NCERT EXAMPLAR SOLUTION | CLASS 9TH | SCIENCE (विज्ञान) | Tissues ऊत्तक
1. निम्नलिखित में से कौन-से ऊतक में मृत कोशिकाएँ पाई जाती है?
(a) मृदूतक / Parenchyma
(b) दृढ़ोतक / Sclerenchyma
(c) स्थूलकोणांतक / Collenchyma
(d) उपकला ऊतक / Epithelial tissue
2. गलत वाक्य को चुनिए
(a) मृदूतक ऊतकों में अंतराकोशिका स्थान होते है।
(b) स्थूलकोण ऊतकों की कोशिकाओं के कोने अनियमित रूप से मोटे हो जाते है।
(c) शीर्षस्थ एवं अंतर्विष्ट विभाज्योतक स्थायी ऊतक होते है।
(d) विभाज्यांतकी कोशिकाओं की प्रारंभिक अवस्था में रसधानियाँ नहीं होती है।
उत्तर - (c)
3. तने की परिधि निम्नलिखित के कारण बढ़ती है
(a) शीर्षस्थ विभाज्योतक
(b) पाश्र्व विभाज्योतक
(c) अंतर्विष्ट विभाज्योतक
(d) ऊर्ध्व विभाज्योतक
उत्तर - (b)
4. कौन-सी कोशिका में छिद्रिल कोशिकाभित्ति नहीं होती?
(a) वाहिनिकाएँ
(b) सहचर कोशिकाएँ
(c) चालनी नलिकाएँ
(d) वाहिकाएँ
उत्तर - (a)
5. आंत्र पचे हुए भोजन को अवशोषित करती है। उपकला कोशिकाओं का कौन-सा प्रकार इसके लिए उत्तरदायी है?
(a) स्तरित शल्की उपकला
(b) स्तंभाकार उपकला
(c) तर्क रेशे उपकला
(d) घनाकार उपकला
उत्तर - (b)
6. किसी व्यक्ति की दुर्घटना में हाथ की दोनों बड़ी हड्डियाँ (अस्थियाँ) अपने स्थान से हट गईं। निम्नलिखित में से कौन-सा संभावित कारण हो सकता है?
(a) कंडरा का टूटना
(b) कंकाल पेशी का टूटना
(c) स्नायु का टूटना
(d) एरियोलर (गर्तिका) ऊतक का टूटना
उत्तर - (c)
7. काम करते समय एवं दौड़ते समय आप अपने हाथ-पैर आदि अंगों को हिलाते है। निम्नलिखित में कौन-सा कथन सही है?
(a) चिकनी पेशियाँ संकुचित होकर अस्थियों को चलायमान करने के लिए स्नायु को खींचती है।
(b) चिकनी पेशियाँ संकुचित होकर अस्थियों को चलायमान करने के लिए कंडराओं को खींचती है।
(c) कंकाल पेशियाँ संकुचित होकर अस्थियों को चलायमान करने के लिए स्नायु को खींचती है।
(d) कंकाल पेशियाँ संकुचित होकर अस्थियों को चलायमान करने के लिए कंडराओं को खींचती है।
उत्तर - (d)
8. कौन-सा पेशी-युग्म अनैच्छिक पेशियों के रूप में कार्य करता है?
(i) स्तरित पेशियाँ
(ii) चिकनी पेशियाँ
(iii) हृद पेशियाँ
(iv) कंकाल पेशियाँ
(a) (i) तथा (ii)
(b) (ii) तथा (iii)
(c) (iii) तथा (iv)
(d) (i) तथा (iv)
उत्तर - (b)
9. पादपों में विभाज्योतक ऊतक
(a) स्थानीकृत एवं स्थायी होते है
(b) कुछ भागों तक वे सीमित नहीं होते है
(c) स्थानीकृत एवं विभाजनकारी कोशिकाओं के बने होते है
(d) परिमाण में बढ़ते रहते है
उत्तर - (c)
10. निम्नलिखित में से बाह्य त्वचा (एपिडर्मिस) का कौन-सा कार्य नहीं है?
(a) प्रतिकूल परिस्थितियों से बचाव
(b) गैसीय विनिमय
(c) जल संवहन
(d) वाष्पोत्सर्जन
उत्तर - (c)
11. अशुद्ध वाक्य को चुनिए
(a) रूधिर के आधात्री (मैट्रिक्स) में प्रोटीन, लवण एवं हार्मोन होते है
(b) दो अस्थियाँ, स्नायु की वजह से जुड़ी होती है
(c) कंडरा, रेशेहीन एवं कमजोर (फ्रेजाइल) ऊतक होते है
(d) उपास्थि संयोजी ऊतक का एक प्रकार है
उत्तर - (c)
12. निम्न में से किसमें उपास्थि नहीं पाई जाती है -
(a) नाक / Nose
(b) कान / Ear
(c) वृक्क / Kidney
(d) कंठ / Larynx
उत्तर - (c)
13. मानव शरीर में वसा निम्नलिखित में भंडारित होती है -
(a) घनाकार उपकला
(b) वसा ऊतक
(c) अस्थियाँ
(d) उपास्थि
उत्तर - (b)
14. अस्थि आधात्री में किसकी अधिक मात्रा होती है -
(a) फ्लुओराइड एवं कैल्सियम की
(b) कैल्सियम एवं फॉस्फोरस की
(c) कैल्सियम एवं पोटैशियम की
(d) फॉस्फोरस एवं पोटैशियम की
उत्तर - (b)
15. संकुचनशील प्रोटीन पाई जाती है -
(a) अस्थियों में
(b) रुधिर में
(c) पेशियों में
(d) उपास्थि में
उत्तर - (c)
16. ऐच्छिक पेशी पाई जाती है -
(a) आहार-नाल में
(b) पाद में
(c) आँख की परितारिका (आइरिस) में
(d) फेफड़ों (फुफ्फुस) की श्वसनी में
उत्तर - (b)
17. तंत्रिका - ऊतक कहाँ नहीं पाए जाते है
(a) मस्तिष्क में
(b) मेरुरज्जु में
(c) कंडराओं में
(d) तंत्रिका में
उत्तर - (c)
18. तंत्रिका कोशिका में कौन नहीं होता-
(a) तंत्रिकाक्ष
(b) तंत्रिका के अंतिम सिरे
(c) कंडराएँ
(d) द्रुमिका (डेंड्राइट)
उत्तर - (c)
19. निम्नलिखित में से कौन-सी संरचना ऊतकों की मरम्मत तथा अंगों में खाली स्थान को भरने में सहायता करती है ?
(a) कंडरा / Tendon
(b) वसा ऊतक / Adipose tissue
(c) गर्तिका (एरियोलर) / Areolar
(d) उपास्थि / Cartilage
उत्तर - (c)
20. निम्नलिखित में कौन-सा पेशीय ऊतक है जो बिना थके जीवन भर लगातार कार्य करता रहता है ?
(a) कंकाल पेशी
(b) हृद पेशी
(c) चिकनी पेशी
(d) ऐच्छिक पेशी
उत्तर - (b)
21. निम्नलिखित में से कौन-सी कोशिकाएँ शरीर के उपास्थिमय ऊतकों में पाई जाती है ?
(a) मास्ट कोशिकाएँ
(b) क्षारकरोगी (बेसोफिल)
(c) ऑस्टियोसाइट
(d) उपास्थि अणु
उत्तर - (d)
22. फ्लोएम में पाए जाने वाले निर्जीव पदार्थ है
(a) सहचर कोशिकाएँ
(b) फ्लोएम तंतु
(c) फ्लोएम मृदूतक
(d) चालनी नलिकाएँ
उत्तर - (b)
23. निम्नलिखित में से किसमें परिपक्वता के समय केंद्रक लोप नहीं होता है ?
(a) सहचर कोशिकाएँ
(b) लाल रुधिर कणिकाएँ
(c) वहिकाएँ
(d) चालनी नलिका कोशिकाएँ
उत्तर - (a)
24. मरुस्थलीय पादपो में, जल-ह्रास की दर में निम्नलिखित में से किसके कारण कमी आती है?
(a) उपत्वचा (क्यूटिकल) / Cuticle
(b) स्टोमेटा / Stomata
(c) लिग्निन / Lignin
(d) सुबेरिन / Suberin
उत्तर - (a)
25. एक लंबे वृक्ष में अनेक शाखाएँ होती है। इन सभी शाखाओं में जल के पाश्र्वय संवहन में सहायता करने वाले ऊतक है
(a) स्थूलकोणोतक / Collenchyma
(b) जाइलम मृदूतक / Xylem parenchyma
(c) मृदूतक (पैरेंकाइमा) / Parenchyma
(d) जाइलम वाहिकाएँ / Xylem vessels
उत्तर - (a)
26. खेत में उगे गन्ने के पौधे के अग्र भाग को यदि काट कर हटा दिया जाए, तो भी यह पौधा लंबाई में बढ़ता रहता है। ऐसा निम्नलिखित में से किस कारण होता है?
(a) एधा (कैंबियम) / Cambium
(b) शीर्षस्थ विभाज्योतक / Apical meristem
(c) पाश्र्वय विभाज्योतक / Lateral meristem
(d) अंतर्वेशी विभाज्योतक / Intercalary meristem
उत्तर - (d)
27. एक कील को वृक्ष के तने में भूमि सतह से एक मीटर की ऊंचाई पर ठोक दिया गया है। तीन वर्ष के पश्चात् यह कील-
(a) निचले स्तर पर आ जाएगी / Move downwards
(b) उच्चतर स्तर पर आ जाएगी / Move upwards
(c) उसी स्थान पर बनी रहेगी / Remain at the same position
(d) पार्श्व में पहुँच जाएगी / Move sideways
उत्तर - (c)
28. मृदूतक कोशिकाएँ होती है-
(a) अपेक्षाकृत अविशिष्टीकृत एवं पतली भित्ति वाली
(b) मोटी भित्तियुक्त एवं विशिष्टीकृत
(c) लिग्निनयुक्त
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर - (a)
29. पादपों में लचीलापन निम्नलिखित में से किसके कारण होता है ?
(a) स्थूलकोणोतक / Collenchyma
(b) दृढ़ोतक / Sclernchyma
(c) मृदूतक / Parenchyma
(d) हरित ऊतक / Chlorenchyma
उत्तर - (a)
30. कॉर्क कोशिकाओं में निम्नलिखित में से किसकी उपस्थिति होने से उनकी जल तथा गैसों के लिए पारगम्यता समाप्त हो जाती है?
(a) सेलुलोस / Cellulose
(b) लिपिड / Lipids
(c) सुबेरिन / Suberin
(d) लिग्निन / Lignin
उत्तर - (c)
DISCUSSION
1. (b) दृढ़ ऊतक को स्कलेरेनकाइमा ऊतक भी कहते है।
इस ऊतक की कोशिकाएँ लंबी, मोटी एवं लिग्निनयुक्त होती है।
कोशिका द्रव्य की अनुपस्थिति होने के कारण इनकी कोशिकाएँ मृत (dead) होती है।
यह ऊतक पौधों को कठोरता एवं मजबूती प्रदान करता है।
इसके कोशिकाएँ एक-दूसरे के बहुत समीप होती है, जिसके कारण इनके मध्य अन्तरका स्थान नहीं पाया जाता है।
यह ऊतक तनों में संवहन बंडल (Vasular Bundle ) के समीप, पत्तों की शिराओं (vein) में तथा बीजों और फलों के रेशेयुक्त छिलकों में पाया जाता है।
यह पौधों के आंतरिक भागों की रक्षा करता है।
यह पौधों को दृढ़ता (Persistency) एवं लचीलापन (Flexibility) प्रदान करता है ।
हरित लवक की उपस्थिति में पौधे के लिए भोजन भी प्रदान करता है।
2. (c) शीर्षस्थ (Apical Meristems) तथा अंतर्विष्ट (Intercalary Meristems) विभाज्य ऊत्तक अस्थायी ऊत्तक है।
क्योंकि इन कोशिकाओं में हमेशा समसूत्री विभाजन होते रहते है।
शीर्षस्थ विभाज्य ऊत्तक
शीर्षस्थ विभाज्य ऊत्तक जड़ों एवं तनों की वृद्धि वाले भागों में पाये जाते है।
ये पौधे की लम्बाई बढ़ाने में सहायक होते है।
ये निरंतर विभाजित होते रहते है जिससे जड़ों व तनों के सिरों पर वृद्धि बिन्दुओं (Growing Points) का निर्माण करते है।
अंतर्विष्ट विभाज्य ऊत्तक
यह ऊत्तक स्थायी ऊत्तकों के बीचों-बीच में पाया जाता है।
यह ऊत्तक भी पौधों की लम्बाई बढ़ाने में सहायता करता है।
ये ऊत्तक पत्तियों के आधार में या टहनी के पर्व (Internode) के दोनों ओर मौजूद रहता है।
यह ऊत्तक मूलतः शीर्षस्थ विभाज्य ऊतक के ही भाग हैं। जो लम्बाई बढ़ने के कारण शीर्षस्थ विभाज्योत्तक से अलग हो जाता है।
यह ऊत्तक गेंहूँ के आधार, पुदीने और पाइनस की पत्ती के आधार तथा घासों के तनों पर उपस्थित होते है।
3. (b) पाश्र्वय विभाज्योत्तक (Leteral Meristems) तने की परिधि या मूल में पाये जाते है।
जिसके कारण यह तने के परिधिय वृद्धि करता है।
यह तने व जड़ की चौड़ाई में वृद्धि करता है इसलिए ये ऊत्तक संवहन ऊत्तकों (Vascular Bundle) का निर्माण करते है ।
इसे द्वितीयक विभाज्योत्तक भी कहते है।
यह कॉर्क कैम्बियम के रूप में छाल (Bark) के नीचे पाया जाता है। (उदाहरण)
द्वितीय वृद्धि द्वारा बने वार्षिक वलय (Annual Rings) पेड़ की आयु को निरूपित/बताता है।
कैम्बियम की कार्य विधि मौसम के अनुसार बदलती / प्रभावित होती रहती है।
जैसे यह वसंत ऋतु में अधिक क्रियाशील होती है जबकि शीत ऋतु में मंद / धीमा हो जाती है।
विभाज्योत्तक की कोशिकाएँ छोटी एवं अंडाकर (oval shaped) होती है।
जिनमें कोशिका द्रव्य (cyto plasm) भरा होता है।
इनकी कोशिकाओं का केंद्रक अपेक्षाकृत बड़ा होता है।
विभाज्योतक के कोशिकाओं के मध्य अंतरकोशिकीय स्थान नहीं पाया जाता है।
जब यह स्थान (अंतरकोशिकीय स्थान) पर एक कोशिका अथवा कोशिका भित्ति के आकार से भी अधिक हो तो उसे अतिरिक्त कोशिकीय स्थान ( Extra intercellular space) कहा जाता है
यह ऊत्तक जन्तुओं में नहीं पाया जाता है।
परंतु पादपों ( Plants) में इन ऊत्तकों की उपस्थिति के कारण ही पौधों की वृद्धि की क्रिया जीवनपर्यंत चलती रहती है।
4. (a)
वाहिनिकाएँ जाइलम के घटक है, इसमें कोशिका दीवार पर गड्ढे पाये जाते है। जो कोशिका दीवार को पतला करते है।
लेकिन वाहिनिकाएँ में छिद्रित कोशिका दीवार नहीं होती है।
इसकी संरचना नालिकाकार ( Tubular) होती है। तथा इसकी दिवार मोटी होती है।
जाइलम मृदु ऊत्तक (xylem Parenchyma) भोजन का संग्रह भी करता है।
जबकि जाइलम तंतु (xylem fibere) मुख्यत: पौधों को यांत्रिक शक्ति प्रदान करते है।
जाइलम का निर्माण करने वाली सभी कोशिकाओं वाहिकाएँ सबसे महत्त्वपूर्ण कोशिकाएँ है।
जाइलम में एक-दिशीय परिवहन होता है।
जबकि फ्लोएम में द्वि-दिशीय परिवहन होता है।
सहचर कोशिकाएँ प्रमुख नाभिक और घने कोशिका द्रव्य के साथ सक्रिय कोशिकाएँ है।
यह कोशिकाएँ एटीपी को संश्लेषित करती है।
और इसी एटीपी को अपने पड़ोसी कोशिकाओं में वहन करती है। जो एक छलनी ट्यूब है।
सहचर या साथी कोशिकाएँ प्लाज्मोडेमेश के साथ छलनी ट्यूब से जुड़ी होती है।
प्लाज्मोडेमेटा छिद्र की तरह कार्य करता है ।
छलनी या चालनी नलिकाएँ लम्बी कोशिकाएँ और छिद्रत कोशिका दीवार है।
वाहिकाएँ जो कि जाइलम का हिस्सा है, इसमें छिद्र प्लेट (Perforation Plates) पाये जाते है । अतः यह भी छिद्रित है।
5. (b)
स्तम्भाकार उपकला ऊतक की कोशिकाएँ परस्पर स्तम्भाकार के रूप में एक-दूसरे से सटी-सटी रहती है।
इसका केंद्रक कोशिका के आधार में स्थित रहता है।
यह मुख्यत: अमाशय आँतों के स्तर वायुकोष्ठों (Alvedie) तथा अधिकांश ग्रंथियों में पायी जाती है।
यह आंत के आंतरिक भाग का निर्माण करती है, जिसमें भोजन का अवशोषण होता है।
यह ग्रंथियों में स्रावण (secretion) / अवशोषण दोनों मुख्य कार्य करती है।
इसकी झिल्ली पचे खाद्य सामग्री को पास करने देती है ताकि रक्त में प्रवेश किया जा सके।
स्तरित शल्की उपकला त्वचा, मुख की परत, श्वसनियों, अंत: कर्ण, मुख गुहा, ग्रसनी, रूधिर नलिका (Bolld vessels) आहार नाल (oesophagus), जीभ, वायुकोष के ऊपर पतले और कोमल स्तर का निर्माण करती है।
यह (ऊतक) सुरक्षा, स्रावण (secretion) तथा गैसों के विनिमय में सहायता करते है।
तुर्क रेशे उपकला → कुन्डलीनुमा रेशे होते है।
घनाकार उपकला - लार ग्रंथियों, वृक्क के नेफ्रॉनों के नलिकाकार भागों, मुत्रमार्ग एवं थायरॉइड ग्रंथियों आदि में पायी जाती है।
इसका मुख्य कार्य स्रावण, अवशोषण एवं उत्सर्जन करना है।
यह ऊत्तक शरीर को यांत्रिक सहायता भी प्रदान करता है।
6. (c) रेडियस और अल्ना हाथों की दो लंबी हड्डियाँ है। वे स्नायु द्वारा एक दूसरे से जुड़े हुए है।
स्नायु रेशेदार संयोजी ऊत्तक है।
दुर्घटना के दौरान दोनों लंबी हड्डियाँ अपने स्थान से हट जाती है, तो उन दोनों हड्डियों को जोड़ने वाले स्नायु टूट जाता है।
कंडरा वह (ऊतक) है जो हड्डियों को मांसपेशियों से जोड़ता है ।
यह भी एक रेशेदार (ऊतक) है।
इसमें ताकत / मजबूती तथा लचीला होता है।
याद करने का ट्रिक -
संपट्ट (Fascia) मांसपेशियों को मांसपेशियों से जोड़ता है।
हड्डी और स्नायुबंधन के जोड़ों के अध्ययन को सिंडेसमोलॉजी के रूप में जाना जाता है।
मांसपेशियों की चोटों से हड्डी नहीं टूटती और नहीं हटती है।
एरियोलर (गार्तिका) ऊत्तक वास्तविक संयोजी ऊत्तक के शिथिल संयोजी ऊत्तक का एक भाग है।
यह सम्पूर्ण शरीर में त्वचा, मांसपेशियों के मध्य रक्त नलिकाओं के चारों ओर, उपकलाओं के नीचे, श्वासनली (Trachea) एवं अस्थि मज्जा में पाया जाता है।
7. (d) कंकाल मांसपेशी स्वैच्छिक मांसपेशी है जो क्रिया करने के लिए जिम्मेदार है।
वे मांसपेशी संयोजी ऊत्तक टेंडन के माध्यम से हड्डियों से जुड़े होते है।
टेंडन रेशेदार संयोजी ऊत्तक है।
इसलिए कंकाल की मांसपेशी जब अनुबंध प्राप्त करती है तो वो टेंडन (को) खीचते है जो बदले में हड्डियों चलायमान करते है।
चिकनी मांसपेशियाँ अनैच्छिक होती है।
यह आंतरिक अंगों →श्वसन तंत्र, आंत, हृदय, आहारनाल आदि में पाये जाते है।
यह हड्डियों से जुड़े नहीं होते और नहीं चलायमान के लिए जिम्मेदार होते है।
8. (b) अनैच्छिक मांसपेशियाँ दो प्रकार की है -
(1) चिकनी मांसपेशियाँ (2) हृदय की मांसपेशियाँ
इन दो मांसपेशियों को क्रिया-प्रतिक्रिया को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
यह स्वतः क्रिया करती है। / या करती रहती है।
अनैच्छिक मांसपेशी दिल के मांसपेशियों को छोड़कर सभी गैर-धारीदार होते है।
अनैच्छिक मांसपेशियों की कोशिकाओं को आकार, शाखाओं में और यूनी-न्यूलेट में धुरी होती है।
गैर धारीदार मांसपेशी को ही चिकनी मांसपेशी कहा जाता है ।
हृदय पेशियाँ छोटे बेलनाकार तथा शाखान्वित तंतुओं से निर्मित होती है।
तथा हृदय के भित्तियों का निर्माण करती है।
हृदय पेशियाँ रेखित पेशियों के समान होती है लेकिन कार्यात्मक रूप से अरेखित पेशियों के भाँति अनैच्छिक होती है।
9. (c) विभाज्योतक ऊतक स्थानीयकृत ऊतक होते है जो तीक्ष्ण होते है।
ये ऊतक सदैव समसूत्री विभाजन करके नए स्थायी ऊतकों का निर्माण करते है।
इसकी संरचना मधुमक्खी के छत्ते जैसी होती है।
विभाज्य ऊतक स्थायी तब बनते है जब विभाज्योतक की कोशिकाएँ विशिष्ट कार्य को विभाजित करने और प्राप्त करने की क्षमता त्याग देती है।
विभाज्योतक ऊतकों को स्थानीयकृत किया जाता है और वे कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है।
जसे : ये ऊतक, जड़, तना के शीर्ष बिन्दुओं पर तथा पत्तियों के आधार पर ही पाये जाते है।
यह तना परिधय तथा कैम्बियम में भी उपस्थित होते है।
विभाज्योतक ऊतक ऊतकों को विभाजित करते रहते है, जिसके कारण कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है।
लेकिन कोशिकाओं की मात्रा (परिमाण) में कोई वृद्धि नहीं होती है।
10. (c) जल का परिवहन दारू / जायलम जटिल ऊतक कार्य है नाकी वाह्य त्वचा (एपिडर्मिस) का।
जाइलम एक संवहनी बंडल है जो पानी तथा खनिज लवणों को मिट्टी से पौधों के पत्तियों तक पहुँचाता है।
एपिडर्मिस पौधों के पूरी सतह पर मौजूद है जो सुरक्षा प्रदान करता है।
एपिडर्मिस की कोशिकाओं के बीच अंतरकोशिकीय स्थान बहुत बारीक होते है।
जो गैसीय विनिमय में सहायक होते है।
एपिडर्मिस एक प्रकार का मृदु ऊतक ही होता है।
मृदु ऊतक गोल, अंडाकार अथवा बहुभुजी हो सकते है।
यह पादपों के जड़, तथा, पत्तियों के बाहरी परतों में पाया जाता है।
लेकिन फूलों और बीजों का आंतरिक परतों में पाया जाता है।
मृदु ऊत्तक के कोशिकाओं में हरित लवक अधिक संख्या में होने के कारण यह प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होती है।
जिससे यह ऊतक हरा प्रतीत होता है।
वायुकोष्ठक होने के कारण पौधों को तैरने के लिए उत्पलावन बल प्रदान करती है।
यह खाद्य संचय के रूप में - गोंद, रेजिन, टेनिन को संचित करती है ।
11. (c) कंडरा (Tendon) जो हड्डियों और मांसपेशियों को जोड़ता है।
यह मजबूत और लचीला होता है।
यह रेशेदार ऊतक होता है।
लेकिन स्नायु (Ligament) श्वेत कोलेजन तंतुओं (White Collagen Fibre) से निर्मित होता है।
स्नायु में अधात्री (Matrix ) या तरल ऊतक (Fluid Tissue) अत्यंत कम होता है।
रक्त में प्रोटीन, लवण हार्मोन युक्त मैट्रिक्स होता है।
रक्त भी संयोजी ऊतक है। जहाँ RBC, WBC और Platlets तरल या तरल मैट्रिक्स प्लाज्मा कहा जाता है।
प्लाज्मा प्रोटीन, लवण और हार्मोन से बना होता है।
उपास्थि संयोजी ऊतक का एक रूप है जिसमें ठोस मैट्रिक्स होता है। 14.
जो शर्करा और प्रोटीन से बना होता है।
उपास्थि जोड़ों की सतह पर मौजूद होता है और उन्हें चिकना करता है।
12. (c) गुर्दे ऐसे अंग है जो रक्त के शुद्धिकरण के लिए जिम्मेदार है।
उपास्थि एक संयोजी ऊत्तक का रूप है।
इसमें ठोस मैट्रिक्स होता है, जो शर्करा और प्रोटीन से बना होता है।
उपास्थि जोड़ों के सतह पर मौजूद होता है और उन्हें चिकनाई प्रदान करती है।
यह ऊत्तक काफी लचीला होता है।
कान, नाक, गला श्वसन नली तथा जोड़ों पर उपस्थि मौजूद होता है, और बना होता है।
शार्क मछली का पूरा कंकाल तंत्र उपास्थि का बना होता है।
उपास्थि के चारों ओर पेरिकॉड्रियम का तंतुमय आवरण होता है। 1
जबकि अस्थि के चारों ओर पेरिओस्टियम का तंतुमय आवरण होता है।
उपास्थि में मज्जा नहीं पायी जाती है ।
खोखली अस्थियों में मज्जा पायी जाती है।
उपास्थि मैट्रिक्स अर्द्धपारदर्शी कॉण्ड्रिन नामक प्रोटीन से बना होता है।
जबकि अस्थि मैट्रिक्स अपारदर्शी ओसीन नामक प्रोटीन से बना होता है।
उपास्थि कैल्शिीफाइड उपास्थि कैल्शियम लवणों के संचय के कारण कठोर हो जाती है।
13. (b) वसा संयोजी ऊत्तक है और इसकी कोशिकाएँ ज्यादातर वसा रिक्तिकाओं से बनी होती है।
यह शरीर के त्वचा के नीचे की परत पायी जाती है।
घनाकार उपकला ऊत्तक की कोशिकाएँ घन के आकार की होती है।
यह गुर्दे के नलिका और लार नलिकाओं की आंतरिक परत में मौजूद होती है।
हड्डियाँ संयोजी ऊत्तक है जो शरीर के ढाँचे के रूप में कार्य करती है।
हड्डियाँ मांसपेशियों को पकड़कर रखती है और अंगों का समर्थन करती है।
इस ऊत्तक का मैट्रिक्स कैल्सियम और फॉस्फोरस यौगिक की रचना है।
14. (b) हड्डियाँ संयोजी ऊत्तक है जो शरीर के ढांचा के रूप में कार्य करती है।
यह शरीर को यांत्रिक सहायता प्रदान करता है।
हड्डी का मुख्य संघटक कैल्सियम और फॉस्फोरस है।
संयोजी ऊत्तक की उत्पत्ति भ्रूणीय मीसोडर्म से होती है।
शरीर का लगभग 30% भाग ( सर्वाधिक मात्रा) का निर्माण संयोजी ऊत्तक से होता है।
यह शरीर के विभिन्न कोशिकाओं, ऊत्तकों और अंगों के मध्य स्थित होता है, तथा सभी अंगों को परस्पर बाँधने का कार्य करता है।
15. (c) माँसपेशियों के ऊतकों में कोशिकाएँ लंबी होती है |
इस कोशिकाओं को मांसपेशी तंतु भी कहा जाता है।
माँसपेशियों में संकुचन और विश्राम के लिए प्रोटीन पाया जाता है।
इस खास प्रोटीन को अनुबंधित प्रोटीन कहा जाता है।
यह कंकाल के साथ मिलकर विभिन्न प्रकार की गतिविध यों के लिए उत्तरदायी है।
शरीर का लगभग 40-50% भाग पेशीय ऊत्तकों से बना होता है।
पेशीय ऊत्तक के आंतरिक भाग में पाये जाने वाले द्रव सर्कोप्लाज्म (sarcoplasm) है।
जबकि पेशीय ऊत्तक के केंद्रक को सार्कोमीयर (sarcomere) कहते है ।
16. (b) स्वैच्छिक मांसपेशियों की गमन को नियंत्रित किया जा सकता है।
इस मांसपेशियों की कोशिकाएँ लंबी, बेलनाकार, शाखाबद्ध और बहुनीय होती है।
कंकाल मांसपेशी जो अंगों में मौजूद होती है वह स्वेच्छा से चलती है।
अनैच्छिक मांसपेशी की गति को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
अनैच्छिक मांसपेशी आहार नाल की मांसपेशी आँख की परितारिका की गति, फेफड़ों की श्वसनी की गति अनैच्छिक होती है।
पेशीय कोशिकाएँ अतिक्रियाशील होती हैं। शरीर के कुल ताप का अधिकांश इनकी क्रियाशीलता के कारण उत्पन्न होती है।
अतः पेशीय ऊतक के संकुचन आदि से शरीर का तापमान संतुलित बना रहता है।
हृदय पेशी ऊतक रेखित होते हुए भी अनैच्छिक होती है।
17. (c) शरीर की सबसे लंबी कोशिका तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन (Neurons) है।
मस्तिष्क, मेरूरज्जु या तंत्रिकाएँ सभी तंत्रिका ऊत्तकों से निर्मित होती है।
तंत्रिका ऊत्तक की कोशिकाएँ अत्यंत शीर्घ उत्तेजित होती है। और उत्तेजना को संपूर्ण शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचती है।
तंत्रिका तंत्र के कारण ही हम अपनी इच्छानुसार अपनी पेशियों को गति करवाने में सक्षम होते है।
तंत्रिका कोशिकाएँ तीन प्रकार की होती है।
(i) तंत्रिका कोशिकाएँ (Nerve celves or neurons)
(ii) तंत्रिका तंतु (Nerve Fiber)
(iii) न्यूरोग्लिया (Neuroglia )
तंत्रिका कोशिकाएँ एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक संवेदनाएँ या संदेशवाहक का कार्य करता है।
तंत्रिका तंतु के संवेदी तन्तु (sensory fiber) आवेग को ग्राही अंगों (Receptors) से मस्तिष्क या मेरूरज्जु में ले जाते है।
जबकि तंत्रिका तंतु के प्रेरक तंतु (Motor Fiber) आवेग को मस्तिष्क या मेरूरज्जु से कार्यकारी (Effector) अंगों में ले जाते है।
18. (c) न्यरोग्लिया (Neuroglia) एक विशेष प्रकार की तंत्रिकीय कोशिका है, जो केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) में न्यूरॉन के साथ पाया जाता है।
तंत्रिका कोशिका शरीर द्रुमिका (डेंड्राइट) और तंत्रिका तंत्र के होते है।
कोशिका काय (साइटॉन) तंत्रिका कोशिका का मुख्य भाग है, जिसमें एक केंद्रक व चारों ओर कोशिका द्रव्य में पाया जाता है।
यह प्रोटीनयुक्त कोशिकाद्रव्य निसिल्स के रंगीन कण होते है।
द्रुमाक्ष (Dendrite), निसिल्स कण (Nissl's Granules), कोशिका काय (cell body), स्वान कोशिका (schwann cell), तंत्रिकाक्ष (Axon) मायलिन आवरण (Myelin sheath), रेन्वीयर के नोड (No do of Ranvier), तत्रिकाक्ष सिरा (Axon Terminal) ये सभी तंत्रिका कोशिका के पार्ट (हिस्सा) है।
19. (c) कोशिकाओं और फाइबर के बीच की जगह गर्तिका के जमीन के ऊत्तकों से भरी होती है।
यह शरीर के विभिन्न हिस्सों में स्थित है।
गर्तिका ऊत्तक त्वचा और मांसपेशियों की परत के बीच (संबंध) मौजूद होते है।
जिससे त्वचा को मांसपेशियों से जोड़ा जाता है।
उपास्थि संयोजी ऊतक होता है। यह अर्द्धपारदर्शी होता है।
उपास्थि नाक, कान, गला तथा हड्डियों के जोड़ों में पाया जाता है।
वसा संयोजी ऊत्तक है जो ज्यादातर वसा ग्लोब्यूल्स से बनी होती है।
वसा की परत शरीर से गर्मी के नुकसान को रोकती है।
वसा संवाहक ( इंसुलेटर) के रूप में कार्य करती है।
20. (b) हृदय पेशीय (Cardiac Muscles) छोटे बेलनाकार तथा शाखान्वित पेशीय तंतुओं से निर्मित होती है। तथा हृदय भित्तियों का निर्माण करती है।
संरचना में हृदय पेशीयाँ रेखित पेशियों के समान होती है।
परंतु कार्यात्मक रूप से अरेखित पेशियों की भाँति अनैच्छिक होती है।
यह हृदय के नियमित संकुचन और प्रसार करती है।
इसी कारण शरीर में रक्त का परिवहन होता है।
हृदय पेशीय फेफड़ों की नसों (Pulmonary veins) में पायी जाती है।
21. (d) उपास्थि (Cartilage) पतले तथा महीन कोलेजन तंतुओं मिलकर बनी होती है।
यह कांड्रिन प्रोटीन का बना होता है।
उपास्थि की कोशिकाओं के मध्य पर्याप्त स्थान होता है।
इस खाली स्थान के चारों ओर लैकुना (Lacuna) द्रव से भरा होता है।
शार्क मछली का पूरा कंकाल तंत्र उपास्थि का बना होता है।
उपास्थि नाक, कान और श्वासनली में भी उपस्थित होती है।
मास्ट कोशिकाएँ संयोजी ऊत्तक में मौजूद होती है।
ये मेरूरज्जु से बनते है।
ये शरीर की एलर्जी प्रतिक्रिया और शरीर की अति संवेदनशीलता प्रतिक्रिया में शामिल होते है ।
क्षारकरोगी (बेसोफिल) सफेद रक्त कणिका के प्रकार है।
जो संयोजी ऊत्तक में मौजूद होते है जिन्हें रक्त कहा जाता है।
यह प्रतिरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
इनकी उत्पत्ति मेरूरज्जु से भी होती है।
ये एलर्जी प्रतिक्रिया के संकेतक के रूप में कार्य करता है।
जब एलर्जी होती है तो क्षारकरोगी गिनती रक्त में नीचे चली जाती है।
अस्थिमज्जा कोशिकाएँ, हड्डिी में मौजूद होती है।
यह हड्डियों में मौजूद कुल कोशिकाओं का 90 – 95% तक होती है।
यह व्यस्क हड्डी में पाया जाने वाली सबसे प्रचूर मात्रा में कोशिकाएँ है।
22. (b)
फ्लोएम कोशिकाएँ जीवित कोशिकाएँ है।
फ्लोएम का मुख्य कार्य पत्तियों द्वारा बनाए गए भोजन का पौधों के विभिन्न भागों में संवहन करना है।
इस ऊत्तक को बेस्ट (Bast) भी कहा जाता है।
चालनी नलिकाएँ छिद्रित भित्ति वाली तथा नालिकाकार कोशिकाएँ होती है।
फ्लोएम तंतु अलसी व पटसन पौधों में रेशों का निर्माण होता है।
फ्लोएम मृदु उत्तक की कोशिकाओं में पतली कोशिका दीवारें होती है और जीवित होती है।
इसका मुख्य कार्य स्टार्च, वसा, प्रोटीन और अन्य कार्बनिक सामाग्रियों का भंडारण करना है ।
चालनी नलिकाएँ लम्बी कोशिकाएँ है जो अपनी पार्श्व दिवारों पर छलनी जैसी क्षेत्रों से छिद्रित करती है ।
भोजन का परिवहन चालनी नलिका का मुख्य कार्य है।
सहचर कोशिकाएँ या सह कोशिकाएँ चालनी ट्यूब तत्वों की तुलना में पतली दीवारों वाली होती है।
यह प्लाज्मोडेमेटा की मदद से चालनी ट्यूब से जुड़ी होती है।
यह चालनी नलिका को भोजन और जैविक सामग्रियों के परिवहन को करने के लिए ऊर्जा प्रदान करते है।
यह ऊर्जा उत्पादन और फ्लोएम ऊत्तकों के जीवित घटक में शामिल है।
23. (a) सहचर / सह कोशिकाएँ फ्लोएम ऊत्तक के घटक में से एक है।
इसमें प्रमुख नाभिक और घने साइटोप्लाज्म हैं।
यह ATP सहित खाद्य सामग्री के संश्लेषण के लिए जिम्मेदार है।
RBC में केंद्रक नहीं पाया जाता है।
केवल ऊँट और लामा में ही RBC में केंद्रक पाया जाता है।
RBC O2 और CO2 के परिवहन करता है।
RBC का सेंट्रल मेटल Iron (Fe) है।
RBC का आकार द्विअवतलीय होता है।
RBC को O2 & CO2 को परिवहन के लिए बड़े सतह क्षेत्र की आवश्यकता होती है जो अधिक यौगिक को अवशोषित कर सके और परिवहन कर सके।
जिसके कारण RBC परिपक्व होने पर अपना नाभिक खो देता है।
वाहिकाएँ जाइलम का भाग है जो परिपक्व होते ही अपने नाभिक का त्याग कर देते है।
वाहिकाएँ जाइलम का भाग है जो परिपक्व होते ही अपने नाभिक का त्याग कर देते है।
चालनी नलिका फ्लोएम का भाग है, इसके कोशिकाओं में कोई केंद्रक नहीं होता है।
यह ऊर्जा या ATP की आवश्यकता होने पर साथी / सह: कोशिकाओं पर निर्भर रहता है।
24. (a) क्यूटिकल पौधों के बाह्य त्वचा की सतह पर मोम जैसी परत है।
यह परत क्यूटिन से बने होते है जो जल प्रतिरोधी जैव रासायनिक यौगिक है।
रेगिस्तानी पौधों में क्यूटिकल की मोटी परत मौजूद होती है।
जो पानी के वाष्पीकरण को कम करते है।
रेगिस्तानी पौधों की रंध्र दिन के दौरान बंद हो जाती है और रात के दौरान खुली रहती है ।
रंध्र बाह्य त्वचा में छोटा पोर (छिद्र) है जो पौधों में गैसों के आदान-प्रदान की अनुमति देता है।
यह पौधों में वाष्पीकरण के लिए भी जिम्मेदार है।
यह अधिकांशतः पत्तियों के निचले हिस्से में पाया जाता है।
रक्षी कोशिकाएँ रंध्र को खोलने और बंद करने के लिए जिम्मेदार है।
लिग्निन बृहत् अणु है जो दृढ़ोत्तक की कोशिका भित्ति में मौजूद है।
सुबेरिन फैटी (वसीय) पदार्थों की तरह मोम होता है।
जो कॉर्क कोशिकाओं की कोशिका की दीवार में पाया जाता है।
यह पौधों के सुरक्षात्मक परत के रूप में कार्य करता है।
25. (a) जाइलम मृदु ऊत्तक (xylem Parenchyma) भोजन का संग्रह भी करता है।
जबकि जाइलम तंतु (xylem fibere) मुख्यत: पौधों को यांत्रिक शक्ति प्रदान करते है।
जाइलम का निर्माण करने वाली सभी कोशिकाओं में वाहिकाएँ सबसे महत्त्वपूर्ण कोशिकाएँ है ।
जाइलम में एक दिशीय परिवहन होता है।
जबकि फ्लोएम में द्वि-द्विशीय परिवहन होता है।
26. (d) अंतर्वेशी विभाज्योत्तक पौधों के नोड्स और इंटरनोड्स (अंतरा पर्व) में वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।
जब गन्ने के पौधो की नोक हटा दी जाती है तो इस गन्ना पौधे की लंबाई में वृद्धि होने वाले नोड्स में अभी भी अंतर्वेशी विभाज्योतक मौजूद होता है।
कैम्बियम पौधों पर माध्यमिक विकास के लिए जिम्मेदार है लेकिन पौधों की लम्बाई में वृद्धि के लिए नहीं है ।
शीर्षस्थ विभाज्योतक पौधों की लंबाई या ऊँचाई में वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।
वे जड़ों की, तना की, नोक पर मौजूद होते है।
लेकिन इस पौधों की नोक हटा दी जाती है इसलिए इस पौधों में कोई शीर्षस्थ विभाज्योत्तक नहीं है ।
पाश्र्वय विभाज्योतक तने के इस पार्श्व या बगल में विकास के लिए जिम्मेदार है।
27. (c) चूँकि किल तने में डाला गया तो वहाँ से एक पेड़ बढ़ता है शीर्षस्थित क्षेत्र से जड़ों क्षेत्र से नहीं ।
शीर्षस्थ विभाज्योतक शीर्षस्थित क्षेत्र में पाया जाता है जो लम्बाई बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है ।
ऊत्तक शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम बिचेत (Bichat) नामक वैज्ञानिक ने किया था।
ऊत्तकों का अध्ययन को हिस्टोलॉजी कहते है।
हिस्टोलॉजी नाम वैज्ञानिक मायर (Mayer) ने 1819 ई० में दिया था।
औतिकी शाखा की स्थापना इटली के वैज्ञानिक मारसेलो मैल्पीछी ने की थी ।
28. (a)
मृदु ऊतक जीवित कोशिकाओं का समूह है।
यह पतली एवं कोमल कोशिका भित्ति (सेल्युलोज एवं कैल्सियम युक्त ) ।
यह सरल कोशिकाओं से बना होता है।
इसमें अंतर कोशिकीय स्थान पाया जाता है।
जिससे गैसीय विनिमय होता है।
इनमें सघन कोशिका द्रव्य भरा होता है।
ये कोशिकाएँ गोल, अण्डाकार, अथवा बहुभुजी हो सकती है।
यह एपिडर्मिस के रूप में पौधों का संरक्षण करता है।
यह ऊत्तक भोजन के पार्श्व (Lateral) चालन में सहायता करता है।
ऐसे ऊत्तक को हरित ऊत्तक भी कहा जाता है।
इसका मुख्य कार्य भोजन का संग्रह करना है।
29. (a) स्थूलकोण ऊत्तक (collenchyma) लम्बी, जीवित तथा अनियमित तरीके से किनारों पर मोटी होती है।
इसके मध्य अन्तरकोशिकीय स्थान कम पाया जाता है।
पौधों में लचीलापन (Flexibility) कोलेन्काइमा (स्थूलकोण) के कारण होता है।
क्योंकि इसके कोशिकाओं के किनारों पर पेक्टिन युक्त सेल्यूलोज की एक परत पायी जाती है।
यह ऊत्तक पौधों के तने के एपिडर्मिस के नीचे तथा पर्णवृन्त (Leaf Petiole), पुष्पावली वृन्त ( Peduncle) एवं पुष्पवृन्त ( Pedicel) में पाया जाता है।
लेकिन यह जड़ों में अनुपस्थित होता है।
इसका मुख्य कार्य लचीलापन उत्पन्न करना इन्हें यांत्रिक सहायता प्रदान करना।
इसमें हरित लवक होने के कारण यह पौधे के लिए भोजन भी बनाता है।
30. (c) सुबेरिन वसीय पदार्थों की तरह मोम होता है जो कॉर्क कोशिकाओं की दिवार में मौजूद होता है।
यह प्रकृति में जल विरागी होता है।
यह पौधों के लिए सुरक्षात्मक परत के रूप में कार्य करता
क्योंकि यह पानी, गैसों और किसी भी रोगजनक को पौधें में प्रवेश करने से रोकता है।
सेलुलोस (Cellulose) एक कार्बनिक यौगिक है।
इसका रासायनिक सूत्र (C6 H10 O5) है।
यह एक बहुशर्करा (पॉली सैक्राइड) है। जिसमें एक ही प्रकार के अणु लगातार जुड़ने से एक हजारों अणुओं वाला पॉलीमर बन जाता है।
पेड़-पौधों की कोशिका भित्ति सेलुलोस की बनी होती है।
लिपिड अघुलनशील पदार्थ है।
यह कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन से मिलकर बना होता है।
लिपिड को सामान्य भाषा में वसा भी कहा जाता है लेकिन दोनों में कुछ अंतर होता है।
लिग्निन एक जटिल कार्बनिक पॉलिमर का एक वर्ग है ।
यह पादप भित्ति के मुख्य घटकों में से एक है।
यह लकड़ी को आसानी से सड़ने नहीं देता है।
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