य क्षेत्र के पश्चिम और उत्तर में विस्तृत था।
चेर राज्य समुद्र और पहाड़ों के बीच एक सँकरी-सी पट्टी में दृष्टिगोचर होता है, जिसमें आधुनिक केरल राज्य और तमिलनाडु का अंश विद्यमान था।
चेरों का इतिहास चोल और पांड्य शासकों के साथ युद्धरत् की स्थिति का बोध कराता है। इसी क्रम में चेर शासकों ने एक युद्ध में चोल राजा कारैकाल के पिता की हत्या कर दी थी। परिणामस्वरूप चेर शासकों को भी अपनी जान गँवानी पड़ी, जो इन राज्यों के मध्य युद्ध की भीषण अवस्था को चित्रित करता है।
15. चेर क्षेत्र के किस स्थान की पहचान मुजिरिस से की जाती है, जहाँ रोमनों ने अपने हित की रक्षा के लिए सेना की दो टुकड़ियाँ स्थापित की थीं?
(a) क्रांगनोर
(b) कडैसियर
(c) कंबन
(d) कावेरीपट्टनम
उत्तर - (a)
व्याख्या- चेर क्षेत्र के क्रांगनोर की पहचान मुजिरिस से की जाती है, जहाँ रोमनों ने अपने हित की रक्षा के लिए सेना की दो टुकड़ियाँ स्थापित की थीं। यहाँ पर रोमनों ने अपने राजा आगस्टस के एक भव्य मंदिर का भी निर्माण कराया था। संगमकाल में रोमन साम्राज्य के साथ चोल और पांड्य राज्यों का व्यापारिक संबंध स्थापित था।
16. चेर शासक सेंगुट्टुवन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उसे लाल चेर के नाम से जाना जाता था।
(b) उसने अपने भाई को राजसिंहासन पर बैठाया था।
(c) उसने यमुना को पार कर उत्तर में चढ़ाई की थी।
(d) ईसा की दूसरी सदी के बाद चेर शक्ति का ह्रास हो गया।
उत्तर - (c)
व्याख्या- चेर शासक सेंगुट्टुवन के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि चेर शासक सेंगुट्टुवन ने अपने साम्राज्य को आकार देने हेतु उत्तर में गंगा नदी को पार कर चढ़ाई की थी न कि यमुना नदी को। सेंगुट्टुवन चेर शासकों में सबसे महत्त्वपूर्ण शासक था, जिसके संबंध में चेर कवियों ने भी वर्णन किया है। इसे 'लाल चेर' या ‘भला चेर' भी कहा जाता है। चेर शासकों की शक्ति का ह्रास ईसा की दूसरी सदी के बाद हुआ तत्पश्चात् ईसा की आठवीं सदी तक उनके बारे में कोई ज्ञात जानकारी उपलब्ध नहीं होती।
17. सुदूर दक्षिण राज्यों के व्यापार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. वे गोल मिर्च उगाते थे, जिनकी पश्चिमी दुनिया में माँग थी।
2. वे हाथी दाँत का व्यापार करते थे।
3. उनका सूती कपड़ा साँप के केंचुल जैसा मोटा होता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- सुदूर दक्षिण राज्यों के व्यापार के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। सुदूर दक्षिण राज्य (चोल, पांड्य, चेर) परस्पर युद्ध में लगे रहने के कारण भी इनके व्यापार पर अधिक प्रभाव नहीं डाल सके। वे मसाले में विशेषकर गोल मिर्च उगाते थे, जिनकी पश्चिमी देशों में बहुत अधिक माँग थी।
संगमकालीन राज्य व्यापार की दृष्टि से काफी मूल्यवान समझे जाने वाले हाथियों के दाँत का भी व्यापार पश्चिमी देशों में करते थे। साथ ही मोती और रत्न का भी व्यापार पश्चिमी देशों में भारी मात्रा में होता था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि संगमकालीन दक्षिण राज्य मलमल और रेशम उत्पन्न करते थे और उससे तैयार सूती कपड़ा साँप के केंचुल की भाँति पतला प्रतीत होता था, न कि मोटा।
18. सुदूर दक्षिणी राज्यों का निम्नलिखित में से किसके साथ व्यापारिक संबंध स्थापित था?
(a) हेलेनिस्टिक राज्य
(b) अरब राज्य
(c) मलय द्वीप समूह
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- सुदूर दक्षिणी राज्यों के यूनानी या मिस्र के हेलेनिस्टिक राज्य, अरब राज्यों तथा मलय द्वीपसमूह के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित थे, जहाँ से वे चीन के साथ भी व्यापार करते थे।
19. निम्नलिखित में किस क्षेत्र के बारे में कहावत है कि "जितनी जमीन में एक हाथी लेट सकता है, उतनी जमीन सात आदमियों का पेट भर सकती है?"
(a) कावेरी डेल्टा क्षेत्र
(b) कृष्णा डेल्टा क्षेत्र
(c) गोदावरी डेल्टा क्षेत्र
(d) नर्मदा डेल्टा क्षेत्र
उत्तर - (a)
व्याख्या- कावेरी डेल्टा क्षेत्र के बारे में संगमकाल में यह कहावत प्रसिद्ध थी कि “जितनी जमीन में एक हाथी लेट सकता है, उतनी जमीन सात आदमियों का पेट भर सकती है।" यह क्षेत्र धान, रागी, ईख आदि की उपज हेतु प्रसिद्ध था। इन सभी के अतिरिक्त इन प्रदेशों में अनाज, फल, गोल मिर्च, हल्दी आदि की पैदावार भी होती थी।
20. दक्षिण भारत के सामाजिक वर्गों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. तमिल भूमि में ब्राह्मण संस्कृति का प्रभाव संगम काल में सामने आया।
2. चौथी शताब्दी ई. के बाद ब्राह्मणों को भूमि अनुदान का उल्लेख मिलता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दक्षिण भारत के सामाजिक वर्गों के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं। दक्षिण भारत में ब्राह्मण संस्कृति का प्रभाव ईसा की आरंभिक शताब्दियों में 'संगम काल' के दौरान बढ़ा। ब्राह्मणों को भूमि अनुदान देने का साक्ष्य चौथी शताब्दी ई. के पल्लव अभिलेखों से पहली बार मिलता है।
21. संगम साहित्य में 'तोलकाप्पियम' एक ग्रंथ है
(a) तमिल कविता का
(b) तमिल व्याकरण का
(c) तमिल वास्तुशास्त्र का
(d) तमिल राजशास्त्र का
उत्तर - (b)
व्याख्या- संगम साहित्य में 'तोलकाप्पियम' एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है। यह व्याकरण तथा अलंकार शास्त्र से संबद्ध रचना है। 'तोलकाप्प्यिम' की रचना तोलकापियार ने की, तोलकापियार एक तमिल वैयाकरण थे। द्वितीय संगम के दौरान तोलकापियार ने तोलकाप्पियम की रचना की। इस ग्रंथ में 8 प्रकार के विवाहों का उल्लेख मिलता है।
22. दक्षिण भारत के वह स्थानीय देवता कौन थे, जो आरंभिक मध्यकाल में सुब्रह्मण्यम कहलाने लगे?
(a) मारुत
(b) मुरूगन
(c) मेलकणक्कु
(d) मारवाह
उत्तर - (b)
व्याख्या- दक्षिण भारत के पहाड़ी प्रदेशों के लोगों के मुख्य देवता मुरूगन थे, जो आरंभिक मध्यकाल में 'सुब्रामनियम' या 'सुब्रह्मण्यम' कहलाने लगे। दक्षिण भारतीय इतिहास के तमिल प्रदेशों में ब्राह्मण संस्कृति के प्रारंभ होने के पश्चात् अन्य राजा वैदिक यज्ञ करने लगे। वेदानुयायी ब्राह्मण शास्त्रार्थ करने लगे।
23. संगम साहित्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. संगम, तमिल कवियों का सम्मेलन था।
2. यह राजा के आश्रय में आयोजित होता था।
3. मुजिरिस में संगम राजाश्रय में आयोजित होते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 2
उत्तर - (d)
व्याख्या- संगम साहित्य के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं । ऐतिहासिक काल के आरंभ में तमिल लोगों से संबंधित जानकारी का स्रोत संगम साहित्य है। संगम तमिल कवियों का संघ या सम्मेलन था। संगम का आयोजन राजा या किसी सामंत के आश्रय में किया जाता था। पाण्ड्य शासकों को इन संघों का संरक्षक माना जाता है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि संगम का आयोजन मुजिरिस में न होकर मदुरै में किया जाता था।
24. संगम समूहों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मेलकणक्कु एक आख्यानात्मक ग्रंथ था।
2. कोलकणक्कु एक उपदेशात्मक ग्रंथ था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- संगम समूहों के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं।
संगम समूह को मुख्य रूप से दो समूहों में बाँटा जाता है- पहला आख्यानात्मक और दूसरा उपदेशात्मक आख्यानात्मक ग्रंथ मेलकणक्कु अर्थात् अट्ठारह मुख्य ग्रंथों का समूह है, जिसमें आठ पद्य भाषा में हैं और दस ग्राम्य गीत के रूप में संकलित हैं। उपदेशात्मक ग्रंथ कोलकणक्कु अट्ठारह लघु ग्रंथों का समूह है।
25. दक्षिण भारत में प्रचलित कीलक (फन्नी), सपाट सेल्ट, शूलाग्र आदि क्या थे?
(a) लोहे के बने हथियार
(b) तमिल भाषा के ग्रंथ
(c) मुख्य व्यापारिक समूह
(d) राजा की उपाधि
उत्तर - (a)
व्याख्या- दक्षिण भारत में प्रचलित कीलक ( फन्नी), सपाट सेल्ट, शूलाग्र आदि लोहे से निर्मित हथियार थे, जिनका प्रयोग युद्ध और शिकार हेतु किया जाता था, इनका वर्णन संगम साहित्य में मिलता है।
26. संगम साहित्य के प्रचुर अंश ईसा सन् की आरंभिक सदियों में लिखे गए उनका अंतिम रूप से संकलन कब किया गया था ?
(a) 500 ई. के आस-पास
(b) 600 ई. के आस-पास
(c) 700 ई. के आस-पास
(d) 1000 ई. के आस-पास
उत्तर - (b)
व्याख्या- संगम के आयोजनों के पश्चात् रचित संगम साहित्य जो वर्तमान समय में उपलब्ध है, लगभग 300 ई. और 600 ई. के बीच संकलित किया गया था, परंतु इसके कुछ भाग अति प्राचीन हैं, जो ईसा पूर्व दूसरी सदी के प्रतीत होते हैं।
27. सातवीं सदी में उदित हुए दक्षिण भारत के राज्यों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. काँची में पल्लव राजवंश का उदय हुआ।
2. बादामी में पांड्य राजवंश अस्तित्व में आया।
3. मदुरै में चालुक्यों ने सत्ता संभाली।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- सातवीं सदी में उदित हुए दक्षिण भारत के राज्यों के संबंध में कथन (1) सत्य है। सातवीं सदी के आरंभ में उदित हुए राज्यों में काँची में पल्लव राज्य का शासन स्थापित हुआ था। इस राज्य के उदय के संबंध में अनुदान पत्रों में के द्वारा जानकारी प्राप्त होती है।
कथन (2) और (3) असत्य हैं, क्योंकि बादामी में चालुक्य वंश और मदुरै में पांड्य वंश का उदय हुआ था।
28. सातवीं सदी में दक्षिण भारत के राज्यों के संदर्भ में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) यहाँ ब्राह्मण धर्म का उत्कर्ष हुआ।
(b) विष्णु तथा शिव के पत्थर निर्मित मंदिरों का निर्माण आरंभ हुआ।
(c) यहाँ 'प्राकृत' राजभाषा थी।
(d) वाकाटकों का राज्य उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ में था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- सातवीं सदी में दक्षिण भारत के राज्यों के संदर्भ में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि सातवीं सदी में दक्षिण भारतीय राज्यों में संस्कृत राजभाषा थी, न कि प्राकृत । लगभग 400 ई. से ही प्राकृत के स्थान पर संस्कृत इस प्रायद्वीप (दक्षिण भारत) की राजभाषा हो गई थी और इस समय के अधिकांश शासन-पत्र ( सनद) संस्कृत भाषा में ही मिलते हैं।
29. चालुक्यों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. चालुक्य स्वयं को ब्रह्मा, मनु या चंद्र के वंशज मानते थे।
2. उनके पूर्वजों ने कन्नौज में राज किया था।
3. वे स्थानीय कन्नड़ जाति के थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- चालुक्यों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं।
चालुक्य वंश ने 757 ई. तक लगभग 200 वर्ष दक्कन और दक्षिण भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। चालुक्य शासक स्वयं को ब्रह्मा, मनु या चंद्र के वंशज मानते थे।
चालुक्य वंशीय शासकों के संबंध से यह प्रतीत होता है कि वे मुख्यतः कन्नड़ जाति के थे, किंतु ब्राह्मणों के द्वारा उन्हें क्षत्रियों के सदृश जातिगत विशेषताएँ प्राप्त हुई थी।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि चालुक्यों के पूर्वज कन्नौज में नहीं, बल्कि अयोध्या में राज करते थे।
30. दक्षिण भारत के किस राजवंश ने टोंडाईनाडु अर्थात् 'लताओं के देश' में अपनी सत्ता स्थापित की ?
(a) पल्लव
(b) राष्ट्रकूट
(c) चोल
(d) इक्ष्वाकु
उत्तर - (a)
व्याख्या- पल्लव शब्द का अर्थ- लता होता है, जो टोंडाई का रूपांतर है। पल्लव एक स्थानीय जनजाति थी, जिसने टोंडाईनाडु अर्थात् लताओं के देश में अपनी सत्ता को स्थापित किया था। इक्वाकु शासकों को अपदस्थ कर पल्लव राजवंश स्वयं सत्ता पर आरूढ़ हुआ।
31. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कदंब राज्य की स्थापना मयूरशर्मन ने की थी।
2. इस राज्य का विस्तार कर्नाटक और कोंकण तक था।
3. कदंब राज्य की राजधानी कोलार थी ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
पल्लवों के पश्चात् कदंब राज्य की स्थापना मयूरशर्मन ने अपने अपमान का बदला लेने हेतु की थी। पल्लवों का आरंभिक संघर्ष कदंबों के साथ ही हुआ था। कदंब वंश के राज्य का विस्तार चौथी सदी में उत्तरी कर्नाटक और कोंकण के क्षेत्र तक था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि कदंब राजाओं की राजधानी कर्नाटक के उत्तर केनरा जिले में वैजयंती या बनवासी थी, न कि कोलार ।
32. दक्षिण भारतीय राज्यों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. पल्लव, कदंब तथा चालुक्यों ने अश्वमेध और वाजपेय यज्ञ किए।
2. कलभ्रों को दुष्ट राजा कहा गया है।
3. कलभ्रों ने चोल, पांड्य और चेर राजाओं को बंदी बनाया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दक्षिण भारतीय राज्यों के संबंध में सभी कथन सत्य हैं ।
पल्लव, कदंब, बादामी के चालुक्य और उनके अन्य समकक्ष शासक वैदिक यज्ञ के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने अश्वमेध और वाजपेय यज्ञ भी किए थे, जिससे न केवल उनके शासन को वैधता और प्रतिष्ठा मिली, बल्कि पुरोहित वर्ग की आय में आशातीत वृद्धि हुई।
चोल, पांड्य और चेर शासन की समाप्ति के पश्चात् प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में सबसे महत्त्वपूर्ण घटना थी-छठी सदी में कलभ्रों के नेतृत्व में हुआ विद्रोह। कलभ्रों को दुष्ट राजा कहा गया है। इस विद्रोह को पांड्य, पल्लव और बादामी के चालुक्यों के संयुक्त प्रयास से ही दबाया जा सका।
कलभ्रों का आतंक इतना व्यापक था कि उन्होंने चोल, पांड्य और चेर राजाओं को बंदी बना उनकी सत्ता पर अधिकार स्थापित कर लिया था।
33. किस ग्रंथ में कहा गया है कि राजा वीरता के लिए योद्धाओं को गाँव देते थे ?
(a) वैदिक ग्रंथ
(b) तमिल ग्रंथ
(c) संगम ग्रंथ
(d) उपनिषद्
उत्तर - (c)
व्याख्या- संगम ग्रंथों में यह कहा गया है कि राजा वीरता के लिए योद्धाओं को गाँव देते थे। साथ ही इस काल में ब्राह्मणों को भी भूमि अनुदान में दी जाती थी। इन अनुदानों के फलस्वरूप पल्लवों के अधीन तीसरी सदी के अंत से दक्षिणी आंध्र प्रदेश और उत्तरी तमिलनाडु में कृषि विस्तार को संभवत: बढ़ावा मिला।
34. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. पुलकेशिन द्वितीय की जानकारी का स्रोत ऐहोल अभिलेख है।
2. रविकीर्ति उसका दरबारी कवि था।
3. उसने कदंबों की राजधानी बनवासी को अपने अधीन कर लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2.
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। पुलकेशिन द्वितीय चालुक्य वंश का प्रतापी शासक था। काँची में पल्लव-चालुक्य संघर्ष मुख्य रूप से प्रभुसत्ता को लेकर प्रारंभ हुआ था, जिसके केंद्र में बादामी का चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय था। इसके संबंध में जानकारी का स्रोत ऐहोल अभिलेख है।
रविकीर्ति, जोकि पुलकेशिन द्वितीय का दरबारी कवि था, ने अपने राजा की जीवनी का वर्णन एक प्रशस्ति (गुणवर्णन) के माध्यम से किया है, जो ऐहोल अभिलेख में उत्कीर्ण है।
ऐहोल अभिलेख से यह जानकारी प्राप्त होती है कि पुलकेशिन द्वितीय ने कदंबों की राजधानी बनवासी पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया था, साथ ही कर्नाटक के गंग शासकों को अपनी प्रभुता स्वीकार करने हेतु विवश किया और नर्मदा के किनारे हर्ष की सेना को पराजित कर उसकी दक्षिण विजय को रोक दिया था।
35. पल्लव राजा नरसिंहवर्मन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उसका शासन काल 630 से 668 ई. तक था।
(b) उसने वातापीकोंड की उपाधि धारण की थी।
(c) वह चालुक्यों से पराजित हो गया था।
(d) उसने चेरों, पांड्यों और कलभ्रों को पराजित किया था।
उत्तर - (c)
व्याख्या- पल्लव राजा नरसिंहवर्मन के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है। चालुक्य - पल्लव संघर्ष के दूसरे चरण में पल्लव राजा नरसिंहवर्मन ने पुलकेशिन द्वितीय के आक्रमण को विफल करते हुए उसे पराजित किया और चालुक्यों की राजधानी वातापी पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। संभवत: इसी आक्रमण के दौरान पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु भी हो गई थी ।
36. छठी से आठवीं सदी के मध्य दक्षिण भारत में धर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. शिव और विष्णु लोकप्रिय देवता बन गए ।
2. पल्लव राजाओं ने आराध्य देवताओं की प्रतिमाओं की स्थापना के लिए मंदिरों का निर्माण करवाया।
3. पुलकेशिन द्वितीय ने मामल्लपुरम की स्थापना की
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1
(b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 2
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं ।
छठी से आठवीं सदी के मध्य दक्षिण भारत में यज्ञानुष्ठानों के अतिरिक्त ब्रह्मा, विष्णु और शिव की पूजा लोकप्रिय हो गई, जिसमें शिव और विष्णु अति लोकप्रिय देवता बन गए।
पल्लव राजाओं ने सातवीं और आठवीं सदी में अपने पूजनीय और आराध्य देवताओं की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए बहुत सारे प्रस्तर (पत्थर) मंदिरों का निर्माण कराया।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि प्रसिद्ध बंदरगाह शहर मामल्लपुरम या महाबलिपुरम की स्थापना सातवीं सदी में पल्लव राजा नरसिंहवर्मन ने करायी थी, न कि पुलकेशिन द्वितीय ने।
37. दक्षिण भारत में कोटि का वह गाँव क्या कहलाता था, जहाँ व्यापारियों और वणिकों का मिला-जुला वास होता था ?
(a) उर
(b) सभा
(c) नगरम्
(d) अग्रहार
उत्तर - (c)
व्याख्या- दक्षिण भारतीय ग्रामीण विस्तार से संबंधित नगरम् कोटि का वह गाँव होता था, जहाँ व्यापारियों और वणिकों का मिला-जुला वास होता था और इस समस्त क्षेत्र पर इन्हीं का वर्चस्व रहता था। ऐसे गाँव का विकास संभवत: इसलिए हुआ, क्योंकि तत्कालीन समय में व्यापार में गिरावट आई थी और वणिक वर्ग गाँवों की ओर प्रवास कर रहे थे।
38. दक्षिण भारतीय सामाजिक ढाँचे के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. राजाओं और पुरोहितों के नीचे किसान आते थे।
2. वाकाटक, पल्लव शासकों ने धर्ममहाराज की उपाधि धारण की थी।
3. सिंहवर्मन ने कलियुग के दुर्गुणों से ग्रस्त धर्म का उद्धार किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दक्षिण भारतीय सामाजिक ढाँचे के संबंध में सभी कथन सत्य हैं ।
दक्षिण भारतीय समाज में राजा और पुरोहित सबसे ऊपरी क्रम में आसीन थे। इस काल में राजा ब्राह्मण या क्षत्रिय होने का दावा करते थे। राजाओं और पुरोहितों से नीचे किसानों का स्थान था, जो अनेकानेक कृषक जातियों में बँटे हुए थे।
राजा ने अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करने हेतु व्यवस्था का पालन करना इसी सुनिश्चित किया ताकि राजा और पुरोहितों का कल्याण संभव हो कारण वाकाटक, पल्लव, कदंब और पश्चिमी गंग राजाओं ने 'धर्ममहाराज' की उपाधि धारण की थी।
पल्लव राज्य के वास्तविक संस्थापक सिंहवर्मन के विषय में यह कहा गया है कि उन्होंने कलियुग के दुर्गुणों से ग्रस्त धर्म का उद्धार किया था। स्पष्टत: इसके द्वारा किए गए कलभ्रों के दमन के संबंध में यह बात कही गई थी।
चोल साम्राज्य (9वीं से 12वीं सदी तक)
1. चोल साम्राज्य के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) 9वीं सदी में चोल साम्राज्य की स्थापना विजयालय ने की थी।
(b) 850 ई. में विजयालय ने तंजौर पर अधिकार कर दिया था।
(c) विजयालय चालुक्यों का सामंत था ।
(d) चोलों ने एक शक्तिशाली नौसेना विकसित की थी।
उत्तर - (c)
व्याख्या- चोल साम्राज्य के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि चोल साम्राज्य का संस्थापक विजयालय आरंभ में पल्लवों का सामंत था न कि चालुक्यों का | चोल साम्राज्य की स्थापना नौवीं सदी में हुई और इसने दक्षिण भारतीय प्रायद्वीप के एक बहुत बड़े भाग पर अपना नियंत्रण स्थापित किया था। चोल शासक विजयालय ने 850 ई. में तंजौर को अपने अधिकार क्षेत्र में शामिल कर लिया था। चोल शासकों ने एक शक्तिशाली नौसेना का भी विकास किया था, जिसके बल पर उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के समुद्री व्यापार का मार्ग प्रशस्त किया और श्रीलंका तथा मालदीव को जीत लिया था।
2. कोवलन और माधवी की कन्या के साहसिक जीवन का विवरण मिलता है, किंतु यह महाकाव्य धार्मिक अधिक है, साहित्यिक कम। इस रचना के लेखक संगमकालीन शासक सेनगुट्टूवन के मित्र तथा समकालीन थे। यहाँ किस महाकाव्य का एक स्पष्ट विवरण प्रस्तुत किया गया है ?
(a) मणिमैकले
(b) तोलकाप्पियम
(c) सिलप्पदिकारम
(d) कडैसियर
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्रश्न में वर्णित विवरण मणिमैकले के विषय में प्रस्तुत किया गया है। 'मणिमैकले' संगम साहित्य की श्रेष्ठतम महाकाव्यात्मक रचना है। मणिमैकले में कोवलन और माधवी की कन्या का साहसिक विवरण है। इस महाकाव्य से छठी शताब्दी ई. के तमिल सभाज एवं आर्थिक जीवन का स्पष्ट आभास मिलता है। यह महाकाव्य धार्मिक अधिक है, साहित्यिक कम।
3. चोल राजा राजराज के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसका शासन काल 885 से 1014 ई. तक था ।
2. उसने त्रिवेंद्रम में चेरों की नौसेना को ध्वस्त कर दिया था।
3. उसने श्रीलंका के उत्तरी भाग को जीत लिया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) केवल 1
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- चोल राजा राजराज के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं।
चोल शासक राजराज सबसे समृद्ध शासक था। उसे अपने पिता के जीवनकाल में ही युवराज नियुक्त कर दिया गया था। सिंहासनारूद होने के पूर्व ही वह प्रशासन और युद्ध का काफी अनुभव प्राप्त कर चुका था। साथ ही उसने त्रिवेंद्रम के चेरों की नौसेना को भी ध्वस्त कर दिया था और कोईलोन पर भी आक्रमण किया था।
राजराज ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ होने वाले व्यापार पर नियंत्रण स्थापित करने के उद्देश्य से श्रीलंका पर चढ़ाई कर उसके उत्तरी हिस्से को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया था।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि राजराज का शासनकाल 985 ई. से 1014 ई. तक था।
4. राजेंद्र चोल के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है ?
(a) उसने तंजौर में राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया था।
(b) उसने श्रीलंका को 50 वर्षों तक चोल साम्राज्य में मिला कर रखा।
(c) उसने गंगईकोंड चोलपुरम की स्थापना की थी।
(d) उसने कलिंग के रास्ते बंगाल पर आक्रमण किया था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- राजेंद्र चोल के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि तंजौर के राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण 1010 ई. में अपने शासनकाल के दौरान राजराज ने कराया था न कि राजेंद्र चोल ने। राजराज का उत्तराधिकारी राजेंद्र चोल प्रथम हुआ, जिसने राजराज की विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ाया। राजेंद्र चोल ने समुद्रगुप्त के दक्षिण अभियान मार्ग का अनुसरण करते हुए गंगा पर विजय की नीति अपनाई और कावेरी नदी के मुहाने पर एक नए राजधानी शहर को बसाया, जिसे 'गंगईकोंड चोलपुरम्' का नाम दिया गया।
श्रीलंका की विजय को कायम रखते हुए उसने वहाँ के राजा और रानी के मुकुट तथा राज चिह्न पर अधिकार कर लिया तथा अगले 50 वर्षों तक श्रीलंका को चोल साम्राज्य के अधीन रखा।
5. चोल शासकों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उन्होंने पांड्य और चेरों को पराजित किया था।
2. चोलों ने शैलेंद्र शासकों पर सैन्य आक्रमण किया था।
3. शैलेंद्र शासक बौद्ध थे और चोलों के साथ उनके मधुर संबंध थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) 1 और 2
(c) केवल 2
(d) 1 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- चोल शासकों के संबंध में सभी कथन सत्य हैं।
राजराज की विस्तारवादी नीति का अनुसरण करते हुए राजेंद्र चोल ने पांड्य और चेर देशों को पूर्णतः पराभूत कर अपने साम्राज्य के अधीन कर लिया।
राजेंद्र प्रथम ( चोल शासक) ने अपनी नौसेना शक्ति से श्री विजय साम्राज्य राजवंश का शासन था।
पर आक्रमण किया, उस समय वहाँ शैलेंद्र शैलेंद्र शासक बौद्ध थे और उनके संबंध चोलों के साथ मधुर थे। जिसकी जानकारी हमें नागपट्टम में शैलेंद्र शासकों द्वारा बनवाए गए बौद्ध विहार से मिलती है। इस विहार का खर्च चलाने के लिए राजेंद्र चोल ने शैलेंद्र शासकों के अनुरोध पर एक गाँव भी दान में दिया था।
6. चोल काल में व्यापार के लिए लाई गई सभी वस्तुओं के लिए चीनी लोग किस शब्द का प्रयोग करते थे ?
(a) चुंगी
(b) नजराना
(c) स्वर्णभूमि
(d) आयातित वस्तु
उत्तर - (b)
व्याख्या- चोल काल में व्यापार के लिए लाई गई सभी वस्तुओं के लिए चीनी लोग 'नजराना' शब्द का प्रयोग करते थे। चोल शासकों ने अपने शासनकाल के दौरान काँच के बर्तन, कपूर, कमख्वाब, गैंडे के सींग, हाथी के दाँत आदि चीन भेजे थे, जिसके बदले में 'ताँबे के सिक्कों की 81,800 मालाएँ' चीन द्वारा नजराना के रूप में दी गई थी। यह उस समय की एक कूटनीतिक व्यापारिक गतिविधि को दर्शाता है।
7. चोल प्रशासन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. चोल प्रशासन मंडलम्, वलनाडु और नाडुओं में विभाजित था
2. अधिकारियों को सामान्यतः राजस्वदायी भूमिदान द्वारा भुगतान किया जाता था।
3. चोलकाल में उर और महासभा 'ग्राम प्रशासन की इकाई थी ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1, 2 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 1
उत्तर - (b)
व्याख्या- चोल प्रशासन के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। चोल साम्राज्य मंडलों या प्रांतों में विभाजित था और मंडलम्, वलनाडुओं और नाडुओं में बाँटे गए थे। चोलकालीन प्रशासन में कभी-कभी राजपरिवार के सदस्य प्रांतीय शासक नियुक्त किए जाते थे। अधिकारियों को सामान्यतः राजस्व प्राप्त होने वाली भूमि के रूप में वेतन दिया जाता था।
चोलकालीन अभिलेखों की अधिकता के कारण इस साम्राज्य के ग्राम प्रशासन की अधिक जानकारी होती है। इन अभिलेखों में दो माओं का उल्लेख मिलता है - उर और सभा या महासभा । 'उर', गाँवों की आम सभा थी, जबकि 'महासभा' अग्रहार कहे जाने वाले ब्राह्मण गाँवों के वयस्क सदस्यों की सभा थी।
8. मंदिर निर्माण में मंदिर की चारदीवारियों में जगह-जगह ऊँचे सिंहद्वार बने होते थे, उन्हें क्या कहा जाता था ?
(a) पंचायत
(b) गोपुरम
(c) क्षत्रप
(d) मेहराब
उत्तर - (b)
व्याख्या- चोलकालीन मंदिर निर्माण में मंदिर की चारदीवारियों में जगह-जगह ऊँचे सिंहद्वार बने होते थे, जिन्हें गोपुरम् कहा जाता था। कालांतर में विमानों और आँगनों के साथ-साथ मंदिर निर्माण में गोपुरम को भी अधिकाधिक अलंकृत किया जाने लगा। मंदिर निर्माण से संबंधित महत्त्वपूर्ण शब्दावलियों में विमानशैली, मंडपम्, गोपुरम आदि दक्षिण भारत की महत्त्वपूर्ण विशेषता थी, जो द्रविड़ शैली की परिचायक है।
9. चोलकालीन, धार्मिक परंपराओं के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) अलवार संत विष्णु के भक्त थे ।
(b) नयनार संत ब्रह्मा के उपासक थे।
(c) सामान्य लोगों के लिए मंदिर सांस्कृतिक जीवन का केंद्र था।
(d) राजा और रानी की प्रतिमाएँ भी प्रतिष्ठित करने का चलन था।
उत्तर - (b)
व्याख्या- चोलकालीन, धार्मिक परंपराओं के संबंध में कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि नयनार संत शिव के उपासक थे न कि ब्रह्मा के। अलवार और नयनार संतों ने तमिल तथा संबंधित क्षेत्र की अन्यान्य भाषाओं में गीतों और भजनों की रचना की थी। अलवार संत विष्णु के उपासक थे। अन्य सभी कथन सही हैं ।
10. चोलकालीन किस रचना को 'पाँचवें वेद' की संज्ञा दी गई है?
(a) तमिल रामायण
(b) तिरुमुरई
(c) कन्नड़ काव्य
(d) तिक्कन्ना
उत्तर - (b)
व्याख्या- चोलकालीन रचना 'तिरुमुरई' को 'पाँचवें वेद' की संज्ञा दी गई है। तिरुमुरई को बारहवीं सदी के आरंभ में संकलित किया गया था। यह अलवार तथा नयनार संतों द्वारा रचित एक पवित्र ग्रंथ की श्रेणी में सूचीबद्ध किया जाता है।
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