NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | गुप्त काल

गुप्त काल

NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | गुप्त काल

NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | गुप्त काल

गुप्त वंश का उद्भव एवं विकास

1. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) गुप्त मूलतः वैश्य थे।
(b) गुप्त साम्राज्य मौर्य साम्राज्य जितना विस्तृत था।
(c) ईसा की तीसरी सदी के अंत में इनका आरंभिक राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार था।
(d) गुप्तों ने 120 वर्ष तक भारत को राजनीतिक एकता के सूत्र में बाँधे रखा।
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (b) सत्य नहीं है, क्योंकि गुप्त साम्राज्य मौर्य साम्राज्य जितना विस्तृत नहीं था, किंतु इसने संपूर्ण उत्तर भारत को 335 ई. से 445 ई. तक लगभग एक सदी से ऊपर राजनीतिक एक के में बाँधे सूत्र रखा। ईसा की तीसरी सदी के अंत में गुप्त वंश का विस्तार उत्तर प्रदेश और बिहार में था।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. गुप्त काल में उत्तर प्रदेश अधिक महत्त्व वाला क्षेत्र था।
2. गुप्त वंश के शासक सातवाहनों के सामंत थे।
3. बिहार और उत्तर प्रदेश में अनेक स्थानों से कुषाण पुरावशेषों के ठीक बाद गुप्त पुरावशेष मिले हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं। संभवत: यह प्रतीत होता है कि गुप्त शासक बिहार की अपेक्षा उत्तर प्रदेश को अधिक महत्त्व देते थे, क्योंकि आरंभिक गुप्त मुद्राएँ और अभिलेख मुख्यत: उत्तर प्रदेश में ही पाए गए हैं। गुप्त शासकों की सत्ता का केंद्र प्रयाग था, जहाँ से इन्होंने अपने साम्राज्य का निरंतर विस्तार किया। अतएव उत्तर प्रदेश ही वह स्थान प्रतीत होता है, जहाँ से गुप्त शासकों ने अपने शासन को सुचारू रूप से संचालित किया।
बिहार और उत्तर प्रदेश के अनेक स्थानों से मिले गुप्तकालीन पुरावशेषों के साक्ष्य जिसमें जीन, लगाम, बटन वाले कोट, पतलून और जूते आदि सम्मिलित थे, जिनका पूर्व में कुषाणों द्वारा प्रयोग किया गया था, के आधार पर यह कहा जा सकता है कि कुषाण पुरावशेषों के ठीक बाद गुप्तकालीन पुरावशेषों का मिलना एक संयोग मात्र नहीं था, बल्कि कुषाणों से गुप्तों ने बहुत गतिविधियाँ सीखी थीं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि गुप्त वंश के शासक सातवाहनों के नहीं, बल्कि कुषाणों के सामंत थे।
3. निम्नलिखित में से किस एक का प्रयोग करना गुप्त शासकों ने कुषाणों से नहीं सीखा था ? 
(a) जीन का प्रयोग
(b) लगाम का प्रयोग
(c) जूतों का प्रयोग
(d) युद्ध में घोड़ों का प्रयोग
उत्तर - (d)
व्याख्या- युद्ध में घोड़ों का प्रयोग करना गुप्त शासकों ने कुषाणों से नहीं सीखा था। इसका प्रमाण गुप्त काल के सिक्कों पर मिलता है ।
गुप्त काल के सिक्कों पर मुख्यतः घुड़सवार अंकित हैं। कुछ गुप्त राजाओं को उत्तम और अद्वितीय महारथी (रथ पर लड़ने वाले) कहा गया है, लेकिन उनकी मूल शक्ति का आधार घोड़ों का प्रयोग था।
4. गुप्त वंश के उद्भव और विकास के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इनके राज्य में मध्य भारत की उर्वर भूमि के कारण उपज अच्छी होती थी।
2. दक्षिणी - बिहार से प्राप्त लोहे के उपयोग से उन्नत तकनीक के औजार और हथियारों के निर्माण को बल मिला।
3. रोमन साम्राज्य से व्यापार में वृद्धि हुई थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- गुप्त वंश के उद्भव और विकास के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। गुप्त काल में मध्य भारत की उर्वर भूमि के कारण उपज अच्छी होती थी, जिसमें बिहार और उत्तर प्रदेश आते हैं। इस काल में कृषि लोगों का मुख्य व्यवसाय था। इस काल में कृषि अधिकांशतः वर्षा पर निर्भर थी।
गुप्त काल में दक्षिणी- बिहार से प्राप्त लोहे के उपयोग से उन्नत तकनीक के औजार और हथियारों के निर्माण को बल मिला। इसके कारण वे इस क्षेत्र में लगभग एक सदी तक शासन करते रहे।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि इस काल में भारत तथा पाश्चात्य विश्व (रोमन साम्राज्य) के बीच व्यापारिक संबंधों में गिरावट देखी गई, जिसके प्रमाण हमें कुमारगुप्त प्रथम कालीन मंदसौर अभिलेख में मिलते हैं।

प्रमुख शासक

1. गुप्त वंश के पहले प्रसिद्ध शासक चंद्रगुप्त प्रथम के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसने लिच्छवि राजकुमारी से विवाह किया था, जो संभवतः नेपाल की थी।
2. उसने क्षत्रिय कुल में विवाह कर अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई |
3. चंद्रगुप्त ने महाबलशाली की उपाधि धारण की थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- चंद्रगुप्त प्रथम के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। प्रथम गुप्त शासक चंद्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवि राजकुमारी से विवाह किया, जो संभवत: नेपाल की थी। इससे उसकी सत्ता को बल मिला था। गुप्त लोग संभवतः वैश्य थे, इसलिए क्षत्रिय कुल में विवाह करने से उनकी प्रतिष्ठा बढ़ी थी। कथन (3) असत्य है, क्योंकि चंद्रगुप्त प्रथम ने 'महाराजाधिराज' की उपाधि ग्रहण की थी।
2. चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त संवत् की शुरुआत कब की थी ?
(a) 319-20 ई. में
(b) 320-21 ई. में
(c) 322-23 ई. में
(d) 318-19 ई. में
उत्तर - (a)
व्याख्या- चंद्रगुप्त प्रथम ने 319-20 ई. में अपने राज्यारोहण के स्मारक के रूप में गुप्त संवत् चलाया। यह संवत् गुप्त सम्राटों के काल तक ही प्रचलन में रहा। कई गुप्त सम्राटों के अभिलेखों में काल-निर्देश इसी संवत् के अनुसार मिलते हैं।
3. गुप्त वंश के किस शासक को उसके साहसिक अभियानों के लिए भारत का नेपोलियन कहा जाता है ?
(a) चंद्रगुप्त मौर्य 
(b) चंद्रगुप्त द्वितीय
(c) अशोक
(d) समुद्रगुप्त
उत्तर - (d)
व्याख्या- समुद्रगुप्त को उसके साहसिक अभियानों के लिए 'भारत का नेपोलियन' कहा जाता है। इसने गुप्त साम्राज्य का अभूतपूर्व विस्तार किया। इलाहाबाद प्रशस्ति अभिलेख से समुद्रगुप्त की विजयों के बारे में विस्तृत विवरण प्राप्त होता है और उसमें यह बताया गया है कि उसने कभी भी पराजय का सामना नहीं किया।
4. समुद्रगुप्त के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसका शासनकाल 335-380 ई. के बीच था।
2. वह अशोक के समान शांति और अनाक्रमण का पालन करता था।
3. हरिषेण उसका दरबारी कवि था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3 
(d) 1 और 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- समुद्रगुप्त के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। समुद्रगुप्त का शासनकाल 335-380 ई. के बीच था। उसने उत्तर भारत के नौ शासकों तथा दक्षिणापथ के बारह शासकों को पराजित कर अपना साम्राज्य स्थापित किया था।
हरिषेण समुद्रगुप्त का दरबारी कवि था। उसने समुद्रगुप्त के पराक्रम का उदात्त वर्णन किया है। एक लंबे अभिलेख में कवि ने गिनाया है कि समुद्रगुप्त ने किन-किन लोगों और किन देशों पर विजय प्राप्त की है।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि समुद्रगुप्त अशोक के विपरीत था। अशोक शांति और अनाक्रमण की नीति में विश्वास करता था, समुद्रगुप्त हिंसा और विजय में आनंद पाता था।
5. समुद्रगुप्त द्वारा विजित स्थान और क्षेत्रों को पाँच समूहों में बाँटा जाता है। पाँचवें समूह में कौन-कौन राज्य शामिल थे?
(a) चेर और चोल 
(b) शक और कुषाण
(c) पह्नव और सीथियन 
(d) नेपाल और पंजाब
उत्तर - (b)
व्याख्या- समुद्रगुप्त द्वारा विजित पाँचवें समूह में शक और कुषाण राज्य शामिल थे। समुद्रगुप्त द्वारा विजित प्रथम समूह में गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र के शासक सम्मिलित थे। द्वितीय समूह में नेपाल, असम, बंगाल आदि के राजा सम्मिलित थे, जो पूर्वी हिमालय के राज्यों तथा सीमावर्ती राज्यों में शासन करते थे। तृतीय समूह में आटविक राज्य जो विंध्य क्षेत्र में पड़ते थे, शामिल थे। चतुर्थ समूह में पूर्वी दक्कन और दक्षिण भारत के 12 शासक सम्मिलित थे।
6. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. श्रीलंका के राजा मेघवर्मन ने समुद्रगुप्त के पास दूत भेजा था।
2. समुद्रगुप्त को कभी पराजय का सामना नहीं करना पड़ा।
3. समुद्रगुप्त का अभिलेख अयोध्या से प्राप्त हुआ है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। एक चीनी स्रोत के अनुसार श्रीलंका के राजा मेघवर्मन ने गया में बुद्ध का मंदिर बनवाने की अनुमति प्राप्त करने के लिए समुद्रगुप्त के पास दूत भेजा था। अनुमति प्राप्त होने पर यह मंदिर विशाल बौद्ध विहार के रूप में विकसित हो गया। इलाहाबाद की प्रशस्ति के अनुसार समुद्रगुप्त को कभी भी पराजय का सामना नहीं करना पड़ा।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि समुद्रगुप्त का अभिलेख इलाहाबाद उसी स्तंभ पर खुदा है, जिस पर शांतिकामी अशोक का अभिलेख है।
7. समुद्रगुप्त के शासनकाल में जंगली क्षेत्रों में स्थित राज्यों को क्या कहा जाता था?
(a) आंतरिक राज्य 
(b) आदिवासी राज्य
(c) आटविक राज्य
(d) सीमावर्ती राज्य
उत्तर - (c)
व्याख्या- समुद्रगुप्त के शासनकाल में जंगली क्षेत्रों में स्थित राज्यों को 'आटविक राज्य' कहा जाता था, राज्य विंध्य क्षेत्र में अवस्थित थे। समुद्रगुप्त ने इन सभी को अपने राज्य में सम्मिलित कर लिया था। 
8. चंद्रगुप्त द्वितीय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. उसने पश्चिमी समुद्रतट ( प्रमुख व्यापारिक केंद्र) पर कब्जा कर लिया।
2. उसने उज्जैन को द्वितीय राजधानी बनाया था।
3. उसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- चंद्रगुप्त द्वितीय के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। चंद्रगुप्त द्वितीय ने पश्चिमी मालवा और गुजरात पर प्रभुत्व स्थापित कर शक क्षत्रपों के शासन को समाप्त कर दिया। इस विजय के पश्चात् व्यापार वाणिज्य हेतु प्रसिद्ध पश्चिमी समुद्र तट चंद्रगुप्त द्वितीय को प्राप्त हुआ।
चंद्रगुप्त द्वितीय की विजयों के फलस्वरूप मालवा व उज्जैन व्यापारिक नगरों के रूप में प्रसिद्ध हुए और उज्जैन को द्वितीय राजधानी का दर्जा दिया गया। चंद्रगुप्त द्वितीय ने 'विक्रमादित्य' की उपाधि धारण की थी। इसके अतिरिक्त साँची अभिलेख में उसे 'देवराज' और 'प्रवरसेन' कहा गया है ।
9. निम्नलिखित में किस स्रोत से ये जानकारी मिलती है कि चंद्रगुप्त द्वितीय ने गुप्त साम्राज्य का प्रभुत्व पश्चिमोत्तर भारत और बंगाल तक स्थापित किया था?
(a) दिल्ली स्थित लौह स्तंभ अभिलेख
(b) प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख
(c) हाथीगुम्फा अभिलेख
(d) लौरिया नंदनगढ़ अभिलेख
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिल्ली में कुतुबमीनार के समीप स्थित लौह स्तंभ पर खुदे अभिलेख से यह जानकारी मिलती है कि चंद्रगुप्त द्वितीय ने गुप्त साम्राज्य का प्रभुत्व पश्चिमोत्तर भारत और बंगाल तक स्थापित किया था। इस अभिलेख में चंद्र नामक व्यक्ति की चर्चा की गई है, जिसे संभवतः चंद्रगुप्त द्वितीय माना गया है।
10. चंद्रगुप्त द्वितीय के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है ?
(a) 'चंद्र' नामक राजा की पहचान चंद्रगुप्त द्वितीय से की जाती है।
(b) उसके दरबार में अमरसिंह नामक रत्न रहता था।
(c) उसके समय में चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया था।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं 
उत्तर - (c)
व्याख्या- चंद्रगुप्त द्वितीय के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि चंद्रगुप्त द्वितीय के काल में चीनी यात्री ह्वेनसांग नहीं, बल्कि फाह्यान भारत की यात्रा पर आया था। उसने तत्कालीन समाज के विषय में विस्तृत विवरण दिया है।
11. 'मेघदूत' के रचयिता कालिदास चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में रहते थे। यह दरबार कहाँ लगता था ?
(a) उज्जैन 
(b) मालवा
(c) इलाहाबाद
(d) मेहरौली
उत्तर - (a)
व्याख्या- 'मेघदूत' के रचयिता कालिदास चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में रहते थे। यह दरबार उज्जैन में लगता था। चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में नौ विद्वानों की एक मंडली निवास करती थी, जिसे 'नवरत्न' कहा जाता था। इनमें कालिदास, धनवंतरि क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, बेताल भट्ट, घटकर्पर, वराहमिहिर, वररुचि जैसे विद्वान् थे। "

गुप्तकालीन प्रशासन

1. गुप्त वंश के शासकों ने निम्नलिखित में कौन-सी आडंबरपूर्ण उपाधि धारण नहीं की थी ?
(a) परमेश्वर
(b) महाराजाधिराज
(c) परमभट्टारक
(d) देवानाम प्रियदर्शी
उत्तर - (d)
व्याख्या- गुप्त वंश के शासकों ने 'देवानाम प्रियदर्शी' नामक आडंबरपूर्ण उपाधि धारण नहीं की थी। देवानाम प्रियदर्शी उपाधि मौर्य काल में अशोक द्वारा धारण की गई थी। गुप्त राजाओं ने परमेश्वर महाराजाधिराज, परमभट्टारक आदि उपाधियाँ धारण की थीं।
2. गुप्तकालीन प्रशासन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. राजा का पद वंशगत था।
2. राजसत्ता ज्येष्ठाधिकार की अटल प्रथा के अभाव में सीमित थी।
3. राजगद्दी हमेशा ज्येष्ठ पुत्र को मिलती थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तकालीन प्रशासन के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। गुप्त काल में राजपद वंशगत था अर्थात् राजा का पद पुत्र को ही मिलता था, परंतु यह आवश्यक नहीं था कि वह पद ज्येष्ठ पुत्र को ही दिया जाएगा अर्थात् राजसत्ता ज्येष्ठाधिकार की अटल प्रथा के अभाव में सीमित थी।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि गुप्त काल में राजगद्दी हमेशा ज्येष्ठ पुत्र को ही नहीं मिलती थी। इससे अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी, जिसका लाभ सामंत और उच्चाधिकारी उठा सकते थे।
3. गुप्त प्रशासन के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) गुप्तों की सेना में 3 लाख पैदल सैनिक थे।
(b) राजा स्थायी सेना रखता था।
(c) अश्वचालित रथ अप्रासंगिक हो चुके थे।
(d) घुड़सवारों की महत्ता सैन्य प्रशासन में बढ़ गई थी।
उत्तर - (a)
व्याख्या- गुप्त प्रशासन के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि गुप्त सेना की संख्या ज्ञात नहीं है, परंतु सेना के चार प्रमुख अंग थे- पदाति, रथारोही, अश्वारोही तथा गजसेना। पदाति सेना की छोटी टुकड़ी को 'चथूय', गज सेना के नायक को 'कटुक' तथा अश्वारोही सेना के प्रमुख को 'अटाश्वपति' कहा जाता था, साधारण सैनिक को 'चाट' कहा जाता था।
4. गुप्तकालीन राजस्व प्रशासन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. राज्य द्वारा उपज के चौथे भाग से लेकर छठे भाग तक कर के रूप में लिया जाता था।
2. राजकीय सेना के अभियान का खर्च राजकीय कोष से होता था।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- गुप्तकालीन राजस्व प्रशासन के संबंध में कथन (1) सत्य है। गुप्तकाल में राज्य द्वारा उपज के चौथे भाग से लेकर छठे भाग तक कर के रूप में में लिया जाता था। इन करों में भाग, भोग, उद्रंग, उपरिकर, मूलावात, प्रत्पाप तथा शुल्क को शामिल किया जाता था। करों की अदायगी हिरण्य (नकद) तथा मेय (अन्न) के रूप में की जाती थी।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि गुप्त काल में जब भी राजकीय सेना गाँवों से गुजरती थी तो उसके समस्त खर्च स्थानीय प्रजा द्वारा वहन किए जाते थे। ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने वाले राजकीय अधिकारी अपने निर्वाह के लिए किसानों से पशु, अन्न, खाट आदि वस्तुएँ लेते थे।
5. गुप्त काल में मध्य और पश्चिम भारत में ग्रामवासियों से सरकारी सेना और अधिकारियों की सेवा के लिए बेगार (विष्टि) कराया जाता था। यह क्या था?
(a) एक प्रकार का निःशुल्क श्रम
(b) एक प्रकार का कर
(c) एक प्रकार की सैनिक सेवा
(d) एक प्रकार का राजकीय सम्मान
उत्तर - (a)
व्याख्या- गुप्त काल में मध्य और पश्चिम भारत में ग्रामवासियों से सरकारी सेना और अधिकारियों की सेवा के लिए बेगार कराया जाता था, . बेगार का अर्थ 'निःशुल्क श्रम है। तत्कालीन समाज में यह विष्टि के रूप में जाना जाता था।
6. गुप्तकालीन किस स्रोत से यह जानकारी प्राप्त होती है कि शिल्पी, वणिक और लिपिक एक ही संस्था में कार्य करते थे?
(a) प्रयाग प्रशस्ति से
(b) वैशाली से प्राप्त सीलों से
(c) मेहरौली लौह स्तंभ
(d) मेघदूतम् कृति से
उत्तर - (b)
व्याख्या- गुप्त काल में वैशाली से प्राप्त सीलों से ज्ञात होता है कि शिल्पी, वणिक और लिपिक एक ही संस्था में कार्य करते थे और इस प्रकार वे स्पष्टतः नगर के कार्यों का संचालन करते थे। उत्तरी बंगाल ( बांग्लादेश) के कोटिवर्ष विषय की प्रशासनिक परिषद् में मुख्य वणिक, मुख्य व्यापारिक और मुख्य शिल्पी शामिल थे। भूमि के अनुदान या खरीद बिक्री में उनकी सम्मति आवश्यक समझी जाती थी।
7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. गुप्त सम्राट स्वयं के लिए दैवीय अधिकारों का दावा करते थे।
2. उनका प्रशासन नितांत केंद्रीयकृत था।
3. इन्होंने भूमिदान की परंपरा को विस्तारित किया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1, 2 और 3 
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं ।
गुप्त शासकों ने स्वयं के दैवीय अधिकारों की पुष्टि के लए 'परमभागवत', ‘परमभट्टारक' इत्यादि उपाधियाँ ग्रहण कीं। गुप्त शासकों ने भूमिदान की परंपरा का विस्तार किया, पुरोहितों तथा प्रशासकों को भूमिदान दिया जाने लगा।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि गुप्त काल में राज्य कई भुक्तियों अर्थात् प्रांतों में विभाजित था और प्रत्येक भुक्ति एक-एक उपरिक के प्रभार में रहती थी। भुक्तियाँ कई विषयों अर्थात् जिलों में विभाजित थीं। प्रत्येक विषय का प्रभारी 'विषयपति' होता था।

गुप्तकालीन अर्थव्यवस्था

1. गुप्तकालीन आर्थिक जीवन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. आर्थिक जीवन की जानकारी फाह्यान के यात्रा वृत्तांत से मिलती है।
2. जैन धर्म को धनी वर्ग का समर्थन प्राप्त था।
3. मगध नगरों और धनवानों से भरा हुआ क्षेत्र था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3 
(b) 1 और 2
(c) केवल 1
(d) केवल 2
उत्तर - (a)
व्याख्या- गुप्तकालीन आर्थिक जीवन के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं । गुप्तकाल के आर्थिक जीवन के संबंध में फाह्यान ने अपने यात्रा वृत्तांत में उल्लेख किया है। फाह्यान के अनुसार, साधारण जनता प्रतिदिन के विनिमय में वस्तुओं की अदला-बदली अथवा कौड़ियों से काम चलाती थी। तत्कालीन समय में मगध नगरों और धनवानों से भरा हुआ था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि बौद्ध यात्री फाह्यान के अनुसार, धनी लोग बौद्ध धर्म का संपोषण करते थे और उसके लिए दान देते थे।
2. गुप्त काल में जारी की गई स्वर्ण मुद्राओं को निम्नलिखित में किस नाम से जाना जाता था? 
(a) टका 
(b) निष्क
(c) दीनार
(d) शतमान
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्त काल में जारी की गई स्वर्ण मुद्राओं को दीनार के नाम से जाना जाता था। नियंत्रित आकार और धार वाली ये स्वर्ण मुद्राएँ अनेक प्रकारों और उपप्रकारों में पाई जाती हैं। गुप्त काल में स्वर्ण मुद्राओं का उपयोग सेना और प्रशासनिक अधिकारी को वेतन चुकाने तथा भूमि की खरीद बिक्री में किया जाता था।
3. गुप्तकालीन सिक्कों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. सिक्कों पर युद्धप्रियता और कलाप्रियता का संकेत मिलता है।
2. गुप्त शासकों के सिक्के कुषाण सिक्कों की तरह ही शुद्ध थे ।
3. इस काल में चाँदी के सिक्के भी जारी किए गए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तकालीन सिक्कों के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। गुप्तकालीन सिक्कों पर गुप्त राजाओं के स्पष्ट चित्र हैं और इनसे उनकी युद्धप्रियता और कलाप्रियता का संकेत मिलता है।
गुजरात विजय के पश्चात् गुप्त राजाओं ने बड़ी संख्या में चाँदी के सिक्के भी जारी किए, जो केवल स्थानीय लेन-देन में चलते थे, क्योंकि पश्चिमी क्षत्रपों के यहाँ चाँदी के सिक्कों का महत्त्वपूर्ण स्थान था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि गुप्तकालीन स्वर्ण मुद्राएँ उतनी शुद्ध नहीं थीं जितनी कुषाण मुद्राएँ, तथापि इनका उपयोग वेतन आदि के भुगतान में किया जाता था।
4. गुप्तकालीन व्यापार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. इस काल में सुदूर व्यापार (रोमन व्यापार) में ह्रास हो गया था।
2. रोमन लोगों ने चीनियों से रेशम उत्पन्न करने की कला सीखी थी।
3. बुनकरों ने मूल व्यवसाय छोड़कर अन्य व्यवसाय अपना लिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तकालीन व्यापार के संबंध में सभी कथन सत्य हैं।
गुप्त काल में पूर्व काल की तुलना में सुदूर व्यापार (रोमन व्यापार) में ह्रास हो गया था। 550 ई. तक भारत पूर्वी रोमन साम्राज्य के साथ कुछ व्यापार करता रहा, जहाँ वह रेशम भेजता था।
550 ई. के आस-पास पूर्वी रोमन साम्राज्य के लोगों ने चीनियों से रेशम उत्पन्न करने की कला सीख ली, इससे भारत के निर्यात व्यापार पर बुरा असर पड़ा। छठी सदी के मध्य तक आते-आते भारतीय रेशम की माँग विदेशों में कमजोर पड़ गई थी।
गुप्त काल में रेशम बुनकरों की एक श्रेणी (पश्चिम भारत) अपने मूल स्थान को छोड़कर मंदसौर में बस गई। वहाँ उन बुनकरों ने अपना मूल व्यवसाय छोड़कर अन्य व्यवसायों को अपनाया।
5. गुप्तकाल में किस स्थान पर सर्वप्रथम ब्राह्मण पुरोहितों का भू-स्वामी में के रूप में उदय हुआ था? 
(a) मध्य प्रदेश (
(b) पश्चिमोत्तर भारत 
(c) दक्कन
(d) मगध
उत्तर - (a)
व्याख्या- गुप्त काल में मध्य प्रदेश में सर्वप्रथम ब्राह्मण पुरोहितों का भू-स्वामी के रूप में उदय हुआ था, जो किसानों के हितों के विपरीत था। ब्राह्मण पुरोहितों को दान में जो भूमि दी गई उससे अवश्य ही बहुत सी परती जमीन आबाद हुई, लेकिन यह अनुदानभोगी वर्ग स्थानीय जनजातीय किसानों के ऊपर लाद दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप किसानों की स्थिति में परिवर्तन आया।

गुप्तकालीन समाज

1. गुप्तकालीन समाज के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. ब्राह्मणों ने गुप्त शासकों को वैश्य घोषित किया।
2. ब्राह्मणों ने गुप्त राजाओं को देवताओं के गुणों से अलंकृत रूप में चित्रित किया।
3. गुप्त राजा ब्राह्मण - प्रधान वर्ण व्यवस्था में परम प्रतिपालक हो गए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
(c) 2 और 3
(b) केवल 1
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तकालीन समाज के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं। ब्राह्मणों ने गुप्त राजाओं को देवताओं के गुणों से अलंकृत रूप में चित्रित किया। इससे गुप्त राजाओं की प्रतिष्ठा धर्मशास्त्र सम्मत हो गई और वे ब्राह्मण-प्रधान वर्ण व्यवस्था के परम प्रतिपालक हो गए।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि गुप्त काल में ब्राह्मणों को बड़े पैमाने पर भूमि अनुदान दिए गए, जिसके कारण पूर्व काल के समान ब्राह्मणों की स्थिति श्रेष्ठ बनी रही, जिसके फलस्वरूप ब्राह्मण गुप्त वंशियों को क्षत्रिय मानने लगे, जबकि वे मूलत: वैश्य थे।
2. गुप्तकाल में शूद्रों की स्थिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इस काल में शूद्रों की स्थिति में सुधार हुआ।
2. उन्हें रामायण, महाभारत और पुराण सुनने का अधिकार था।
3. वे कृष्ण नामक नए देवता की पूजा कर सकते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तकाल में शूद्रों की स्थिति के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। गुप्त काल में शूद्रों की स्थिति में सुधार हुआ। उन्हें अब रामायण, महाभारत और पुराण सुनने का अधिकार मिल गया। वे अब कृष्ण नामक नए देवता की पूजा भी कर सकते थे। उन्हें कुछ गृहस्थ संस्कारों या घरेलू अनुष्ठा अधिकार मिला। इन कार्यों में अवश्य ही पुरोहितों को दक्षिणा प्राप्त होती थी। इससे समझा जा सकता है कि ये सभी शूद्रों की आर्थिक स्थिति में हुए सुधार के परिणाम थे। का भी
3. पति के मरने पर उसकी पत्नी का पति की चिता में आत्मदाह करने का पहला अभिलेखीय साक्ष्य कब प्राप्त हुआ?
(a) 510 ई. में
(b) 501 ई. में
(c) 520 ई. में
(d) 530 ई. में
उत्तर - (a)
व्याख्या- पति के मरने पर उसकी पत्नी का पति की चिता में आत्मदाह करने का पहला अभिलेखीय साक्ष्य भानुगुप्त के एरण अभिलेख से मिला है, जो 510 ई. में उत्कीर्ण हुआ। हालाँकि गुप्तोत्तर काल की कुछ स्मृतियों में कहा गया है कि यदि पति खो जाए, मर जाए या नपुंसक हो जाए, संन्यासी हो जाए या पतित (जाति बाह्य) हो जाए, तो स्त्री पुनर्विवाह कर सकती है ।
4. गुप्तकालीन स्त्रियों की सामाजिक स्थिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 
1. विवाह के समय वधू को भेंट में दिया जाने वाला धन स्त्रीधन कहलाता था।
2. कात्यायन के अनुसार, स्त्री अपना स्त्रीधन बेच सकती थी।
3. जमीन में स्त्रियों को हिस्सा मिलता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तकालीन स्त्रियों की सामाजिक स्थिति के संबंध में सभी कथन सत्य हैं। गुप्त काल में विवाह आदि के समय वधू के माता-पिता से तथा सास-ससुर से वधू को जो कुछ उपहारस्वरूप मिलता था, वह स्त्रीधन कहलाता था।
छठी सदी के स्मृतिकार कात्यायन के अनुसार, स्त्री अपने स्त्रीधन के साथ अपनी अचल संपत्ति को भी बेच सकती थी। कात्यायन के अनुसार, भूमि में स्त्रियों को हिस्सा मिलता था, परंतु भारत के पितृतंत्रात्मक समाज में धर्मशास्त्र के अनुसार सामान्यतः बेटी को अचल संपत्ति का उत्तराधिकार नहीं मिलता था।

गुप्तकालीन धार्मिक व्यवस्था

1. गुप्तकालीन धार्मिक व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. गुप्त काल में बौद्ध धर्म को राजाश्रय मिलना प्रारंभ हुआ।
2. नालंदा बौद्ध शिक्षा का केंद्र बन गया।
3. भागवत देवता जनजातीय सरदार का दिव्य प्रतिरूप समझे जाते थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल1
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर -(b)
व्याख्या- गुप्तकालीन धार्मिक व्यवस्था के संबंध में कथन (2) और (3) सत्य हैं । गुप्तकाल में नालंदा बौद्ध शिक्षा का केंद्र बन गया था। ह्वेनसांग के अनुसार, 100 ग्राम तथा इत्सिंग के अनुसार 200 ग्रामों का राजस्व इसे प्राप्त होता था।
भागवत देवता जनजातीय सरदार का दिव्य प्रतिरूप समझे जाते थे। जिस प्रकार जनजातीय सरदार स्वजनों से भेंट पाता था और उसे हिस्सा मानकर उन्हीं स्वजनों के बीच बाँट देता था उसी प्रकार माना जाता था कि नारायण भगवान अर्थात् हिस्सा या भाग्य अपने भक्तों के बीच उनकी भक्ति के अनुसार बाँटता है।
कथन (1) असत्य है, क्योंकि गुप्त काल में बौद्ध धर्म को राजाश्रय मिलना समाप्त हो गया। फाह्यान ऐसी धारणा देता है कि बौद्ध धर्म बहुत समुन्नत स्थिति में था, लेकिन यथार्थ में इस धर्म का जो उत्कर्ष अशोक और कनिष्क के शासनकाल में था, वह गुप्तकाल में नहीं रहा।
2. गुप्त काल में कृष्ण की विष्णु से अभिन्नता दिखाने के उद्देश्य से किस गाथाकाव्य को नया रूप दिया गया?
(a) महाभारत
(b) कृष्णलीला
(c) कुरुक्षेत्र 
(d) रामायण
उत्तर - (a)
व्याख्या- गुप्त काल में विष्णु पश्चिम भारत के निवासी कुल के एक पौराणिक मा से एक साधारण पुरुष हो गया, जो कृष्ण वासुदेव कहलाता था। गुप्त काल में कृष्ण की विष्णु से अभिन्नता दिखाने के उद्देश्य से महान् गाथाकाव्य 'महाभारत' को नया रूप दिया गया।
3. भागवत संप्रदाय के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) भागवत संप्रदाय के मुख्य तत्व भक्ति एवं अहिंसा है।
(b) भक्ति का अर्थ प्रेममय निष्ठा निवेदन है।
(c) छठी सदी में आकर विष्णु की गणना शिव और ब्रह्मा के साथ होने लगी।
(d) भागवत पुराण ब्रह्मा को समर्पित पुस्तक है।
उत्तर - (d)
व्याख्या- भागवत संप्रदाय के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि भागवत संप्रदाय में भागवत पुराण विष्णु को समर्पित पुस्तक है। इस पुराण की कथा का प्रवचन पुरोहित लोग कई दिनों में संपन्न करते थे। मध्यकाल में पूर्वी भारत में जहाँ-जहाँ भागवत धर्म स्थापित हुआ, वहाँ विष्णु की पूजा और उनकी लीलाओं का कीर्तन होता था।

गुप्तकालीन कला / साहित्य / विज्ञान

1. गुप्तकाल को प्राचीन भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है, क्योंकि
(a) आर्थिक क्षेत्र में प्रगति हुई।
(b) कला के क्षेत्र में प्रगति हुई।
(c) अखिल भारतीय साम्राज्य की स्थापना हुई।
(d) शूद्रों की स्थिति में सुधार हुआ।
उत्तर - (b)
व्याख्या- गुप्तकाल को प्राचीन भारत का स्वर्णयुग कहा जाता है, क्योंकि इस काल में कला के क्षेत्र में प्रगति हुई। इस काल में समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय कला और साहित्य दोनों के संपोषक थे। स्थापत्य एवं चित्रकला के क्षेत्र में विकास की चरम सीमा गुप्तकाल में ही प्राप्त हुई है।
2. गुप्तकालीन कला के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. समुद्रगुप्त को सिक्के पर वीणा बजाते हुए दिखाया गया है।
2. चंद्रगुप्त प्रथम का दरबार नवरत्नों से सुसज्जित था।
3. अजंता की चित्रावली गुप्तकालीन बौद्ध कला का श्रेष्ठ उदाहरण है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्तकालीन कला के संबंध में कथन (1) और (3) सत्य हैं। समुद्रगुप्त को सिक्के पर वीणा बजाते हुए दिखाया गया है, वह कवि, संगीतज्ञ और विद्या का संरक्षक था। समुद्रगुप्त को कविराज की उपाधि प्रदान की गई है। अजंता की चित्रावली गुप्तकालीन बौद्ध कला का सर्वश्रेष्ठ नमूना है। यद्यपि इस चित्रकला में ईसा की पहली सदी से लेकर सातवीं सदी तक के चित्र शामिल हैं, फिर भी अधिकतर गुप्तकालीन ही हैं। इन चित्रों में गौतम बुद्ध और उनके पिछले जन्मों की विभिन्न घटनाएँ चित्रित हैं।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि चंद्रगुप्त द्वितीय का दरबार नवरत्न अर्थात् नौ बड़े-बड़े विद्वानों से अलंकृत था।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. आर्यभट्ट कृत आर्यभट्टीय गणित की पुस्तक है।
2. 'रोमक सिद्धांत' नामक रचना का संबंध खगोलशास्त्र से है।
3. ईसा की पाँचवीं सदी के प्रारंभ में भारत में दाशमिक पद्धति ज्ञात थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2 
(b) 1, 2 और 3
(c) केवल 1
(d) 2 और 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। गुप्त काल में आर्यभट्ट कृत 'आर्यभट्टीय' गणित की पुस्तक है। गुप्त काल में खगोलशास्त्र में रोमक सिद्धांत' नामक पुस्तक रची गई। इसके नाम से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इस पर यूनानी चिंतकों का प्रभाव था। इलाहाबाद (प्रयागराज) में मिले 448 ई. (पाँचवीं सदी) के एक गुप्त अभिलेख से ज्ञात होता है कि ईसा की पाँचवीं सदी के आरंभ में भारत में दाशमिक पद्धति ज्ञात थी। दाशमिक पद्धति भारतीय संख्या पद्धति है, जिसमें गणना के लिए दस अंकों (0 से 9) का सहारा लिया जाता है।
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. गुप्त काल में धातुओं को मिलाने का प्रयोग हुआ।
2. मेहरौली लौह स्तंभ में उत्तम किस्म के लोहे का उपयोग हुआ है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं।
गुप्त काल में धातुओं को मिलाने के प्रयोग किए जा रहे थे। गुप्तकालीन शिल्पकारों ने अपना चमत्कार अपनी लौह और कांस्य कृतियों में दिखाया था।
गुप्त काल में मेहरौली लौह स्तंभ में उत्तम किस्म के लोहे का उपयोग हुआ है। यह स्तंभ शिल्पकार के महान तकनीकी कौशल का प्रमाण है। शुष्क क्षेत्र में रहने के कारण भी इसका जीवन लंबा हुआ है अर्थात् इसमें जंग नहीं लगा।
5. 'शूद्रक' द्वारा लिखी गई प्राचीन भारतीय पुस्तक 'मृच्छकटिकम्' का विषय था 
(a) एक धनी व्यापारी और गणिका की पुत्री की प्रेमकथा
(b) चंद्रगुप्त द्वितीय की पश्चिम भारत के शक क्षत्रपों पर विजय
(c) समुद्रगुप्त के सैन्य अभियान तथा शौर्यपूर्ण कार्य
(d) गुप्त राजवंश के एक राजा तथा कामरूप की राजकुमारी की प्रेमकथा
उत्तर - (a)
व्याख्या- 'शूद्रक' ने 'मृच्छकटिकम्' की रचना गुप्तकाल में की। ‘मृच्छकटिकम्' का शाब्दिक अर्थ है 'मिट्टी की खिलौना गाड़ी'। इस रचना में एक धनी व्यापारी तथा गणिका की पुत्री की प्रेमकथा का विवरण मिलता है। ‘मृच्छकटिकम्’ संस्कृत नाटकों में उच्च कोटि की रचना है।

पतन

1. गुप्त साम्राज्य के पतन के कारणों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कमजोर उत्तराधिकारी का होना
2. हूणों द्वारा आक्रमण करना
3. सामंतों द्वारा विद्रोह किया जाना 
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं? 
(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- गुप्त साम्राज्य के पतन के कारणों के संदर्भ में दिए गए सभी कथन सत्य हैं ।
चंद्रगुप्त द्वितीय के उत्तराधिकारियों को ईसा की पाँचवीं सदी के उत्तरार्द्ध में मध्य एशिया के हूणों के आक्रमण का सामना करना पड़ा। आरंभ में तो गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त ने हूणों को भारत में आगे बढ़ने से रोकने के लिए जोरदार प्रयास किया, लेकिन उसके उत्तराधिकारी कमजोर सिद्ध हुए और आक्रमणकारी हूणों के सामने टिक नहीं पाए ।
गुप्त साम्राज्य के पतन में सामंतों द्वारा विद्रोह किया जाना महत्त्वपूर्ण कारक था । गुप्त सम्राटों की ओर से उत्तरी बंगाल में नियुक्त शासनाध्यक्षों और सम्राट अर्थात् दक्षिण-पूर्व बंगाल के उनके सामंतों ने अपने को स्वतंत्र बनाना शुरू कर दिया ।
2. हूणों द्वारा गुप्त शासकों को पराजित करने में मुख्य रूप से क्या सहायक रहा?
(a) उत्तम घुड़सवार 
(b) रकाबों का प्रयोग
(c) घोड़े पर बैठा हुआ धनुर्धर
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- हूण घुड़सवारी में बेजोड़ थे और धातु के बने रकाबों का उपयोग करते थे। वे तेजी से आक्रमण कर सकते थे और उत्तम धनुर्धर होने के कारण न केवल ईरान में, बल्कि भारत में भी बहुत सफल हुए।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मालवा नरेश यशोवर्मन ने हूणों को पराजित किया।
2. यशोवर्मन ने 532 ई. में विजय स्तंभ का निर्माण किया।
3. करद (कर देने वाले) सामंत राजाओं ने गुप्त साम्राज्य को दुर्बल बनाया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं।
मालवा के औलिकर सामंत वंश के यशोवर्मन ने जल्द ही हूणों की सत्ता को उखाड़ फेंका। इसके कुछ समय पश्चात् मालवा नरेश ने गुप्त शासकों की सत्ता को भी चुनौती दे दी और संपूर्ण उत्तर भारत में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के उपलक्ष में 532 ई. में विजय स्तंभ खड़े किए।
करद सामंत राजाओं ने सिर उठाकर गुप्त साम्राज्य को और दुर्बल बना दिया था।
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