NCERT MCQs | आधुनिक भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन | भारत का स्वाधीनता संग्राम : प्रथम चरण (1885-1915 ई.)
राष्ट्रवाद का उदय / कांग्रेस पूर्व संगठन
1. निम्न में से कौन-सा कथन राष्ट्रवाद के संबंध में सत्य है?
(a) आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद बुनियादी तौर पर विदेशी आधिपत्य की चुनौती के जवाब के रूप में उदित हुआ।
(b) ब्रिटिश शासन की परिस्थितियों ने भारतीय जनमानस में राष्ट्रीय भावना को विकसित करने में सहायता दी ।
(c) ब्रिटिश शासन तथा उसके प्रत्यक्ष और परोक्ष परिणामों ने ही भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास के लिए भौतिक, नैतिक एवं बौद्धिक, *परिस्थितियाँ तैयार की थीं।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- राष्ट्रवाद के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं ।
उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में राष्ट्रीय राजनीतिक चेतना बहुत तेजी से विकसित हुई और भारत में एक संगठित राष्ट्रीय आंदोलन का आरंभ हुआ। भारत में राष्ट्रवाद की प्रवृत्तियाँ प्रबल होती गईं। आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद का उदय बुनियादी तौर पर विदेशी आधिपत्य की चुनौती के जवाब के रूप में हुआ था और इसी से उत्पन्न परिस्थितियों ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास को बढ़ावा दिया। ब्रिटिश शासन से उपजी परिस्थितियों (प्रत्यक्ष और परोक्ष परिणाम) ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2. भारत में राष्ट्रवाद के उदय के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
1. आधुनिक शिक्षा प्रणाली विभिन्न भाषाई क्षेत्रों में राष्ट्रवादी विचारों को फैलाने का माध्यम बन गई।
2. शिक्षित भारतीय, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के प्रति वफादार रहे।
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- भारत में राष्ट्रवाद के उदय के संबंध में कथन (2) असत्य है, क्योंकि शिक्षित भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के वफादार नहीं थे, बल्कि उन्होंने अपने विचारों में आधुनिकता का मिश्रण कर विदेशी (ब्रिटिश) शासन की बुराइयों को उजागर किया था।
इन्होंने एक मजबूत, समृद्ध और एकताबद्ध भारत की कल्पना को प्रोत्साहित किया और कालांतर में इन्हीं शिक्षित भारतीयों में से कुछ कुशल नेतृत्वकर्ता और संगठनकर्ता के रूप में उभरकर सामने आए।
कथन (1) सत्य है, क्योंकि उन्नीसवीं सदी में आधुनिक शिक्षा प्रणाली ने पाश्चात्य शिक्षा को ग्रहण कर एक आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष, बुद्धिसंगत, जनतांत्रिक तथा राष्ट्रवादी राजनीतिक दृष्टिकोण को अपनाया और इसका प्रसार किया।
3. कथन (A) राष्ट्रीय आंदोलन आधुनिक शिक्षा प्रणाली की उपज थी । कारण (R) आधुनिक शिक्षा प्रणाली ने शिक्षित भारतीयों को पाश्चात्य विचार अपनाकर राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व संभालने तथा उसे एक जनतांत्रिक और आधुनिक शिक्षा देने में समर्थ बनाया।
कूट
(a) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है
(b) A और R दोनों सही हैं, परंतु R, A की सही व्याख्या नहीं है
(c) A सही, किंतु R गलत है
(d) A गलत, किंतु R सही है
उत्तर - (d)
व्याख्या- (A) गलत, किंतु (R) सही है । कथन (A) गलत है, क्योंकि राष्ट्रीय आंदोलन आधुनिक शिक्षा प्रणाली की उपज नहीं था, बल्कि वह ब्रिटेन तथा भारत के हितों के टकराव उत्पन्न परिस्थिति थी।
कारण (R) सत्य है, क्योंकि आधुनिक शिक्षा प्रणाली ने शिक्षित भारतीयों में पाश्चात्य विचारों और विचारकों के ज्ञान बोध की क्षमता प्रदान की, जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय आंदोलन को एक सही दिशा प्रदान करने में सक्षमता प्राप्त हुई।
4. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास के प्रमुख कारणों में शामिल नहीं था
(a) आर्थिक विकास
(b) प्रेस तथा साहित्य
(c) भारत के अतीत की खोज
(d) शासकों का जातीय दंभ
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास के प्रमुख कारणों में आर्थिक विकास शामिल नहीं था, जबकि प्रेस तथा साहित्य की भूमिका, भारत के अतीत की खोज एवं शासकों का जातीय दंभ आदि ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास को नई दिशा प्रदान की।
प्रेस व साहित्य वह महत्त्वपूर्ण साधन था, जिसके द्वारा भारतीयों ने देशभक्ति की भावनाओं का आधुनिक, आर्थिक सामाजिक व राजनीतिक रूप से प्रचार किया तथा एक अखिल भारतीय चेतना को जगाया। तत्कालीन समय के अनेक विद्वानों ने भारतीय राष्ट्रवादियों में भारत की राष्ट्रीय धरोहर व शासकों ( अशोक, चंद्रगुप्त आदि) की उपलब्धियों के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना की भावना को जाग्रत किया।
5. दादाभाई नौरोजी के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. इन्होंने अपने अर्थशास्त्रीय लेखन द्वारा यह सिद्ध किया कि भारत की गरीबी का कारण अंग्रेजों द्वारा उसका शोषण तथा यहाँ का धन ब्रिटेन भेजना था।
2. ये 2 बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (b)
व्याख्या- दादाभाई नौरोजी संबंध में कथन (2) असत्य है, क्योंकि दादाभाई नौरोजी जिन्हें 'ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया' भी कहा जाता है, ने दो नहीं, बल्कि तीन बार कांग्रेस के अधिवेशनों (1886 ई., 1893 ई. एवं 1906 ई.) की अध्यक्षता की थी।
कथन (1) सत्य है, क्योंकि दादाभाई नौरोजी भारत के पहले आर्थिक विचारक थे, जिन्होंने अपने अर्थशास्त्रीय लेखन 'धन निष्कासन के सिद्धांत' द्वारा यह सिद्ध किया कि भारत की गरीबी का कारण अंग्रेजों द्वारा उनका शोषण तथा यहाँ का धन ब्रिटेन भेजना था।
6. बंगाल के युवा राष्ट्रवादियों को ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की नीतियों से छूट दी गई थी, क्योंकि इसने आवाज उठाई थी
1. छोटे किसानों के लिए
2. जमींदारों के लिए
3. सामाजिक सुधार के लिए
कूट
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- बंगाल में युवा राष्ट्रवादियों को ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की नीतियों से छूट दी गई थी, क्योंकि इन राष्ट्रवादियों ने छोटे किसानों, जमींदारों तथा सामाजिक सुधार हेतु प्रयास करने प्रारंभ कर दिए थे। उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में भारत में अनेक राजनीतिक संगठनों की स्थापना हुई। इसी क्रम में 1851 ई. में बंगाल में ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की स्थापना, ब्रिटिश सरकार तक भारतीयों की शिकायतें पहुँचाने के लिए की गई थी।
7. इंडियन एसोसिएशन के संबंध में निम्न कथनों में से कौन-सा सत्य है?
(a) इंडियन एसोसिएशन, कांग्रेस से पूर्व राष्ट्रवादी संगठनों में सबसे महत्त्वपूर्ण संस्था थी।
(b) इसकी स्थापना सुरेंद्रनाथ बनर्जी एवं आनंद मोहन बोस के नेतृत्व में हुई थी।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) यह जुलाई, 1877 में मद्रास में स्थापित की गई थी।
उत्तर - (c)
व्याख्या- इंडियन एसोसिएशन के संबंध में कथन (a) और (b) सत्य हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से पूर्व राष्ट्रवादी संगठनों में सबसे महत्त्वपूर्ण संगठन इंडियन एसोसिएशन था। इसकी स्थापना जुलाई, 1876 में सुरेंद्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस के नेतृत्व में कलकत्ता में की गई थी। इस एसोसिएशन ने राजनीतिक रूप से भारतीय जनता को एकताबद्ध करने का लक्ष्य रखा था।
8. किस वर्ष में सुरेंद्रनाथ बनर्जी द्वारा अखिल भारतीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का सम्मेलन बुलाया गया था ?
(a) 1881 ई.
(b) 1882 ई.
(c) 1883 ई.
(d) 1885 ई.
उत्तर - (c)
व्याख्या- उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में अनेक राजनीतिक संगठनों की स्थापना के पश्चात् एक अखिल भारतीय संगठन बनाने की दिशा में प्रयास किए गए और इसी क्रम में 1883 ई. में सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने एक अखिल भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया, जिसे उस सम्मेलन के अध्यक्ष द्वारा एक राष्ट्रीय संसद की दिशा में पहला कदम बताया गया था।
9. बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन की स्थापना में कौन शामिल नहीं था?
(a) आनंद चारलू
(b) फिरोजशाह मेहता
(c) बदरुद्दीन तैयब जी
(d) के. टी. तेलंग
उत्तर - (a)
व्याख्या- बॉम्बे प्रेसीडेंसी ऐसोसिएशन की स्थापना में आनंद चारलू शामिल नहीं थे। पी. आनंद चारलू मद्रास महाजन सभा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन की स्थापना 1885 ई. में बंबई में फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयब जी तथा के. टी. तेलंग द्वारा की गई थी। बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन की स्थापना का उद्देश्य सरकारी पदों पर भारतीयों की नियुक्ति तथा भारत में सिविल सेवा परीक्षा को आयोजित कराने से संबंधित था।
10. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. 1878 ई. में पारित शस्त्र अधिनियम ने भारतीयों के हथियार रखने को प्रतिबंधित कर दिया था।
2. सरकार 1883 ई. में इल्बर्ट बिल लाई ।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है / हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। 1870 से 1880 के दशक की कुछ घटनाओं ने भारतीयों में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध असंतोष की स्थिति उत्पन्न की और इसी दौरान ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों की माँगों को पूरा करने के स्थान पर नए दमनकारी कदम उठाए। इसी क्रम में 1878 ई. में शस्त्र कानून लाया गया, जिसने भारतीयों के शस्त्र रखने पर प्रतिबंध लगा दिया।
इल्बर्ट बिल को 9 फरवरी, 1883 ई. में लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में लाया गया था। इस बिल के द्वारा भारतीय न्यायाधीशों को उन मामलों की सुनवाई करने का भी अधिकार भी दिया गया था, जिनमें यूरोपीय नागरिक शामिल होते थे, लेकिन भारत में रहने वाले अंग्रेजों और यूरोपवासियों के विरोध के कारण इसे वापस ले लिया गया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन कहाँ आयोजित किया गया था?
(a) कलकत्ता
(b) लाहौर
(c) बंबई
(d) पुणे
उत्तर - (c)
व्याख्या- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन 28 दिसंबर, 1885 को बंबई स्थित गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित किया गया था। इसकी अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी ने की थी और इसी अधिवेशन में कांग्रेस के उद्देश्य निश्चित किए गए थे।
2. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. जार्ज यूले 1888 ई. के इलाहाबाद अधिवेशन के अध्यक्ष थे।
2. सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने कांग्रेस के पहले तीन सत्रों में भाग नहीं लिया था।
3. अल्फ्रेड वेब कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता करने वाले पहले ब्रिटिश थे।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 2 और 3
उत्तर - (a)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (1) सत्य है ।
जॉर्ज यूले ने कांग्रेस के चौथे अधिवेशन की अध्यक्षता की थी, जो 1888 ई. में इलाहाबाद (प्रयागराज) में आयोजित किया गया था, इस अधिवेशन में कुल 1300 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
कथन (2) और (3) असत्य हैं, क्योंकि सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में भाग नहीं लिया था। तत्पश्चात् उन्होंने कांग्रेस के दूसरे अधिवेशन (1886, कलकत्ता) में भाग लिया था।
जॉर्ज यूले प्रथम अंग्रेज अध्यक्ष थे, जिन्होंने कांग्रेस की अध्यक्षता की थी, जबकि अल्फ्रेड वेब, जॉर्ज यूले और विलियम वेडरबर्न के बाद तीसरे ऐसे अंग्रेज थे, जिन्होंने कांग्रेस की अध्यक्षता (1894 मद्रास, 10वाँ अधिवेशन) की थी।
3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा / से कथन सत्य है / हैं?
(a) बदरुद्दीन तैयब जी कांग्रेस के पहले मुस्लिम अध्यक्ष थे।
(b) दादाभाई नौरोजी कभी भी कांग्रेस अध्यक्ष नहीं रहे।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) न तो 'a' और न ही '
उत्तर - (a)
व्याख्या- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संदर्भ में कथन (a) सत्य है। सैयद बदरुद्दीन तैयब जी प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष थे, जिन्होंने कांग्रेस के तीसरे अधिवेशन (1887, मद्रास) की अध्यक्षता की थी।
कथन (b) असत्य है, क्योंकि दादाभाई नौरोजी ने कांग्रेस के अधिवेशनों की अध्यक्षता तीन बार की थी, जो क्रमश: इस प्रकार है- दूसरा अधिवेशन (1886, कलकत्ता), 9वाँ अधिवेशन (1893, लाहौर) तथा 22वाँ अधिवेशन (1906, कलकत्ता ) ।
4. राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्यों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है ।
(a) देश में जनमत को प्रशिक्षित और संगठित करना ।
(b) राष्ट्रवादी राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करना।
(c) जाति, धर्म, प्रांत का भेदभाव किए बिना राष्ट्रीय एकता की भावना को विकसित तथा मजबूत करना।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्यों के संबंध में दिए गए सभी कथन सत्य हैं। कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन (1885 ई. में बंबई में आयोजित) में राष्ट्रीय कांग्रेस के कुछ उद्देश्य घोषित किए गए थे, जिनमें शामिल हैं
- देश के विभिन्न भागों के राष्ट्रवादी राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करना।
- जाति धर्म, प्रांत का भेद किए बिना राष्ट्रीय एकता की भावना को विकसित तथा मजबूत करना।
- जनप्रिय माँगों का निरूपण तथा उन्हें सरकार के समक्ष प्रस्तुत करना तथा देश में जनमत को प्रशिक्षित और संगठित करना ।
5. किसने कहा था ? "कांग्रेस पतन के लिए लड़खड़ा रही है और मेरी सबसे बड़ी अभिलाषा, जब तक मैं भारत में हूँ, कांग्रेस की शांतिपूर्ण समाप्ति में सहयोग करना है। "
(a) जॉर्ज इमिल्टन
(b) लॉर्ड कर्जन
(c) लॉर्ड डफरिन
(d) लॉर्ड मिंटो
उत्तर - (b)
व्याख्या- उपर्युक्त कथन लॉर्ड कर्जन ने कहा था। लॉर्ड कर्जन ने 1890 ई. में विदेश सचिव को बताया कि "कांग्रेस पतन के लिए लड़खड़ा रही है और सबसे बड़ी अभिलाषा है कि जब तक मैं भारत में हूँ तब तक कांग्रेस की शांतिपूर्ण समाप्ति में सहयोग करूँ। तात्कालिक वायसराय लॉर्ड डफरिन ने 1887 ई. में एक सार्वजनिक भाषण में राष्ट्रीय कांग्रेस पर आक्रमण किया तथा उसे जनता के एक सूक्ष्म भाग का प्रतिनिधि करने वाली संस्था कहा।
6. 1890 में कांग्रेस सत्र को संबोधित करने वाली कलकत्ता विश्वविद्यालय की पहली महिला स्नातक कौन थी ?
(a) विजयलक्ष्मी पंडित
(b) पंडित रमाबाई
(c) कादंबिनी गांगुली
(d) ऐनी बेसेंट
उत्तर - (c)
व्याख्या- 1890 ई. (कांग्रेस का छठा अधिवेशन, कलकत्ता) कांग्रेस सत्र को संबोधित करने वाली महिला कलकत्ता विश्वविद्यालय की पहली महिला स्नातक कादंबिनी गांगुली थी। इस अधिवेशन की अध्यक्षता फिरोजशाह मेहता ने की थी । इस अधिवेशन में यह संबोधन इस बात की ओर इंगित कर रहा था कि महिलाओं की स्थिति में सुधार होने की संभावना अपने प्राथमिक स्तर पर है ।
7. निम्नलिखित में से कौन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कभी अध्यक्ष नहीं चुना जा सका?
(a) लाला लाजपत राय
(b) ऐनी बेसेंट
(c) मोतीलाल नेहरू
(d) बाल गंगाधर तिलक
उत्तर - (d)
व्याख्या- बाल गंगाधर तिलक कभी भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं रहे। लाला लाजपत राय वर्ष 1920 में कोलकाता में विशेष अधिवेशन के अध्यक्ष थे। ऐनी बेसेंट ने 1917 ई. में कलकत्ता में आयोजित अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। गोपाल कृष्ण गोखले ने वर्ष 1905 में बनारस में आयोजित अधिवेशन की अध्यक्षता की थी, जबकि मोतीलाल नेहरू ने 1919 ई. में अमृतसर में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की थी।
8. आरंभिक राष्ट्रवादियों के कार्यक्रम और कार्यकलाप में कौन-सा शामिल था ?
(a) राष्ट्रीय भावनाओं को जगाना तथा मजबूत करना ।
(b) भारतीय जनता को राष्ट्रवादी राजनीति की धारा में लाना।
(c) राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय माँगों का निरूपण करना।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- आरंभिक राष्ट्रवादी नेताओं का विश्वास था कि देश की राजनीतिक मुक्ति के लिए सीधी कार्यवाही व्यावहारिक नहीं है, इसीलिए उन्होंने एक कार्यसूची तैयार की, जिनमें शामिल तत्त्व इस प्रकार थे
- राष्ट्रीय भावनाओं को जाग्रत करना तथा उन्हें मजबूती प्रदान करना।
- बड़ी संख्या में भारतीय जनता को राष्ट्रवादी राजनीति की धारा में शामिल करना।
- राजनीति और राजनीतिक आंदोलन हेतु उन्हें शिक्षित करना। देश में जनमत का संगठन करना।
- राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय माँगों का निरूपण करना।
9. कांग्रेस के उदारवादी नेताओं की विधि थी
(a) असहयोग
(b) संवैधानिक आंदोलन
(c) निष्क्रिय प्रतिरोध
(d) सविनय अवज्ञा
उत्तर - (b)
व्याख्या- कांग्रेस के उदारवादी नेताओं की विधि संवैधानिक आंदोलन की थी, क्योंकि वे अपनी मांगों को ब्रिटिश शासन के समक्ष नीतिगत और योजनाबद्ध तरीके से रखने के पक्षधर थे। 1885 ई. से 1892 ई. तक वे विधायी परिषदों के प्रसार और सुधार की माँग को लगातार उठाते रहे और उनके इस आंदोलन के दबाव स्वरूप ब्रिटिश सरकार को 1892 ई. में भारतीय परिषद् कानून लाना पड़ा था।
10. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारवादी नेताओं के संबंध में निम्न में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) उन्होंने भारत से धन निकासी की आलोचना की।
(b) उन्होंने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार की वकालत की।
(c) उन्होंने जमींदारों द्वारा भारतीय ग्रामीण लोगों के शोषण के मुद्दे को नजरअंदाज किया।
(d) उन्होंने ब्रिटेन की शाही अर्थव्यवस्था में भारत द्वारा निभाई गई महत्त्वपूर्ण भूमिका को समझा।
उत्तर - (c)
व्याख्या- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारवादी नेताओं के संबंध में कथन (c) सत्य नहीं है, क्योंकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारवादी नेताओं ने जमींदारों द्वारा भारतीय ग्रामीण लोगों के शोषण के मुद्दे को भी उठाया था न कि उसे नजरअंदाज किया था।
उदारवादी नेताओं में प्रमुख दादाभाई नौरोजी ने धन निष्कासन के सिद्धांत का प्रतिपादन किया, क्योंकि उस समय भारत से धन का निर्गमन ब्रिटेन की ओर हो रहा था और उन्होंने इस धन के दोहन को रोकने की माँग की। साथ ही किसानों पर करों का बोझ कम करने के लिए उदारवादियों ने जमीन की मालगुजारी घटाने के संबंध में निरंतर आंदोलन को जारी रखा। उन्होंने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया और इन्हें न अपनाने की जनता से भी अपील की।
11. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. आरंभिक राष्ट्रवादियों का आरंभ से यह विश्वास था कि भारत में अंततः लोकतांत्रिक स्वशासन लागू होना चाहिए।
2. आरंभिक राष्ट्रवादियों के दबाव के कारण ही ब्रिटिश सरकार को 1892 में भारतीय कानून पास करना पड़ा।
3. राष्ट्रवादी 1892 के कानून से पूर्णत: संतुष्ट थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1 और 3
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए कथनों में से कथन (3) असत्य है। ब्रिटिश सरकार द्वारा लाया गया 1892 का भारतीय परिषद् अधिनियम राष्ट्रवादियों को संतुष्ट करने में पूर्णतया असफल रहा, क्योंकि इस कानून के अंतर्गत शाही विधायी परिषद् तथा प्रांतीय परिषदों में संख्या को बढ़ाया गया। इनमें से कुछ सदस्यों को भारतीय अप्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुन सकते थे, परंतु बहुमत सरकारी सदस्यों का ही होता था। जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रवादियों ने परिषदों में भारतीय सदस्यों की संख्या बढ़ाने तथा उन्हें अधिक अधिकार दिए जाने की माँग उठाई और साथ ही उन्होंने सार्वजनिक धन पर भारतीयों के नियंत्रण की माँग की।
12. निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. वर्ष 1905 तक भारत के राष्ट्रीय आंदोलन पर उन लोगों का वर्चस्व था, जिनको प्रायः नरमपंथी राष्ट्रवादी कहा जाता है।
2. नरमपंथी कानून की सीमा में रहकर संवैधानिक सुधारों के पक्षधर थे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर - (c)
व्याख्या- दिए गए दोनों कथन सत्य हैं। 1885 से 1905 ई. तक के काल को भारतीय इतिहास में नरमपंथी राष्ट्रवाद के रूप में परिभाषित किया जाता है। अतः राष्ट्रीय आंदोलन का यह समय नरमपंथी राष्ट्रवादियों का था, क्योंकि इस समय की आंदोलन संबंधी गतिविधियों पर पूर्ण नियंत्रण और वर्चस्व नरमपंथी राष्ट्रवादियों का था।
नरमपंथी राष्ट्रवादी कानून की सीमा के अंतर्गत सांविधानिक आंदोलन और व्यवस्थित तरीके से राजनीतिक प्रगति पक्षधर थे। उनका विश्वास था कि यदि जनमत को उभारा और संगठित किया जाए और प्रार्थना पत्रों, सभाओं, प्रस्तावों तथा भाषणों के द्वारा अधिकारियों तक जनता की माँगों को पहुँचाया जाए, तो वे धीरे-धीरे एक-एक करके इन माँगों का पूरा करेंगे। -
13. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की 'ब्रिटिश समिति' की स्थापना कब की गई थी ?
(a) 1886 ई. में
(b) 1889 ई. में
(c) 1892 ई. में
(d) 1896 ई. में
उत्तर - (b)
व्याख्या- 1889 ई. में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक 'ब्रिटिश समिति' की स्थापना गई थी। इस समिति ने 1890 ई. में 'इंडिया' नामक एक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया था। इस समिति का उद्देश्य ब्रिटेन में जनता के लिए भारतीय मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था, जिसके लिए भारत सरकार उत्तरदायी थी। इसके लिए दादाभाई नौरोजी और व्योमेश चंद्र बनर्जी ने इंग्लैंड में रहकर भारत के संदर्भ में हितकारी कानूनों के निर्माण के लिए कार्य किया।
14. वह कौन-सा कारण था, जिससे जनता को आभास हुआ कि सरकार व्यापक राजनीतिक अधिकार देने के बजाय उन्हें मिले थोड़े से अधिकार भी छीन रही है?
(a) वर्ष 1898 में बना एक कानून जिसमें विदेशी शासन के प्रति असंतोष की भावना' फैलाने को अपराध घोषित किया गया।
(b) 1904 में बना इंडियन ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट |
(c) 1897 में लोकमान्य तिलक और दूसरे समाचार पत्र संपादकों को विदेशी सरकार के विरुद्ध जनता को भड़काने के आरोप में जेल की लंबी सजाएँ देना।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- उपर्युक्त वर्णित सभी परिस्थितियों ने एक उग्र वातावरण का विकास किया, जिसने राष्ट्रीय आंदोलन को तीव्रता प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1892 ई. और 1905 ई. के बीच घटित राजनीतिक घटनाओं ने राष्ट्रवादियों को उग्र राजनीति के बारे में सोचने के लिए बाध्य किया, जिनमें 1892 ई. का इंडियन कौंसिल एक्ट महत्त्वपूर्ण था।
इसके अतिरिक्त, 1898 में बनाया गया कानून, जिसके अंतर्गत कलकत्ता नगर निगम में भारतीयों की सदस्य संख्या को कम कर दिया गया, जिसने लोगों में विदेशी शासन के प्रति असंतोष की भावना को जाग्रत किया।
साथ ही वर्ष 1904 में इंडियन ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के द्वारा प्रेस की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया गया और 1897 ई. में नाटू भाइयों को बिना मुकदमा चलाए देश से बाहर जाने की सजा दे दी गई ।
15. निम्न में से किसका संबंध उग्र राष्ट्रवादी विचारधारा से था?
(a) अश्विनी कुमार दत्त
(b) विष्णुशास्त्री चिपलुंकर
(c) गोविंद रानाडे
(d) 'a' और 'b' दोनों
उत्तर - (d)
व्याख्या- उग्र राष्ट्रवाद की विचारधारा के समर्थक बंगाल में राजनारायण बोस और अश्विनी कुमार दत्त तथा महाराष्ट्र में विष्णु शास्त्री चिपलुंकर जैसे नेता थे। इस विचारधारा के सबसे प्रमुख अग्रदूत बाल गंगाधर तिलक थे।
उग्र राष्ट्रवादी विचारधारा के समर्थकों का विश्वास था कि ये अपनी मांगों को ब्रिटिशों के सामने क्रांतिकारी रूप से रखेंगे।
16. बाल गंगाधर तिलक के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. उन्होंने अंग्रेजी भाषा में 'मराठा' तथा मराठी भाषा में 'केसरी' नामक पत्रों का संपादन किया।
2. 1893 ई. में गणपति उत्सव तथा 1895 में शिवाजी महोत्सव का आयोजन आरंभ किया।
3. 1896-97 ई. में उन्होंने महाराष्ट्र में कर न चुकाने का आंदोलन चलाया।
4. 1899 ई. में उन्हें राजद्रोही लेखों के कारण 12 महीने की सजा हुई।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
(a) 1 और
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) 3 और 4
उत्तर - (c)
व्याख्या- बाल गंगाधर तिलक के संबंध में कथन (1), (2) और (3) सत्य हैं। उग्रवादी विचारधारा के व्यक्तित्व बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजी में 'मराठा' तथा मराठी भाषा 'केसरी' नामक पत्रों का प्रकाशन किया। इनके माध्यम से उन्होंने राष्ट्रवाद का प्रसार किया।
उन्होंने राष्ट्रवाद के प्रचार हेतु 1893 ई. में परंपरागत धार्मिक उत्सव (गणपति उत्सव) को प्रारंभ किया। साथ ही 1895 ई. में उन्होंने 'शिवाजी उत्सव को आरंभ किया, जिसका उद्देश्य महाराष्ट्रीय युवकों के अनुकरण हेतु राष्ट्रवाद की भावना को जाग्रत करना था।
1896-97 ई. में बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र में कर न चुकाने का अभियान चलाया था। साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र के अकाल पीड़ित किसा मालगुजारी न देने की अपील की थी।
कथन (4) असत्य है, क्योंकि बाल गंगाधर तिलक को सरकार के विरुद्ध घृणा और असंतोष भड़काने के आरोप में 1899 ई. में नहीं, बल्कि 1897 में 12 महीने की सजा के बजाय 18 महीने की सजा सुनाई गई थी।
17. उग्र राष्ट्रवादियों के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) विपिनचंद्र पाल, अरविंद घोष और लाला लाजपत राय आदि प्रमुख उग्र राष्ट्रवादी नेता थे।
(b) उनका मत था कि भारतीयों को मुक्ति स्वयं अपने प्रयासों से ही प्राप्त होगी।
(c) उनका मानना था कि भारत अंग्रेजों के 'कृपापूर्ण मार्गदर्शन' और नियंत्रण में प्रगति कर सकता है।
(d) उनका मानना था कि स्वराज या स्वाधीनता ही राष्ट्रीय आंदोलन का लक्ष्य है।
उत्तर - (c)
व्याख्या- उग्र राष्ट्रवादियों के संबंध में कथन (c) असत्य है। उग्र राष्ट्रवादियों का यह मानना था कि भारत अंग्रेजों के 'कृपापूर्ण मार्गदर्शन' और 'नियंत्रण' में प्रगति नहीं कर सकता, वे विदेशी शासन के विरुद्ध थे और उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन का एकमात्र लक्ष्य स्वराज या स्वाधीनता को माना था।
18. उग्र राष्ट्रवाद के विकास के प्रमुख कारणों के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) नरमपंथियों के नेतृत्व में पहले के विरोधी आंदोलन का कोई विशेष परिणाम न निकलना।
(b) बंगाल में हिंदुओं तथा मुसलमानों में फूट डालने का प्रयत्न ।
(c) 'a' और 'b' दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (c)
व्याख्या- उग्र राष्ट्रवाद के विकास के प्रमुख कारणों के संबंध में कथन (a ) और (b) दोनों सत्य है। बंगाल विभाजन विरोधी आंदोलन का कोई परिणाम न निकल पाने के कारण जल्द ही यह आंदोलन तिलक, विपिनचंद्र पाल और अरविंद घोष जैसे उग्र राष्ट्रवादियों के हाथों में पहुँच गया, जिसके निम्न कारण थे
- नरमपंथियों के नेतृत्व में पूर्व के आंदोलनों का कोई भी सार्थक परिणाम न निकल पाना।
- बंगाल के दोनों भागों, विशेषकर पूर्वी बंगाल की सरकार द्वारा हिंदू-मुस्लिमों के बीच वैमनस्य की भावना का विकास किए जाने का प्रयत्न करना ।
19. वर्ष 1905 के कांग्रेस के बनारस अधिवेशन के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) इस अधिवेशन की अध्यक्षता गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी।
(b) इस अधिवेशन में स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन का विरोध किया गया।
(c) इस अधिवेशन में गरमपंथी स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन को बंगाल तक सीमित रखने के पक्षधर थे।
(d) ‘b’ और ‘c' दोनों
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1905 के कांग्रेस के बनारस अधिवेशन के संबंध में कथन (b) और (c) असत्य हैं।
वर्ष 1905 के बनारस अधिवेशन की अध्यक्षता गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी और बंगाल विभाजन तथा कर्जन के प्रतिक्रियावादी शासन की इस अधिवेशन में निंदा भी की गई थी। इस अधिवेशन में स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन का समर्थन किया गया था।
नरमपंथी तथा गरमपंथी राष्ट्रवादियों के बीच इस मुद्दे पर सार्वजनिक बहस भी हुई थी। गरमपंथी इस आंदोलन को बंगाल बाहर देशभर में फैलाने के पक्षधर थे तथा औपनिवेशिक सरकार के साथ किसी रूप में भी जुड़ना नहीं चाहते थे, जबकि नरमपंथी इस आंदोलन को केवल बंगाल तक सीमित रखना चाहते थे।
20. कांग्रेस में पहली बार विभाजन किस अधिवेशन में हुआ था ?
(a) 1905 के बनारस अधिवेशन में
(b) 1907 के सूरत अधिवेशन में
(c) 1896 के कलकत्ता अधिवेशन में
(d) 1916 के लखनऊ अधिवेशन में
उत्तर - (b)
व्याख्या- कांग्रेस में पहली बार विभाजन 1907 में सूरत अधिवेशन के दौरान हुआ था, जब नरम दल और गरम दल में संघर्ष हुआ था, इस अधिवेशन की अध्यक्षता रासबिहारी बोस ने की थी। इस अधिवेशन के पश्चात् कांग्रेस पर पूर्णतया नरमदल का अधिकार हो गया था और गरम दल कांग्रेस से अलग होकर सक्रिय रूप से कार्य करता रहा। नौ वर्षों के बाद 1916 के लखनऊ अधिवेशन में दोनों पक्षों का पुनः एकीकरण हुआ था, लखनऊ अधिवेशन (1916) की अध्यक्षता अम्बिकाचरण मजूमदार ने की थी।
1. आरंभ में बंग-भंग विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किसके हाथ में था?
(a) सुरेंद्रनाथ बनर्जी
(b) रवींद्रनाथ टैगोर
(c) अरविंद घोष
(d) बी. जी. तिलक
उत्तर - (a)
व्याख्या- आरंभ में बंग भंग विरोधी आंदोलन के प्रमुख नेता सुरेंद्रनाथ बनर्जी और कृष्ण कुमार मित्र जैसे नरमपंथी नेता थे, परंतु बाद में इस आंदोलन का नेतृत्व उग्र और क्रांतिकारी राष्ट्रवादियों ने सँभाल लिया। आरंभ में बंग-भंग विरोधी आंदोलन से प्रेरित स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन बंगाल के संपूर्ण राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रयासों के कारण था, न कि आंदोलन के किसी एक भाग के आरंभ में।
2. बंग-भंग विरोधी आंदोलन के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) बंगाल विभाजन 16 अक्टूबर, 1905 को लागू हुआ।
(b) बंगाल विभाजन के दिन को पूरे बंगाल में शोक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
(c) इस आंदोलन के समय ही रवींद्रनाथ ठाकुर ने अपना प्रसिद्ध गीत 'आमार सोनार बांग्ला' लिखा।
(d) इस आंदोलन ने हिंदुओं तथा मुसलमानों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा दिया।
उत्तर - (d)
व्याख्या- बंग-भंग विरोधी आंदोलन के संबंध में कथन (d) असत्य है, क्योंकि बंग-भंग विरोधी आंदोलन ने हिंदुओं तथा मुसलमानों के बीच वैमनस्य की भावना को बढ़ावा नहीं दिया, बल्कि इस आंदोलन ने बंगाल और बंगालियों की अटूट एकता के प्रतीक के रूप में - मुसलमानों के बीच के भाव को और अधिक सुदृढ़ किया और दोनों धर्मों के लोगों ने एक-दूसरे की कलाइयों पर राखियाँ बाँधकर अपनी भावना को दर्शाया।
3. 'वंदे मातरम्' का प्रथम बार व्यापक स्तर पर प्रयोग किस आंदोलन के दौरान किया गया था?
(a) बंग-भंग विरोधी आंदोलन
(b) होमरूल आंदोलन
(c) असहयोग आंदोलन
(d) सविनय अवज्ञा आंदोलन
उत्तर - (a)
व्याख्या- 'वंदे मातरम्' का प्रथम बार व्यापक स्तर पर प्रयोग बंग-भंग विरोधी आंदोलन के दौरान किया गया था। इस आंदोलन के दौरान कलकत्ता की सड़कों पर वंदे मातरम् की गूँज ने आंदोलन को एक नई दिशा प्रदान की और यह गीत रातों-रात बंगाल का राष्ट्रीय गीत बन गया, इस गीत को बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था।
4. स्वदेशी और बहिष्कार पहली बार किस घटना के दौरान संघर्ष की विधि के रूप में अपनाए गए थे?
(a) बंगाल विभाजन
(b) होमरूल आंदोलन
(c) असहयोग आंदोलन
(d) साइमन कमीशन की भारत यात्रा
उत्तर - (a)
व्याख्या- स्वदेशी और बहिष्कार पहली बार बंगाल विभाजन के संघर्ष की विधि के रूप में अपनाए गए। बंगाल के नेताओं को जब यह अनुभव हुआ कि केवल प्रदर्शनों, सार्वजनिक सभाओं और प्रस्तावों के माध्यम से ब्रिटिश सरकार बंगाल विभाजन को वापस नहीं लेने वाली है, तो विरोधस्वरूप उन लोगों ने बंग-भंग विरोधी आंदोलन को नई दिशा प्रदान करने हेतु स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन को मुख्य रूप से प्रारंभ कर दिया।
5. स्वदेशी आंदोलन के परिणामस्वरूप क्या परिवर्तन हुए?
(a) अनेक कपड़ा मिलें, साबुन और माचिस के कारखानें, हैंडलूम के उद्यम तथा राष्ट्रीय बैंक और बीमा कंपनियाँ खुलीं ।
(b) राष्ट्रवादी काव्य, गद्य और पत्रकारिता का विकास हुआ।
(c) 15 अगस्त, 1906 को एक राष्ट्रीय शिक्षा परिषद् की स्थापना की गई।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- स्वदेशी आंदोलन के परिणामस्वरूप निम्नलिखित परिवर्तन हुए स्वदेशी आंदोलन का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष आत्मनिर्भरता या आत्मशक्ति पर दिया जाने वाला बल था। आर्थिक क्षेत्र में इसका अर्थ देशी उद्योगों व अन्य उद्यमों को बढ़ावा देना था। इस आंदोलन के दौरान अनेक कपड़ा मिलें, साबुन और माचिस के कारखाने, हैंडलूम के उद्यम, राष्ट्रीय बैंक और बीमा कंपनियाँ खोली गईं। राष्ट्रवादी काव्य, गद्य और पत्रकारिता का विकास हुआ, जिनमें रवींद्रनाथ ठाकुर, रजनीकांत सेन, सैयद अबू मुहम्मद और मुकुंद दास आदि ने देशभक्ति से ओत-प्रोत गीतों की रचना की।
इसी दौरान शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति हेतु 15 अगस्त, 1906 में एक राष्ट्रीय शिक्षा परिषद् की स्थापना की गई और कलकत्ता में एक राष्ट्रीय कॉलेज का आरंभ हुआ, जिसके प्रधानाचार्य अरविंद घोष थे।
6. स्वदेशी आंदोलन के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए
1. इस आंदोलन में बंगाल के छात्रों ने प्रमुख भूमिका निभाई।
2. इस आंदोलन में महिलाएँ शामिल नहीं थीं।
3. मुस्लिमों ने इस आंदोलन से दूरी बनाए रखी।
4. इस आंदोलन में जमींदारों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन असत्य है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (b)
व्याख्या- स्वदेशी आंदोलन के संबंध में कथन (2) और (3) असत्य हैं। स्वदेशी आंदोलन में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी एक महत्त्वपूर्ण पहलू था। शहरी मध्य वर्ग की महिलाएँ जुलूसों और धरनों में शामिल हुईं और इसके बाद से उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन में निरंतर अपनी भूमिका का निर्वहन किया।
इस आंदोलन में अनेक प्रमुख मुस्लिम नागरिकों ने भी शिरकत की, जिसमें प्रसिद्ध वकील अब्दुर्रसूल, लोकप्रिय आंदोलनकारी लियाकत अली और व्यापारी गजनवी प्रमुख थे। इसके बावजूद अनेक मुसलमान अपना हित चाहते हुए आंदोलन में शामिल नहीं हुए।
7. बंगाल 1905 ई. में विभाजित हुआ, जिसके विरोध के फलस्वरूप यह दुबारा एकीकृत हुआ
(a) वर्ष 1906 में
(b) वर्ष 1916 में
(c) वर्ष 1911 में
(d) वर्ष 1909 में
उत्तर - (c)
व्याख्या- वर्ष 1911 में ब्रिटिश शासक जॉर्ज पंचम तथा महारानी मैरी के भारत आगमन पर दिल्ली में दरबार आयोजित हुआ। इस दरबार में बंगाल विभाजन की प्रक्रिया को रखकर पुनः बंगाल को एकीकृत करने की घोषणा की गई।
क्रांतिकारी आंदोलन : प्रथम चरण
1. निम्न में से किस संगठन की स्थापना वी. डी. सावरकर द्वारा की गई थी?
(a) युगांतर भारत
(b) अनुशीलन समिति
(c) हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन
(d) अभिनव भारतं
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1904 ई. में विनायक दामोदर सावरकर ने 'अभिनव भारत नामक क्रांतिकारियों के एक गुप्त संगठन की स्थापना की थी। इसे प्रारंभ में 'मित्र मेला' के रूप में नासिक में स्थापित किया गया था, जब वी. डी सावरकर छात्र थे।
2. निम्न में से कौन-सा/से क्रांतिकारी समाचार पत्र है /हैं?
(a) काल
(b) संध्या
(c) युगांतर
(d) ये सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- 1905 ई. के बाद अनेक समाचार पत्रों ने क्रांतिकारी आंदोलन को एक नई भूमिका प्रदान की। इनमें बंगाल में 'संध्या' और 'युगांतर' तथा महाराष्ट्र के 'काल' समाचार पत्र प्रमुख थे।
'संध्या' समाचार पत्र वर्ष 1906 में को ब्रह्मबांधव उपाध्याय द्वारा, युगांतर समाचार पत्र को वर्ष 1916 में बारींद्र कुमार घोष द्वारा और 'काल' पत्र को वर्ष 1898 में शिवराम महादेव परांजपे के द्वारा प्रकाशित किया गया था।
3. निम्न में से कौन मुजफ्फरपुर बम कांड से संबंधित था?
(a) खुदीराम बोस
(b) प्रफुल्लचंद चाकी
(c) रास बिहारी बोस
(d) 'a' और 'b' दोनों
उत्तर - (d)
व्याख्या- खुदीराम बोस तथा प्रफुल्ल चाकी ने मुजफ्फरपुर में जज किंग्सफोर्ड की बग्घी पर बम फेंका था, जिसे मुजफ्फरपुर बम कांड (1908) के नाम से जाना जाता है।
हालाँकि इस घटनाक्रम के पश्चात् प्रफुल्ल चाकी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए खुद को गोली मार ली तथा खुदीराम बोस पर मुकदमा चलाया गया और अंतत: उन्हें भी फाँसी दे दी गई। इस घटना के बाद भारतीय इतिहास में क्रांतिकारी आतंकवाद का आंदोलन आरंभ हो चुका था।
1. मुस्लिम लीग की स्थापना के समय ब्रिटिश वायसराय कौन था ?
(a) लॉर्ड मिंटो
(b) लॉर्ड कर्जन
(c) लॉर्ड इरविन
(d) लॉर्ड चेम्सफोर्ड
उत्तर - (a)
व्याख्या- मुस्लिम लीग की स्थापना के समय 1906 ई. में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड मिंटो II था। इसकी स्थापना का श्रेय आगा खाँ और ढाका के नवाब सलीमुल्लाह को जाता है।
मुस्लिम लीग की स्थापना से संबंधित एक संप्रदाय, जिसकी अगुवाई आगा खाँ कर रहे थे, तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मिंटो से शिमला में मिला था और उसके पश्चात् मुस्लिम लीग एक दल के रूप में स्थापित हुई।
2. निम्नलिखित में किसने ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना की थी ?
(a) सर सैयद अहमद खाँ
(b) मोहम्मद इकबाल
(c) आगा खान
(d) नवाब सलीमुल्लाह खान
उत्तर - (d)
व्याख्या- वर्ष 1906 में नवाब सलीमुल्लाह खान के नेतृत्व में ढाका में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना हुई। शिक्षित मुसलमानों और बड़े मुस्लिम नवाबों के बीच अलगाववादी प्रवृत्तियों का विकास हुआ।
3. मुस्लिम लीग का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
(a) भारत के मुसलमानों में ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादारी की भावना जगाना।
(b) भारतीय मुसलमानों के राजनीतिक अधिकारों और हितों की रक्षा की घोषणा करना ।
(c) लीग के दूसरे उद्देश्यों पर अडिग रहते हुए दूसरे समुदायों के प्रति किसी प्रकार के विरोध की भावना को रोकना।
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर - (d)
व्याख्या- अंग्रेजों की 'फूट डालो और राज करो' नीति का एकमात्र उद्देश्य हिंदुओं और मुसलमानों को पृथक् करना था और अंग्रेज, मुस्लिम लींग की स्थापना होने के पश्चात् अपनी इस नीति में कामयाब भी हो गए। मुस्लिमों का एक उच्च वर्गीय समुदाय अंग्रेजों के पक्ष में था, जिसके प्रतिनिधिमंडल ने ब्रिटिश वायसराय से मिलकर एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें निम्न बातें शामिल थीं
- मुस्लिम लीग का लक्ष्य ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादारी कायम रखने का होगा।
- मुस्लिमों के हितों की रक्षा करना और उसमें वृद्धि करना।
- भारत के अन्य समुदायों के प्रति मुसलमानों में शत्रुता की भावना को पनपने नहीं देना।
4. 'अल हिलाल' नामक समाचार पत्र का संपादन किसके द्वारा किया गया था?
(a) हसरत मोहानी
(b) सर सैयद अहमद खाँ
(c) अबुल कलाम आजाद
(d) मुहम्मद अली जिन्ना
उत्तर - (c)
व्याख्या- 'अल हिलाल' नामक समाचार पत्र का संपादन 1912 ई. में मौलाना अबुल कलाम आजाद ने महज 24 वर्ष की अवस्था में किया था। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान राष्ट्रवादी भावनाएँ पारंपरिक मुसलमान उलेमाओं के एक भाग के रूप में भी उभर रही थी। इनका नेतृत्व मदरसा देवबंद करता था। इन विद्वानों में सबसे प्रमुख मौलाना अबुल कलाम आजाद थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपनी सक्रिय भागीदारी को मजबूती के साथ निभाया था।
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