NCERT MCQs | प्राचीन इतिहास | मौर्योत्तर काल
1. उत्तर भारत में मौर्यों के सबसे महत्त्वपूर्ण देशी उत्तराधिकारी कौन हुए?
(a) शुंग वंश के शासक
(b) पाल वंश के शासक
(c) वर्द्धन वंश के शासक
(d) कण्व वंश के शासक
उत्तर - (a)
व्याख्या- उत्तर भारत में मौर्यों के सबसे महत्त्वपूर्ण देशी उत्तराधिकारी शुंग और उसके बाद कण्व हुए। शुंग वंश की स्थापना 185 ई. पू. में पुष्यमित्र शुंग ने की थी। इस वंश की उत्पत्ति के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। संभवतः शुंग उज्जैन प्रदेश से संबद्ध थे, जहाँ इनके पूर्वज मौर्यों की सेना में सेवारत थे।
2. मौर्योत्तर काल के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) कण्व वंश, सातवाहन वंश के बाद सत्ता में आया।
(b) सातवाहन मौर्यकालीन वंश नहीं था।
(c) सातवाहन दक्कन का प्रतिनिधित्व करते थे।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
व्याख्या- मौर्योत्तर काल के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि मौर्योत्तर काल में कण्व वंश तथा सातवाहन वंश समकालीन थे। उत्तर भारत में 73 ई. पू. में वासुदेव ने कण्व वंश की स्थापना की थी।
दक्कन और मध्य भारत में मौर्यों के उत्तराधिकारी सातवाहन रहे। हालाँकि मध्य में करीब सौ वर्षों का व्यवधान हुआ। सिमुक ने 60 ईसा पूर्व में सुशर्मा की हत्या कर सातवाहन वंश की स्थापना की।
3. मौर्योत्तर काल में शासक वंशों का सही कालानुक्रम क्या है?
(a) शुंग-कण्व-सातवाहन
(b) सातवाहन-शुंग-कण्व
(c) कण्व-शुंग-सातवाहन
(d) वर्धन- शुंग - कण्व
उत्तर - (a)
व्याख्या- मौर्योत्तर काल में शासक वंशों का सही कालानुक्रम शुंग-कण्व-सातवाहन है। इन राजवंशों के शासनकाल में शुंगवंश (1853 ई. पू.-73 ई. पू.), कण्व वंश (73 ई. पू.-30 ई.पू.) एवं सातवाहन वंश (60 ई. पू.-240 ई.) का शासन रहा।
इस काल में मगध सहित भारत के विभिन्न भागों में क्षेत्रीय साम्राज्य का उदय हुआ। इन साम्राज्यों ने इतिहास के छोटे कालखंडों में राज किया था, जिनमें शुंग, कण्व, सातवाहन, वाकाटक आदि प्रमुख थे।
4. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) पुराणों में सातवाहन शासन का उल्लेख है।
(b) सातवाहन शासकों ने 300 वर्ष तक शासन किया।
(c) सातवाहनों का सबसे पुराना अभिलेख ईसा पूर्व पहली सदी का था।
(d) सातवाहनों ने कण्वों को पराजित किया था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि पुराणों में केवल आंध्र शासन का उल्लेख है, सातवाहन शासन का नहीं। दूसरी ओर सातवाहन अभिलेखों में आंध्र नाम नहीं मिलता है। हालाँकि सातवाहन और पुराणों में उल्लिखित आंध्र एक ही माने जाते हैं।
सातवाहन वंश के इतिहास के लिए मत्स्य तथा वायु पुराण विशेष रूप से उपयोगी हैं। सातवाहन वंश के शासकों को दक्षिणाधिपति तथा इनके द्वारा शासित प्रदेश दक्षिणापथ कहा जाता है।
5. सातवाहन राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सातवाहन राज्य उत्तरी महाराष्ट्र और ऊपरी गोदावरी घाटी में स्थापित था।
2. दक्कन और मध्य भारत में मौर्यो उत्तराधिकारी सातवाहन हुए।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 3
(c) 1 और 2
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- सातवाहन राज्य के संबंध में दोनों कथन सत्य हैं ।
आरंभिक सातवाहन राजा आंध्र में नहीं, बल्कि उत्तरी महाराष्ट्र में थे। जहाँ उनके प्राचीनतम सिक्के और अधिकांश आरंभिक अभिलेख मिले हैं। उन्होंने अपनी सत्ता ऊपरी गोदावरी घाटी में स्थापित की थी।
दक्कन और मध्य भारत में मौर्यों के उत्तराधिकारी सातवाहन हुए। दक्षिण में सातवाहन शक्तियों का तीन सदियों तक निरंतर उत्कर्ष होता रहा। इतने अधिक समय तक भारतीय इतिहास के किसी भी अन्य राजवंश ने अबाध रूप से शासन नहीं किया।
6. सातवाहन पूर्व बस्तियों का अस्तित्व दक्कन के अनेक स्थलों पर पाए जाने वाले निम्नलिखित में से किस प्रकार के मृद्भांड से प्रमाणित होता है?
(a) लाल मृद्भांड
(b) काले व लाल मृद्भांड
(c) गेरुआ लेपित चित्रित मृद्भांड
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- सातवाहन पूर्व बस्तियों का अस्तित्व दक्कन के अनेक स्थलों पर पाए जाने वाले लाल मृद्भांड, काले व लाल मृद्भांड और गेरुआ लेपित चित्रित मृद्भांड से प्रमाणित होता है। इन बस्तियों में से अधिक बस्तियाँ, लोहे का उपयोग करने वाले उन महापाषाण निर्माताओं से संबद्ध हैं, जो उत्तर से आने वाली भौतिक संस्कृतियों के साथ संपर्क के फलस्वरूप नए-नए कार्यकलापों की ओर प्रेरित हुए होंगे।
7. सातवाहन वंश के किस शासक ने सातवाहन वंश को स्थापित करने तथा ऐश्वर्य लौटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी?
(a) गौतमी श्री वालपुत
(b) गौतमीपुत्र शातकर्णी
(c) शातकर्णी प्रथम
(d) वशिष्ठि पुत्र पुलमावी
उत्तर - (b)
व्याख्या- सातवाहन वंश के शासक गौतमीपुत्र शातकर्णी ने सातवाहन वंश को स्थापित करने तथा ऐश्वर्य लौटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।
गौतमीपुत्र शातकर्णी का शासनकाल 106 ई. 130 ई. तक का था। यह इस वंश का 23वाँ तथा सबसे महान शासक था। गौतमीपुत्र शातकर्णी की सैनिक विजयों की जानकारी इनकी माँ बलश्री की नासिक प्रशस्ति से मिलती है।
8. निम्नलिखित में से किस शासक के लिए एक ब्राह्मण शब्द प्रयुक्त हुआ है?
(a) पुष्यमित्र शुंग
(b) खारवेल
(c) गौतमीपुत्र शातकर्णी
(d) सुशर्मन
उत्तर - (c)
व्याख्या- गौतमीपुत्र शातकर्णी ने स्वयं को 'एका ब्राह्मण' (एकमात्र ब्राह्मण) कहा तथा उसने यह दावा किया कि उसने क्षहरात वंश का विनाश किया, क्योंकि उसका शत्रु नहपान इसी वंश का था। नहपान के जो 8000 से अधिक चाँदी के सिक्के नासिक के पास से मिले हैं, उन पर सातवाहन राजा द्वारा फिर से ढलवाए जाने के चिह्न हैं।
9. सौराष्ट्र ( काठियावाड़) के किस शासक ने सातवाहनों को दो बार पराजित किया, किंतु वैवाहिक संबंध के कारण उनका नाश नहीं किया?
(a) शक शासक रुद्रदामन
(b) शक शासक रुद्रसिंह तृतीय
(c) कुषाण शासक कुजुल कडफिसस प्रथम
(d) कुषाण शासक हुविष्क
उत्तर - (a)
व्याख्या- सौराष्ट्र (काठियावाड़) के शक शासक रुद्रदामन प्रथम (130-150 ई.) ने सातवाहन शासक वशिष्ट पुत्र शातकर्णी को बार पराजित किया। रुद्रदामन प्रथम के राज्याधिकार में सिंध, कोंकण, नर्मदा घाटी, मालवा, काठियावाड़ और गुजरात का एक बड़ा भाग था।
10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. शातकर्णी प्रथम का कलिंग नरेश से युद्ध हुआ था, इसे पश्चिम का स्वामी कहा जाता था।
2. वशिष्ठिपुत्र ने शक शासक की पुत्री से विवाह किया था।
3. सातवाहन शासकों का प्रशासन केंद्रीकृत नहीं था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। सातवाहन वंश के शासक शातकर्णी का युद्ध कलिंग नरेश से हुआ था, जिसमें शातकर्णी विजयी हुआ था। शातकर्णी को पश्चिम का स्वामी कहा जाता था। गौतमीपुत्र शातकर्णी ने शकों को पराजित कर पश्चिम दक्कन पर शासन किया था।
शातकर्णी के समय में शकों ने सातवाहन पर लगातार आक्रमण किए और यह स्थिति गौतमीपुत्र के बेटे वशिष्ठिपुत्र के शासनकाल तक चलती रही तत्पश्चात् वशिष्ठिपुत्र ने शक शासक की पुत्री से विवाह किया था।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि सातवाहनों का प्रशासन केंद्रीकृत था। राज्य प्रांतों में बँटा हुआ था, जिन पर सैनिक तथा असैनिक राज्यपाल शासन करते थे। प्रत्येक गाँव का प्रधान राजस्व या कर वसूल करता था। इस काल में 'ग्रामीण' क्षेत्रों में प्रशासक गौल्मिक कहलाता था।
11. सातवाहन शासक यज्ञश्री शातकर्णी (166-194 ई.) के सिक्कों पर किसका चित्र अंकित मिलता है ?
(a) घोड़े का चित्र
(b) समुद्र का चित्र
(c) जहाज का चित्र
(d) लक्ष्मी देवी का चित्र
उत्तर - (c)
व्याख्या- सातवाहन शासक यज्ञश्री शातकर्णी (166-194 ई.) के सिक्कों पर जहाज का चित्र अंकित था, जो जलयात्रा और समुद्री व्यापार के प्रति उसके प्रेम का परिचायक था। उनके सिक्के न केवल आंध्र प्रदेश, बल्कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में भी पाए जाते हैं। यज्ञश्री शातकर्णी इस वंश का अंतिम महत्त्वपूर्ण राजा था। इसने शकों द्वारा जीते गए अपने भू-भागों को पुनः प्राप्त कर लिया था।
12. ब्राह्मणों को भूमि अनुदान या जागीर देने की प्रथा का आरंभ किन शासकों ने किया था?
(a) शक शासकों ने
(b) इक्ष्वाकु शासकों ने
(c) सातवाहन शासकों ने
(d) शुंग शासकों ने
उत्तर - (c)
व्याख्या- ब्राह्मणों को भूमि अनुदान या जागीर देने की प्रथा का आरंभ सातवाहन शासकों ने किया था। उन्होंने अधिकतर भूमिदान बौद्ध भिक्षुओं को ही दिए। बौद्ध भिक्षुओं को भूमिदान देने का कारण जनजातीय लोगों का बौद्धीकरण करना था।
13. सातवाहन कालीन प्रशासनिक व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सातवाहन राजाओं की तुलना देवताओं से की गई।
2. सातवाहनों ने कई प्रशासनिक इकाइयाँ वही रखी, जो अशोक के काल में पाई गई थीं।
3. द्वितीय श्रेणी का राजा महाभोज कहलाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1, 2 और 3
(c) केवल 3
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- सातवाहन कालीन प्रशासनिक व्यवस्था के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। सातवाहन राजाओं की तुलना देवताओं से की गई। सातवाहन राजा का वर्णन राम, भीम, केशव, अर्जुन आदि पौराणिक महापुरुषों के गुणों से विभूषित रूप से किया गया है। बल और पराक्रम के संदर्भ में राजा की तुलना उक्त पौराणिक पुरुषों और दिव्य विभूतियों से की गई है।
सातवाहनों ने कई प्रशासनिक इकाइयाँ वही रखीं, जो अशोक के काल में पाई गई थीं। उनके समय में जिले को अशोक की भाँति ही आहार कहते थे। सातवाहन राज्यों में पहली श्रेणी का सामंत राजा कहलाता था, उसे सिक्का ढालने का अधिकार रहता था। द्वितीय श्रेणी का राजा महाभोज कहलाता था। इन सामंतों को अपने-अपने क्षेत्रों में कुछ सत्ता प्राप थी।
14. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सातवाहन शासक वैष्णव देवताओं के उपासक थे।
2. सातवाहन शासकों ने भिक्षुओं को ग्रामदान देकर बौद्ध धर्म को बढ़ाया।
3. उनके राज्य में बौद्धधर्म के हीनयान संप्रदाय का प्रचलन था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। स्मृति काल में राजा स्वयं को देवता का प्रतिनिधि मानते थे। सातवाहन काल आते-आते वे स्वयं के साथ देवताओं का तादात्म्य स्थापित करने लगे। सातवाहन राजा कृष्ण, वासुदेव जैसे बहुत से वैष्णव देवताओं के भी उपासक थे।
सातवाहन शासकों ने भिक्षुओं को ग्रामदान देकर बौद्ध धर्म को बढ़ाया, जिसके कारण आंध्र प्रदेश में नागार्जुन कोंडा और अमरावती नगर सातवाहनों के शासन में और विशेषकर उनके उत्तराधिकारी इक्ष्वाकुओं के शासन में बौद्ध संस्कृति के महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गए।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि राज्य में बौद्ध धर्म के हीनयान का नहीं, वरन् महायान संप्रदाय का प्रचलन था।
15. सातवाहन कालीन वास्तुकला के अंतर्गत 'कार्ले' किसलिए विश्व प्रसिद्ध है?
(a) विहार के लिए
(b) चैत्य के लिए
(c) स्तूप के लिए
(d) मंदिर के लिए
उत्तर - (b)
व्याख्या- सातवाहन कालीन वास्तुकला के अंतर्गत 'कार्ले' चैत्य के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह लगभग 40 मी लंबा और 15 मी ऊँचा है। यह विशाल शिला वास्तुकला का प्रभावोत्पादक उदाहरण है।
चैत्य, बौद्धों के मंदिर का कार्य करता था और विहार, भिक्षु निवास का। चैत्य अनेकानेक स्तंभों पर खड़ा बड़ा हॉल जैसा होता था और विहार में एक केंद्रीय शाला होती थी, जिसके सामने के बरामदे की ओर एक द्वार होता था। विहार, चैत्यों के समीप ही बनाए जाते थे।
16. सातवाहन कालीन वास्तुकला के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. नागार्जुन कोंडा के स्तूप भित्ति- प्रतिमाओं से सुसज्जित हैं।
2. अमरावती में स्तूपों के साथ-साथ हिंदू मंदिर भी बने हैं।
3. अमरावती में बुद्ध को उपदेश देते हुए दर्शाया गया है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - (d)
व्याख्या- सातवाहन कालीन वास्तुकला के संबंध में कोई भी कथन असत्य नहीं है। अमरावती का स्तूप भित्ति प्रतिमाओं से सुसज्जित है। इनमें बुद्ध के जीवन के विभिन्न दृश्य चिह्नित हैं। अमरावती स्तूप का निर्माण लगभग 200 ई. पू. में आरंभ हुआ, किंतु ईसा की दूसरी सदी के उत्तरार्द्ध में आकर वह पूर्णरूपेण निर्मित हुआ।
नागार्जुन कोंडा में बौद्ध स्मारकों के साथ-साथ पुरानी ईंटों से बने हिंदू मंदिर भी हैं । नागार्जुन कोंडा में बुद्ध को उपदेश देते हुए दर्शाया गया है। नागार्जुन कोंडा में लगभग दो दर्जन विहार दिखाई देते हैं। अपने स्तूपों और महाचैत्यों से अलंकृत यह स्थान ईसा की आरंभिक सदियों में मूर्तिकला में सबसे ऊँचा प्रतीत होता था।
17. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. इक्ष्वाकु शासकों ने दक्कन खनिज स्रोतों का उपयोग किया।
2. इक्ष्वाकुओं के शासनकाल में अमरावती प्रमुख बौद्ध केंद्र बन गया था।
3. नागार्जुन कोंडा इक्ष्वाकुओं के काल में बौद्ध केंद्र बना था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(c) 1, 2 और 3
(b) 1 और 2
(d) केवल 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। इक्ष्वाकु और सातवाहन दोनों ने दक्कन के खनिज स्रोतों का उपयोग किया। इसका उपयोग इनके द्वारा कृषि यंत्रों के निर्माण तथा युद्ध सामग्री के निर्माण में किया गया था।
आंध्र प्रदेश में नागार्जुन कोंडा और अमरावती नगर सातवाहनों के शासन में और विशेषकर उनके उत्तराधिकारी इक्ष्वाकुओं के शासन में बौद्ध संस्कृति के महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गए।
नागार्जुन कोंडा इक्ष्वाकुओं के काल में अपने उत्कर्ष पर था । इक्ष्वाकुओं के शासन काल में यह बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र भी बन गया था।
1. हिंद - यूनानी शासकों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) वे बैक्ट्रिया में राज करते थे।
(b) पार्थिया ने सेल्यूकस साम्राज्य स्थापित किया था।
(c) बैक्ट्रिया वर्तमान के ईरान में स्थित है।
(d) यूनान आक्रमण का प्रमुख कारण था सेल्यूकस द्वारा स्थापित साम्राज्य की कमजोरी
उत्तर - (c)
व्याख्या- हिंद यूनानी शासकों के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि बैक्ट्रिया वर्तमान में अफगानिस्तान, तजाकिस्तान और पाकिस्तान में बँटा हुआ है। बैक्ट्रिया एशिया के उस ऐतिहासिक क्षेत्र का प्राचीन नाम है, जो हिंदूकुश पर्वत शृंखला और अमुदरिया के बीच स्थित है ।
2. हिंद - यूनानी शासन के प्रभावों पर विचार कीजिए
1. सबसे पहले हिंद - यूनानियों ने ही भारत में सोने के सिक्के जारी किए।
2. उन्होंने हेलोनिस्टिक कला का विकास किया।
3. यह कला विशुद्ध रूप से यूनानी थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। सबसे पहले हिंद-यूनानियों ने ही भारत में सोने के सिक्के जारी किए, पर इनकी मात्रा कुषाणों के शासन में अत्यधिक बढ़ी। इन सिक्कों पर पूर्व में जारी किए गए सिक्कों के विपरीत राजाओं के नाम व तिथियाँ उत्कीर्ण की जाने लगी थीं।
हिंद-यूनानी शासकों ने भारत के पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत में यूनान की कला चलाई, जिसे हेलोनिस्टिक आर्ट कहते हैं। भारत में गंधार कला इसका उत्तम उदाहरण है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि हेलोनिस्टिक कला विशुद्ध यूनानी नहीं थी। सिकंदर की मृत्यु के बाद विजित गैर-यूनानियों के साथ यूनानियों के संपर्क से इसका उदय हुआ था।
3. भारत में शक आधिपत्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. शकों ने कुल पाँच शाखाएँ स्थापित की थीं।
2. शकों की दूसरी शाखा की राजधानी तक्षशिला थी।
3. शकों की पाँचवीं शाखा ने पश्चिमोत्तर भारत पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) केवल 1
(d) केवल 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारत में शक आधिपत्य के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं । शकों की पाँच शाखाएँ थीं और हर शाखा की राजधानी भारत और अफगानिस्तान में अलग-अलग भाग में थी।
शकों की प्रथम शाखा अफगानिस्तान में तथा दूसरी शाखा पंजाब में स्थित थी, जिसकी राजधानी तक्षशिला बनी। तीसरी शाखा मथुरा में स्थित हुई, जहाँ उसने लगभग दो सदियों तक राज किया। चौथी शाखा ने अपनी सत्ता पश्चिम भारत में स्थापित की, जहाँ उसने ईसा की चौथी सदी के आरंभ तक शासन किया। कथन (3) असत्य है, क्योंकि शकों की पाँचवीं शाखा ने ऊपरी दक्कन पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया।
4. शक शासक रुद्रदामन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उसका शासनकाल 130-150 ई. तक था।
2. भारत में संस्कृत भाषा में पहला अभिलेख रुद्रदामन ने जारी किया था।
3. उसने सुदर्शन झील का पुनरुद्धार करवाया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 3
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- शक शासक रुद्रदामन के संबंध में कथन (1), (2) और (3) सत्य हैं। शक शासक रुद्रदामन प्रथम का शासनकाल 130-150 ई. तक था। उसका शासन न केवल सिंध में बल्कि कोंकण, नर्मदा घाटी, मालवा, काठियावाड़ और गुजरात के बड़े भाग में भी था।
रुद्रदामन ने विदेशी होते हुए भी सबसे पहले विशुद्ध संस्कृत भाषा में लंबा अभिलेख, जिसे जूनागढ़ अभिलेख कहते हैं, जारी किया।
रुद्रदामन ने गिरनार पर्वत पर स्थित काठियावाड़ के अर्द्धशुष्क क्षेत्र की प्रसिद्ध सुदर्शन झील का पुनरुद्धार करवाया था। इस झील का निर्माण मौर्य काल में हुआ था। इसके समय सौराष्ट्र प्रांत का शासक सुविशाख था।
5. विक्रम और शक संवत् के बीच कितने वर्षों का अंतर है ?
(a) 57 वर्ष
(b) 78 वर्ष
(c) 135 वर्ष
(d) 320 वर्ष
उत्तर - (c)
व्याख्या- विक्रम तथा शक संवत् के बीच 135 वर्षों का अंतर है। विक्रम संवत् की शुरुआत 57 ई. पू. में विक्रमादित्य की शकों पर विजय के पश्चात् हुई। इसके पश्चात् विक्रमादित्य को स्पृहणीय की उपाधि दी गई तथा वह ऊँची प्रतिष्ठा और सत्ता के प्रतीक बन गए।
शक संवत की शुरुआत 78 ई. में की गई। इसे आरंभ करने का श्रेय कनिष्क को है। भारत सरकार का कैलेंडर शक संवत् पर आधारित है।
6. पह्नव शासकों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उन्होंने दक्षिण भारत में अपना आधिपत्य स्थापित किया था।
(b) सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक गोंदोफर्निस था।
(c) इनका मूल निवास स्थान ईरान था।
(d) इनके काल में सेंट टॉमस भारत आया था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- पहव शासकों के संबंध में कथन (a) सत्य नहीं है, क्योंकि पश्चिमोत्तर भारत में शकों के आधिपत्य के बाद पार्थियाई लोगों का आधिपत्य हुआ। यूनानियों और शकों के विपरीत वे ईसा की पहली सदी में पश्चिमोत्तर भारत के एक छोटे से भाग पर ही सत्ता स्थापित कर सके। आने से पहले शकों की तरह पार्थियाई लोग भी भारतीय राजतंत्र और समाज के अभिन्न अंग बन गए।
7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कुषाण शासकों का संबंध यूची कबीले से था।
2. कैडफाइसिस प्रथम ने अपने शासन में स्वर्ण मुद्राएँ जारी की थीं।
3. कुषाणों की राजधानी पुरुषपुर / पेशावर थी |
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है /हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (3) सत्य हैं ।
कुषाण शासक यूची कबीले से संबंधित थे। यूची कबीला पाँच कुलों में बँटा हुआ था। कुषाण उन्हीं में से एक कुल के थे। कुषाण उत्तरी मध्य एशिया के हरित मैदान के खानाबदोश लोग थे और चीन के पड़ोस में रहते थे।
कुषाणों की पहली राजधानी आधुनिक पाकिस्तान में अवस्थित पुरुषपुर या पेशावर में थी, जहाँ कनिष्क ने एक मठ और विशाल स्तूप का निर्माण कराया था।
कथन (2) असत्य है, क्योंकि कैडफाइसिस प्रथम ने रोमन सिक्कों की नकल करके ताँबे के सिक्के ढलवाए तथा महाराजाधिराज • उपाधि धारण की। उसने ये सिक्के हिंदूकुश के दक्षिण में चलवाए। थे।
8. किस शासक के काल में कश्मीर में चौथी बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया ?
(a) अशोक
(b) कालाशोक
(c) कनिष्क
(d) अजातशत्रु
उत्तर - (c)
व्याख्या- कश्मीर में चौथी बौद्ध संगीति का आयोजन करने वाला कुषाण शासक कनिष्क था। इस संगीति के अध्यक्ष वसुमित्र थे। इस संगीति में बौद्ध ग्रंथों के ऊपर टीकाएँ लिखी गईं, जो विभाषशास्त्र कहलाती हैं ।
9. मौर्योत्तर कालीन व्यापार के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) मथुरा वस्त्र निर्माण का केंद्र बन गया था।
(b) भारतीय दंतशिल्प की वस्तुएँ अफगानिस्तान और रोम से मिली हैं।
(c) रोम की काँच की वस्तुएँ तक्षशिला से मिली हैं।
(d) उत्तर भारत में रंगरेजी एक उन्नत शिल्प था।
उत्तर - (d)
व्याख्या- मौर्योत्तर कालीन व्यापार के संबंध में कथन (d) सत्य नहीं है, क्योंकि मौर्योत्तर काल में रंगरेजी उत्तर भारत में नहीं वरन् दक्षिण भारत के कई नगरों में उन्नत शिल्प थी। तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली नगर के उपांतवर्ती उरैपूर में ईंटों का बना रंगाई का हौज मिला है।
अरिकमेडु में भी इस प्रकार के हौज मिले हैं। ये हौज ईसा की पहली तीसरी सदियों के हैं। इन क्षेत्रों में करघे पर कपड़ा बुनने का व्यवसाय भी प्रचलित था।
10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. दीघनिकाय नामक पुस्तक में चौबीस प्रकार के व्यवसायों का उल्लेख है।
2. महावस्तु में 36 प्रकार के व्यवसायियों का उल्लेख है।
3. मिलिंदपंहो में 100 व्यवसाय का उल्लेख है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 3
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) केवल 4
उत्तर - (b)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। मौर्यपूर्व काल के दीघनिकाय में लगभग चौबीस प्रकार के व्यवसायों का उल्लेख है। इसी काल में महावस्तु में राजगीर में रहने वाले 36 प्रकार के व्यवसासियों का उल्लेख है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि मिलिंदपंहो में 75 व्यवसायों का उल्लेख है, जिनमें 60 विविध प्रकार के शिल्पों से संबद्ध हैं।
11. मौर्योत्तर काल में व्यापार के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) भारत और पूर्वी रोमन साम्राज्य के बीच का व्यापार आरंभ से ही समुद्री मार्ग द्वारा होता था।
(b) भारत और रोम के बीच व्यापार में विलास की वस्तुओं का महत्त्व अधिक होता था।
(c) भड़ौच और सोपारा बंदरगाह पश्चिमी समुद्र तथा अरिकमेडु और ताम्रलिप्ति पूर्वी तट पर स्थित थे।
(d) भड़ौच एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह था।
उत्तर - (a)
व्याख्या- मौर्योत्तर काल में व्यापार के संबंध में कथन (a) असत्य है, क्योंकि मौर्योत्तर काल में भारत और पूर्वी रोमन साम्राज्य के बीच अधिकतर व् स्थल मार्ग से होता था। ईसा पूर्व पहली सदी में शकों, पार्थियनों और कुषाणों की गतिविधियों के कारण स्थल मार्ग से व्यापार करना संकटापन्न हो गया। इसी कारण पहली सदी से व्यापार मुख्यतः समुद्री मार्ग से होने लगा था।
12. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कुषाण और शक लोग व्यापार के लिए पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत से पश्चिमी समुद्र तक दो मार्गों से जाते थे और ये दोनों मार्ग तक्षशिला में मिलते थे।
2. पहला मार्ग उत्तर से दक्षिण की ओर जाता हुआ तक्षशिला को निचली सिंधु घाटी से जोड़ता था और वहाँ से भड़ौच चला जाता था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। शक और कुषाण लोग भी पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत से पश्चिम समुद्र तट तक दो मार्गों से जाते थे। दोनों मार्ग तक्षशिला में मिलते थे और मध्य एशिया से गुजरने वाले रेशम मार्ग से भी जुड़े थे।
इसका पहला मार्ग उत्तर से सीधे दक्षिण की ओर जाता था। यह मार्ग तक्षशिला को निचली सिंधु घाटी से जोड़ता था और वहाँ से भड़ौच चला जाता था। दूसरा मार्ग, उत्तरापथ नाम से प्रसिद्ध था। यह तक्षशिला से चलकर आधुनिक पंजाब से होते हुए यमुना के पश्चिम तट पहुँचता और यमुना का अनुसरण करते हुए दक्षिण की ओर मथुरा पहुँचता था।
13. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मौर्योत्तर काल सोना, चाँदी, तांबा, काँसा, सीसा और पोटीन के सिक्के बनाने के लिए प्रसिद्ध है।
2. रोमन सम्राट ट्रॉजन ने फारस की खाड़ी का पता लगाया था।
3. भारत में पाए गए रोमन सोने-चांदी के सिक्कों की संख्या 6000 से अधिक है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) और (2) सत्य हैं। मौर्योत्तर काल सोना, चाँदी, ताँबा, काँसा, सीसा और पोटीन के सिक्के बनाने के लिए प्रसिद्ध है। इस काल के सिक्का ढालने के कई प्रकार के साँचे उत्तर भारत और दक्कन में पाए गए हैं।
रोमन सम्राट ट्रॉजन ने व्यापारिक मार्गों के लिए फारस की खाड़ी का पता लगाया। इसके कारण रोमन वस्तुएँ अफगानिस्तान और पश्चिमोत्तर भारत में पहुँचती थीं।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि भारत में पाए गए रोमन सोने, चाँदी के सिक्कों की संख्या 6000 से अधिक नहीं है, परंतु यह कहना कठिन है कि केवल इतने ही सिक्के रोम से आए। रोमन लेखक प्लिनी ने 'नेचुरल हिस्ट्री' नामक अपने विवरण में अफसोस प्रकट किया है कि भारत के साथ व्यापार करके रोम अपना स्वर्णभंडार लुटाता जा रहा है।
14. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सातवाहन और कुषाण साम्राज्यों में नगरों की उन्नति का एक कारण रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार था।
2. कुषाण साम्राज्य के कारण पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नगर समृद्ध हुए थे।
3. कुषाण राजाओं ने मार्गों की सुरक्षा का प्रबंधन किया था।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 3
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (d)
व्याख्या- दिए गए सभी कथन सत्य हैं। कुषाण और सातवाहन साम्राज्यों में नगरों की उन्नति का मुख्य कारण रोमन साम्राज्य के साथ व्यापारिक संबंध अच्छे होना था। भारत, रोमन साम्राज्य के पूर्वी भाग और मध्य भाग के साथ ही व्यापार करता था।
कुषाण साम्राज्य के कारण पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के स्थान समृद्ध हुए थे, क्योंकि कुषाण शक्ति का केंद्र पश्चिमोत्तर भारत था। कुषाण साम्राज्य में मार्गों पर सुरक्षा का प्रबंध था, जिसके कारण इस काल में व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि हुई।
15. शक- कुषाण काल में भवन निर्माण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. पक्की ईंटों का प्रयोग फर्श बनाने में किया जाता था।
2. खपरों (टाइलों) का प्रयोग फर्श और छत दोनों में किया जाता था।
3. सुर्खी और खपरा बाहर से अपनाई गई वस्तु थी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- शक- कुषाण काल में भवन निर्माण के संबंध में कथन (1) और (2) सत्य हैं। शक-कुषाण काल में भवन निर्माण के कार्यों में उल्लेखनीय प्रगति हुई। इनमें पक्की ईंटों का प्रयोग फर्श बनाने में किया गया तथा खपरों (टाइलों) का प्रयोग फर्श और छत दोनों में किया गया है।
कथन (3) असत्य है, क्योंकि शक तथा कुषाण काल में भवनों के निर्माण में प्रयुक्त सुर्खी और खपरा बाहर से अपनाई गई वस्तु नहीं थी ।
16. अश्वघोष किसके समकालीन था ?
(a) अशोक का
(b) चंद्रगुप्त द्वितीय का
(c) कनिष्क का
(d) हर्षवर्द्धन का
उत्तर - (c)
व्याख्या- अश्वघोष कनिष्क के समकालीन था। वह कनिष्क का दरबारी . रचनाकार था। उसने अनेक महत्त्वपूर्ण संस्कृत ग्रंथों की रचना की। बुद्ध की जीवनी 'बुद्ध चरित' उसकी नाट्य रचना है।
17. प्राचीन काल के भारत पर आक्रमणों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही अनुक्रम है?
(a) यूनानी-शक - कुषाण
(b) यूनानी- कुषाण - शक
(c) शक- यूनानी- कुषाण
(d) शक- कुषाण - यूनानी
उत्तर - (a)
व्याख्या- प्राचीन काल के भारत पर आक्रमणों के संबंध में सही क्रम यूनानी-शक - कुषाण था।
भारत पर आक्रमण सबसे पहले हिंद - यूनानियों ने किया। ईसा पूर्व दूसरी सदी के आरंभ में हिंद - यूनानियों ने पश्चिमोत्तर भारत के विशाल क्षेत्र पर कब्जा किया। यूनानियों के बाद शक आए। यूनानियों ने भारत के जितने भाग पर कब्जा किया था, उससे अधिक भाग पर शकों ने किया।
पश्चिमोत्तर भारत मे शकों के आधिपत्यों के बाद पार्थियाई अथवा पह्नव लोगों का आधिपत्य हुआ। पह्नव के बाद कुषाण आए, जो यूची और तोखारी भी कहलाते थे। कुषाणों ने बैक्ट्रिया तथा उत्तरी अफगानिस्तान पर आधिपत्य करते हुए शकों को अपदस्थ किया।
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