General Competition | History | (आधुनिक भारत का इतिहास) | 1857 का विद्रोह

1857 की क्रांति का इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। इस आंदोलन ने भारत के ग्रामीण व शहरी जड़ों को झकझोर दिया। यह पहला सामुहिक प्रयास था जिससे अंग्रेज भयभित हुए ।

General Competition | History | (आधुनिक भारत का इतिहास) | 1857 का विद्रोह

General Competition | History | (आधुनिक भारत का इतिहास) | 1857 का विद्रोह

1857 की क्रांति का इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। इस आंदोलन ने भारत के ग्रामीण व शहरी जड़ों को झकझोर दिया। यह पहला सामुहिक प्रयास था जिससे अंग्रेज भयभित हुए । 1857 की क्रांति महज जनाक्रोश था या सुव्यवस्थित स्वतंत्रता का संघर्ष ? इस विषय पर भारतीय एवं विदेशी इतिहासकारों में मतभेद है। किंतु सभी इस विषय पर मतैक्य है कि इस क्रांति ने अंग्रेजों को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार के लिए मजबूर किया था। भविष्य में ब्रिटिश शासन ने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भारत को टुकड़ों में बांट दिया। किंतु इसके विपरित भारतीय जनता एवं उसके नेतृत्वकर्त्ताओं ने भी समकालीन विशिष्ट नीतियों का प्रयोग कर भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्त कर दिया था। इस प्रकार 1857 की क्रांति हो या जनाक्रोश अपने दीर्घकालीन प्रभाव प्रस्तुत करने में सफल रहा था।
  • क्रांति का शाब्दिक अर्थ है पुराना में परिवर्तन, 1757 के प्लासी विजय के 100 वर्षों के पश्चात् भारतीय जनता का प्रयास भी इसी को सिद्ध करता है।
  • 1857 के क्रांति के संबंध में विद्वानों का अपना-अपना विचार था तथा क्रांति के स्वरूप पर मतभेद था किंतु सभी इस विषय पर एक थे कि क्रांति ने नवीन परिवर्तन को जागृत किया था।

1857 के विद्रोह के प्रमुख तत्व

  • विद्रोह के प्रतीक- रोटी और कमल
  • प्रतीक का निर्धारण- प्रतीक का निर्धारण गुरुदास बाबा के द्वारा किया गया था।
  • गुरुदास बाबा नाना साहब के शिक्षक (गुरू) थे।
देश के बाहर साजिशकर्त्ता:-
  • देश के बाहर इस योजना का निर्माण लंदन में हुआ था।
  • लंदन में क्रांति की योजना में अजीमुल्ला शामिल थे। ये नाना साहब पेशवा के सलाहकार थे।
  • अजीमुल्ला को क्रिमीया के युद्ध का अनुभव प्राप्त था।
विद्रोह के समय प्रमुख व्यक्तित्व
  • विद्रोह के समय भारत के बादशाह ' बहादुरशाह जफर' थे।
  • विद्रोह के समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री पामस्टन थे।
  • अंग्रेजों का सेनापति- जार्ज ऐनिसन
  • विद्रोह प्रारंभ होते ही जार्ज ऐनिसन की मृत्यु कालरा से गई ।
  • इस क्रम में जार्ज ऐनिसन का स्थान पैट्रिक ग्रांट ने लिया था। ये लेफ्टिनेंट जनरल थे।
  • अगस्त 1857 को लंदन से कॉलिन कॅम्पबल नए सेनापति के रूप में नियुक्त होकर आए थे।
  • विद्रोहियों के घोषित सेनापति नाना साहब थे। नाना साहब का मूल नाम धोधूपंत था। ये पेशवा बाजीराव के गोद लिया हुआ पुत्र था।
  • विद्रोह में कुल 28 भारतीय रियासतों ने हिस्सा लिया था ।
  • इसमें 21 रियासतों ने अंग्रेजों का समर्थन किया था जबकि 7 रियासतें भारतीय सैनिकों के साथ थी।
  • एक विदेशी राष्ट्र नेपाल ने भी इस क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया था। नेपाल के तरफ से युद्ध करनेवाले सेनापति जंगबहादुर थापा थें।
विद्रोह में विस्मृत की गई विरांगनाएँ
  • अफ्रीकी महिला दस्ता- यह महिला दस्ता वेगम हजरत महल का बॉडिगार्ड था। इन सभी को मार दिया गया था। 
  • झलकारी बाई - दलित महिला
  • महावीरी देवी- झांसी युद्ध की विरांगना
  • अजीजन वाई- कानपुर की तत्रायत
  • शोभना देवी- मुजफ्फरनगर
  • धार की रानी दौपती
  • रायगढ़ की रानी अवंती बाई

सामाजिक कारण

  • अंग्रेजों ने भारत विजय के साथ ही भारतीय जनता के साथ अवांक्षित व्यवहार प्रारंभ कर दिया। इसमें सबसे प्रमुख था नसलीय भेदभाव ।
  • भारत की समाज समकालीन विश्व में सबसे पुरातन एवं जीवित सभ्यता का साक्षी था। इसके कुछ अच्छाई तथा बुराइयाँ दोनों थी। जिसमें अंग्रेजों ने हस्तक्षेप प्रारंभ कर दिया था।
  • भारतीय परम्परा में प्राचीन व्यवस्थाएँ एवं प्रथाओं ने जड़ बना लिया था। अंग्रेजों द्वारा इसमें परिवर्तन का प्रयास भी क्रांति का अप्रत्यक्ष कारण बना था।
  • भारतीयों के साथ अंग्रेजों का व्यवहार एवं विचार अपमान जनक था "Black and Dog's are not allowed" के बोर्ड के साथ भारतीय लोगों में दोयम दर्जे का व्यवहार होता था ।
  • सती प्रथा - विलियम बैटिक ने 1829 में इस पर प्रहार किया था।
  • नरबली प्रथा का दमन ( हार्डिंग के समय 1844 में किया था )
  • कन्या वध सर जॉन सोर 1795 में
  • दास प्रथा ( एलन बरो, - 1843 )
  • बाल विवाह अधिनियम, विधवा पुर्नविवाह अधिनियम (1856)
  • भारत की सामाजिक जड़ता का प्रमुख कारण जाति प्रथा थी । अंग्रेजों ने अंतरजातीय विवाह को प्रेरित किया उस पर भी भारतीय सवर्णों ने इसका विरोध किया था।
  • उपरोक्त सभी कारण अंशत: या पूर्णतः 1857 की क्रांति को प्रेरित किया था।

धार्मिक कारण

  • अंग्रेजों के प्रशासन में योग्यता के आधार पर धर्म को प्रोन्नति का आधार बनाया गया।
  • अप्रैल 1850 के लेक्सलोकी कानून ने भारतीय जनमानस में धार्मिक मत भिन्नता और अस्थिरता पैदा किया था।
  • अंग्रेजों के द्वारा जेलों में बंद कैदियों के रसोइयों को बदल दिया गया तथा प्रतिदिन इसाई धर्माधिकारी अपने धर्म का उपदेश दिया करता था। कैदियों में धर्म परिवर्तन का डर एवं दबाव भी आक्रोश पैदा किया।
  • भारतीय ग्रामीण एवं शहरी दोनों जनमानस में धर्म परिवर्तन का डर बैठा था। इस डर ने अंग्रेजों के खिलाफ जनाक्रोश पैदा किया था।
  • वर्ष 1813 में चार्टर में इसाई मिशनरियों को धर्म प्रचार की अनुमति प्राप्त हो गई थी।
  • 1850 के धार्मिक नियोग्यता अधिनियम (Religion Disability) के द्वारा इसाई धर्म ग्रहण करने वाले लोगों को अपनी पैतृक संपत्ति का अधिकारी माना गया था। साथ ही नौकरियों में प्रोन्नति तथा शिक्षण संस्थानों में प्रवेश की सुविधा प्रदान की गई थी।

राजनीतिक कारण

  • अंग्रेजों ने भारतीय व्यापार में एकाधिकार के उद्देश्य से परिवर्तन किया जिसका पत्यक्ष प्रभाव भारतीय जनमानस पर पड़ा था।
  • वेलेजली का सहायक संधि- वेलेजली ने भारतीय राजवंशों एवं नवाबों को अंग्रेजी प्रशासन के अधीन किया था। इस कानून ने अंग्रेजी साम्राज्य विस्तार में प्रभावशाली भूमिका निभाई। साथ ही भारतीय जनभावना को भी आक्रोशित किया था।
  • अवध विलय नीति- अंग्रेजों ने कुशासन का आरोप लगाकर अवध प्रांत को अंग्रेजी साम्राज्य में विलय कर लिया था । अवध के नवाब का राज्य क्षेत्र बड़ा था एवं जनता का नवाब के साथ भावनात्मक जुड़ाव भी तीव्र था। यही कारण था 1857 की क्रांति में नेतृत्व एवं बड़े भू-भाग का सहयोग भी सैनिकों को प्राप्त हुआ था।
  • हड़प नीति- लार्ड डलहौजी ने अंग्रेजी भारतीय रियासतों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया था। इस नीति का प्रभाव अंग्रेजी शासन एवं प्रशासन पर भी पड़ा। इसके प्रतिउत्तर में रियासतों के रजवाड़ों एवं नवाब अंग्रेजों के खिलाफ जनआक्रोश पैदा करने में सफल रहे थे।

दत्तक प्रथा की समाप्ति

  • मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर ने अपने ज्येष्ठ पुत्र मिर्जा जवां बख्श को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। लार्ड डलहौजी ने इसको बादशाह मानने से इन्कार कर दिया एवं बहादुरशाह जफर को लाल किला छोड़ने का आदेश दिया था तथा उनके छोटे पुत्र को उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया था।
  • इसी क्रम में ब्रिटिश गर्वनर जनरल ऑकलैंड ने बादशाह को अपने दावे एवं अधिकार छोड़ने का आदेश दिया था ।
  • इसके पूर्व लॉर्ड डलहौजी ने 1854 में जमींदारों तथा जागीरों के जांच के लिए इनाम कमिशन का गठन किया था। इस कमिशन ने 35,000 जागीरों की जांच किया। जिसमें 20,000 जागीर जब्त कर लिए गए थे।

आर्थिक कारण

  • भारतीय आर्थिक शोषण नीति भारत को प्रत्यक्षतः प्रभावित किया था। इसमें स्थायी बंदोबस्ती (1793) रैयतबाड़ी व्यवस्था (1820 ) तथा महालवाड़ी व्यवस्था ( 1822 ) लागू किया गया था ।
  • शोषणवादी भूराजस्व व्यवस्थाओं ने भारतीय जनमानस को आंतरिक स्तर पर अंग्रेजों का विरोधी बना दिया ।

सैन्य कारण

संचित कारण:-
  • 1764 के बक्सर युद्ध के समय हेक्टर मुनरों ने नेतृत्व में लड़ रही भारतीय सैनिकों ने विद्रोह किया था तथा ये भारतीय दल से जा मिले थे।
  • 1806 के वेल्लोर मठ के सैनिकों ने विद्रोह किया था।
  • 1824 के वर्मा युद्ध में भेजी गई सैन्य टुकड़ी में भी विद्रोह किया था।
  • 1825 के असम तोपखाना का विद्रोह हुआ था।
  • 1844 ई. में 34वीं एन. आई तथा 64वीं रेजिमेंट के सैनिकों ने विद्रोह किया था।
  • 1856 के सैन्य भर्ती अधिनियम- इसके अंतर्गत अंग्रेजी सेना में भर्ती होने वाले सैनिकों की नियुक्ति देश-विदेश कहीं भी की जा सकती थी। इससे भी भारतीय सैनिक आक्रोशित थे। 
तात्कालिक कारण:-
  • चर्बी लगे कारतूस की घटना पर विवाद हुआ।
  • अंग्रेजी सैन्य व्यवस्था में ब्राउनस बंदूक के स्थान पर इनफिल्ड राइफल (P-53) को रखा गया।
  • इनफिल्ड (P-53) की गोली बुलिज आर्सेनल मद्रास में बनती थी |
  • बुलिज आर्सेनल नामक गोली के टीप ( मुहाने पर गाय एवं सुअर की चर्बी लगती थी। जो विवाद का प्रमुख कारण था।
  • इस चर्बी की घटना की जांच के लिए स्मिथ आयोग की स्थापना किया गया था । तथा इस आयोग ने इस घटना का सत्य माना था।
  • 23 जनवरी 1857 को कलकत्ता के दमदम में 19 NI (देसी पैदल सैनिक) ने बगावत किया तथा इस दल को भंग कर दिया गया था।

विद्रोह का प्रारंभ एवं विस्तार

  • 23 जनवरी 1857 को दमदम में सैनिकों ने नए कारतूसों के प्रयोग से इनकार कर दिया था।
  • 26 फरवरी 1857 को बहरामपुर जो कलकत्ता से 120 मील दूर स्थित था। 19वीं N. I. ने कारतूस के प्रयोग से मना कर दिया और विद्रोह कर दिया था।
  • 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी ( मुर्शिदाबाद के नजदीक) 34वीं एन.आई. (N.I.) रेजीमेंट के सैनिक मंगल पाण्डेय ने चर्बीयुक्त कारतूसों के प्रयोग का विरोध किया।
  • इसी क्रम में मंगल पाण्डे ने अपने सहयोगियों से चर्बीयुक्त कारतूस का विरोध करने का आह्वान किया था।
  • मंगल पाण्डे ने विद्रोह के क्रम में सारजेन्ट ह्यूरसन एवं लेफ्टिनेंट बाग को गोली मार दिया था।
  • 34वीं रेजीमेंट को भंग कर दिया गया। मंगल पाण्डेय गाजीपुर (बलिया) के निवासी थे।
  • चर्बीयुक्त कारतूस की खबर शीघ्र ही मेरठ पहुँचा। 24 अप्रैल 1857 को मेरठ में देसी घूड़सवार सेना के 85 सैनिकों ने चर्बीयुक्त कारतूस प्रयोग करने से मना कर दिया।
  • 18 मई, 1857 को मेरठ छावनी के सैनिकों ने खुला विद्रोह कर दिया।
  • इसी क्रम में विद्रोहियों ने दिल्ली पर हमला कर दिया। मेरठ में तैनात अंग्रेज अधिकारी जनरल हेविट जिनके पास सैनिक पर्याप्त सैनिक थे किंतु उसने विद्रोही सैनिकों से युद्ध नहीं किया।

दिल्ली में विद्रोह

  • 11 मई को बगावती सैनिक दिल्ली पहुंच गए।
  • 12 मई शस्त्रागार प्रमुख लेफ्टिनेंट विलोबी को पराजित किया तथा दिल्ली पर कब्जा कर लिया तथा मुगल सम्राट सम्राट बहादुरशाह जफर को पुनः भारत का शासक घोषित कर दिया।
  • 12 मई चांदनी चौक, दिल्ली, बहादुरशाह जफर ने बगावती विद्रोही सैनिकों को संबोधित किया। “मेरे पास खजाना नहीं की मैं तुम्हें वेतन दे सकूं। मेरे पास फौज भी नहीं की मैं तुम्हारा सहायोग कर सकूं। मेरे पास सल्तनत भी नहीं की मैं तुमलोगों की सहायता कर सकूं। क्योंकि इन विधर्मी अंग्रेजों ने हमसे सब छीन लिया अब तुम लोग इनसे सब छीन लो" 
  • 12 मई : दिल्ली में सैन्य परिषद् (Militory Council) का निर्माण किया गया। उसके प्रमुख बरेली के नवाब बख्त खां को बनाया गया।
  • इसी क्रम में बख्त खां ने बरेली में तथा अहमदुल्ला ने लखनऊ में जेहाद का नारा दिया था।
  • 13 मई को विद्रोह की लहर पंजाब पहुँच गया। जहाँ केवल फिरोजपुर में विरोध हुआ ।
  • 21 सितम्बर 1857 को जीनत महल की सूचना पर मुगल बादशाह बहादुरशाह ।। को हुमायूँ के मकबरे से गिरफ्तार किया गया था।

बादशाह के साथ गिरफ्तार होने वाले लोग

  • बहादुरशाह जफर - II के दोनों पुत्र एवं पोता, तीनो को अंग्रेजों ने गोलीमार दिया था। 
  • बहादुरशाह द्वितीय पर मुदकमा दिल्ली के लाल किले के दीवाने खास में चलाया गया था। 
  • बहादुरशाह द्वितीय के वकील गुलाम अब्बास थे ।
  • हसी मुकदमें में सरकारी गवाह अहसान उल्ला बने थे।
  • 7 अक्टूबर, 1857 को बहादुरशाह द्वितीय को देश निकालने की सजा दी गई थी तथा इनको रंगून भेज दिया गया।
  • 9th लेंसर रेजिमेंट ( थल सेना ) के लेफ्टिनेंट ओमनी के नेतृत्व में बैलगाड़ी से रंगून (म्यांमार) भेजा गया था।
  • दिल्ली विद्रोह में मुगल सेनापति- जनरल बख्त खां तथा खान बहादुर खान थे।
  • लार्ड कैनिंग ने दिल्ली विद्रोह को दबाने के लिए पंजाब से सेना बुलाई थी।
  • 14 सितम्बर 1857 को सर हेनरी बनार्ड तथा ब्रिगेडियर विल्सन की संयुक्त सेना ने दिल्ली में विद्रोहियों से युद्ध किया था।
  • छ: महीने के संघर्ष के पश्चात् 20 सितम्बर 1857 को दिल्ली पर अंग्रेजों ने पुनः कब्जा कर लिया था ।
  • मुगल बादशाह ने साथ उनकी पत्नी बेगम जीनत महल भी म्यांमार गई थी।
  • बहादुशाह जफर की मृत्यु 1862 को लकवे के तीसरा दौरा परने के कारण 7 नवम्बर सुबह 5 बजे हो गया था ।
  • बहादुरशाह जफर का मकबरा यांगून (म्यांमार) में स्थित है।
  • बहादुरशाह जफर के मकबरे को 'शेमी आरा' बहादुरशाह जफर की पोती ने डिजाइन किया था ।
  • इस मकबरे को लाल किला कहा जाता है।
  • कानपुर (5 जून 1857 ) 
    • नाना साहेब 'धोधू पंत'
    • ये पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे ।
    • इनका भी विद्रोह का मुख्य कारण व्यक्तिगत ही था। इनका विद्रोह अपनी पेंशन को लेकर था।
    • नाना साहब ने अपने प्रधानमंत्री अजीमुल्ला को कोर्ट का डायरेक्टर के पास पेंशन बहाली के उद्देश्य से भेजा था।
    • कानपुर में सती चौरा घाट - इस युद्ध में अंग्रेजों का नरसंहार किया गया था। भारत के विद्रोही सैनिकों के द्वारा ।
    • झाँसी - 5 जून 1857 
      नेतृत्वकर्त्ता - झाँसी की लक्ष्मीबाई
      मूल नाम - मणिर्कणिका
      पुकारा नाम- 'मनु'
    • काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारी की बेटी
    • लक्ष्मीबाई की शादी झाँसी के राजा गंगाधर राव निवालकर के साथ हुआ था।
    • लक्ष्मीबाई को स्वयं का पुत्र नहीं था। इनके द्वारा एक दत्तक पुत्र गोद लिया गया था जिसका नाम दामोदर राव था ।
    • अंग्रेजों के द्वारा दत्तक को उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर था। यही कारण था रानी ने अंग्रेजों का विरोध किया था।
    • बगावत का प्रारंभ झाँसी के हुआ था।
    • इसमें सेनापति गुरू बख्त थे। जिन्होंने अंग्रेज सैन्य अधिकारी टर्नबुल मारा गया था।
    • इसी क्रम में काल्पी के युद्ध में अंग्रेज अधिकारी हयूरोज ने रानी को पराजित किया था।
    • रानी लक्ष्मीबाई को पराजित के लिए हयूरोज एवं स्मीथ की संयुक्त सेना ने युद्ध किया था। 
  • इलाहाबाद 6 जून 1857 यहाँ का नेतृत्व लियाकत अली ने किया था। उनको पराजित कर अंग्रेजों ने सुलेम सराय में तोप से उड़ा दिया था।
    • महाराष्ट्र - यहाँ पर विद्रोह का प्रारंभ रंगो बापूजी गुते ने किया था जो 1840 में सतारा के राजा के वकिल थे।
    • अरनागीरी और कृष्णा ने मद्रास में विद्रोह का नेतृत्व किया था।
    • राजस्थान के कोटा में जयदयाल और हरदयाल ने विद्रोह का नेतृत्व किया था।
    • राधाकृष्ण दण्डसेना ने उड़िसा ( गंआम) में विद्रोह का नेतृत्व किया था।
    • जनरल विदहम को विद्रोही सैनिकों ने कानपुर के निकट पराजित किया था।

बिहार में 1857

  • बिहार में 1857 के क्रांति का प्रारंभ 12 जून, 1857 को देवघर जिला के रोहिनी गांव में प्रारंभ हुआ था । 
  • इस विद्रोह के प्रथम प्रयास को अंग्रेजों के द्वारा सफलतापूर्वक कुचल दिया गया। इनमें अंग्रेज अधिकारी मेजर नार्मन तथा सैनिक मारे गए। तीन भारतीय सैनिकों अमानत अली. सलामत अली व शेख हारों को 16 जून 1857 को आम के पेड़ में लटकाकर फांसी दे दिया गया।
  • 3 जुलाई को बिहार को पटना में संघर्ष प्रारंभ हो गया। इस संघर्ष का नेतृत्व गुरहट्टा मुहल्ला के पुस्तक विक्रेता पोर अली ने किया था।
  • इसी क्रम में बिहार का अफिम व्यापार के एजेंट लायल ने विद्रोह के दमन का प्रयास किया किंतु अपने सैनिकों सहित विद्रोहियों द्वारा मार दिया गया था।
  • इस प्रकार पटना के कमिश्नर टेलर ने विद्रोह को दबाने के उद्देश्य से अनेकों प्रयास किए थे।
  • 19 जून को टेलर ने पटना के तीन प्रतिष्ठित मुसलमानों- मुहम्मद हुसैन, अहमदुल्ला एवं वायजुल को बंदी बना लिया था।
  • शहर के विद्रोहियों ने इस घटना के आक्रोश में उपद्रव किया तथा अंग्रेजों ने लगभग 16 अन्य व्यक्तियों को मृत्युदंड दिया था।
  • खाजेकलॉ थाना के दारोगा को विद्रोह के पूर्व सूचना न देने के कारण स्थानांतरित कर दिया गया था। इसी क्रम में पीर अली को फांसी की सजा दी गई थी।
  • तत्कालीन पटना के कमिश्नर टेलर ने अपनी पुस्तक Our Crisis में पटना के विद्रोहियों एवं पीर अली के साहस की तारीफ किया है।
  • 25 जुलाई 1857 को मुजफ्फपुर में भी कुछ अंग्रेज अधिकारियों की कुछ असंतुष्ट विद्रोही सैनिकों ने हत्या कर दिया था।
  • इसी क्रम में सैनिकों का एक दल जगदीशपुर के जमींदार बाबू कुंअर सिंह से मिला तथा बिहार में बड़े स्तर पर क्रांति प्रारंभ हो गई।
  • कमिश्नर टेलर की कुदृष्टि बाबू कुंवर सिंह पर हमेशा से थी। इसका परिणाम हुआ कुंवर सिंह ने 4000 सैनिकों के सहयोग से विद्रोह कर दिया।
  • इसी क्रम में दानापुर के विद्रोही भागकर जगदीशपुर के जमींदार बाबू कुंवर सिंह के पास पहुँचे। इनके द्वारा सर्वप्रथम अपना जिला शाहबाद को अंग्रेजों से मुक्त कराया गया।
  • कुंवर सिंह ने जगदीशपुर में बंदूक तथा गोला-बारूद बनाने का कारखाना स्थापित किया एवं आरा नगर पर अधिकार कर लिया ।
  • अंग्रेज अधिकारियों ने दो सफल प्रयासों के पश्चात् आरा नगर पर कब्जा पुनः प्राप्त कर लिया। इसी क्रम में कुंवर सिंह की हवेली एवं मंदिर ध्वस्त कर दिया गया तथा सभी विद्रोहियों की संपत्ति भी जब्त कर ली गई थी।
  • इस क्रम में कुंवर सिंह गुरिल्ला बुद्ध पद्धति के अंतर्गत कैमूर की पहाड़ियों से विद्रोह जारी रखे थे तथा मिर्जापुर के निकट विजयगढ़ पर पड़ाव डाला था एवं रिंवा, बांदा होते हुए काल्पी पहुंच गए थे।
  • कुंवर सिंह जगदीशपुर से आगे बढ़ते हुए आजमगढ़ के जिला (उ.प्र.) के अतरौलिया पहुँचे जहाँ उन्होंने अंग्रेज अधिकारी मिलमैंन की सेना को पराजित किया था।
  • कुंवर सिंह ने विद्रोह को बिहार से बाहर मिर्जापुर, रीवा, बांदा तथा लखनऊ तक विस्तारित किया था।
  • कुंवर सिंह को पराजित करने हेतु अंग्रेजों ने पुनः मिलमैंन तथा डोम्स की संयुक्त सेना भेजी थी। किंतु कुंवर सिंह ने इसको भी पराजित कर दिया था।
  • इसी क्रम में लार्ड कैनिंग द्वारा भेजी गई सेना जिसके अधिकारी मार्क थे। इस सेना को भी कुंवर सिंह ने पराजित कर किया था।
  • अवध पहुँचकर कुंवर सिंह ने नवाब का मदद लिया तथा नवाब ने 1857 की क्रांति में कुंवर सिंह के साथ मिलकर कानुपर में अंग्रेजों के विरूद्ध बुद्ध भी लड़ा था।
  • कुंवर सिंह से आजमगढ़ में पराजय के पश्चात् लार्ड कैनिंग ने कुंवर सिंह के विरूद्ध कटार सैनिक कार्यवाही का आदेश दिया था।
  • 23 अप्रैल, 1858 को कैप्टन ली ग्रॉंड के नेतृत्व में युद्ध हुआ जिसमें ब्रिटिश सेना पराजित हुई। इस युद्ध में कुंवर सिंह नायल हुए थे तथा 26 अप्रैल 1858 को इनकी मृत्यु हो गया ।
  • कुंवर सिंह के मृत्यु के पश्चात इनके भाई अमर सिंह ने विद्रोह के नेतृत्व को संभाला किंतु कुछ ही दिनों में इनको जगदीशपुर से भागना पड़ा।
  • दो अंग्रेज अधिकारी विलियम टेलर तथा विसेंट आवर ने बिहार के विद्रोह को पूर्णतः दबा दिया।

क्रांति का परिणाम

  • 1857 के क्रांति में भारत में दूरगामी परिणाम हुए थे। जिसमें सबसे प्रमुख था भारत से मुगल साम्राज्य की समाप्ति। 
  • लॉर्ड कैनिंग ने 1 नवम्बर 1858 को इलाहाबाद के मिंटो पार्क में महारानी विक्टोरिया का घोषणा पत्र पढ़ा था।
  • 1858 एक्ट में भारतीय शासन का बागडोर कंपनी के पास से हटाकर क्राउन (महारानी) के पास कर दिया गया।
  • भारत में गर्वनर जनरल को वायसराय बना दिया गया। जो अब भारत में महारानी का प्रतिनिधि था एवं इसकी जवाबदेही ब्रिटिश संसद के प्रति था ।
  • भारत में विलय नीति, राज्य हड़प नीति तथा देशी राज्यों में हस्तक्षेप की नीति को त्याग दिया गया।
  • भारतीय रजवाड़ों को यथास्थिति बनाए रखने को आदेश दिया गया था !
  • घोषणा पत्र में यह स्पष्ट कर गया था कि सरकार अब भारत के धार्मिक एवं सामाजिक मामलों में अहस्तक्षेप की नीति का पालन करेगी।
  • भारतीय सैनिकों एवं यूरोपीय सैनिकों के संख्या का अनुपात विद्रोह से पूर्व 5:1 था । इब इसको घटाकर 2:1 कर दिया गया।
  • भारतीय सैनिकों की संख्या जो विद्रोह से पूर्व 2 लाख 38 हजार थी इसको घटाकर 1 लाख 40 हजार कर दिया गया।
  • भारत की देखभाल के लिए नए भारतीय राज्य सचिव (Secretary State of India) की नियुक्ति की गई तथा इसकी सहायता हेतु 15 सदस्यों की मंत्री परिषद् बनाई गई थी। जिसमें 8 की नियुक्ति सरकार द्वारा तथा 7 को कोर्ट ऑफ डायरेक्टर के द्वारा की जाती थी।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • मंगल पाण्डे बलिया (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले थे।
  • 1857 क्रांति के समय मुगल सेना के प्रमुख बख्त खां तथा बहादुर खान थे।
  • दिल्ली में क्रांति को दबाने के लिए कश्मीर, पटियाला, नाभा तथा जींद के राजाओं की मदद ली गई थी।
  • बंबई के गर्वनर एलफिंस्टन ने दिल्ली पर क्रांतिकारियों के हमले को नादिरशाह के आक्रमण से भी भयंकर बताया था।
  • "सती चौरा" कांड कानपुर से संबंधित है, इस घटना में अंग्रेज नागरिकों की हत्या भारतीय क्रांतिकारियों द्वारा किया गया था।
  • क्रांतिकालीन भारत के अंग्रेज सचिव अर्ल स्टेनले ने ब्रिटिश पार्लियामेंट को 1857 की घटनाओं पर रिपोर्ट देते हुए उसे सिपाही विद्रोह का नाम दिया था।
  • तात्कालीन प्रसिद्ध उर्दू शायर मिर्जा गालिब का जन्म 1796 में आगरा में हुआ था तथा इनकी मृत्यु 1869 में दिल्ली में हुआ था।
  • इसी क्रम में 1857 के विद्रोह को व्यापारी शिक्षित वर्ग (मध्य, उच्च शिक्षा प्राप्त) तथा शासकों (जमींदारों) का साथ नहीं मिला था।
  • इस क्रांति (1857) में ग्वालियर का सिधियां राज घराना एवं हैदराबाद के निजाम ने अंग्रेजों की सर्वाधिक सहायता की थी।
  • 1857 की क्रांति में बिहार का मुंगेर क्षेत्र तथा राजस्थान का चित्तौड़ क्रांति के प्रभाव क्षेत्र से अछूते रहे थे ।
  • 1857 की क्रांति के समय बैरकपुर (मुर्शीदाबाद एवं बंगाल) ब्रिटिश कमांडिंग ऑफिसर सर जान बेनेट हैरेस थे। 
  • 1857 की क्रांति काल में तत्कालीन अंग्रेज गर्वनर ने इलाहाबाद को आपातकालीन मुख्यालय बनाया था।
  • 6 अप्रैल 1857 को मंगल पाण्डेय के कोर्ट मार्शल की अध्यक्षता 34वीं रेजिमेंट के सूबेदार मेजर जवाहर लाल तिवारी' ने की थी।
  • 1857 के क्रांति का दंडित अंतिम जीवित भुसाई सिंह (मिर्जापुर उत्तर प्रदेश) थे जिनकों 1907 में मुक्त कर दिया गया था।
  • 1857 की क्रांति के उपरांत भारतीय सेना में परिवर्तन के उद्देश्य से 'पील कमीशन' (आयोग) का गठन किया गया था।
  • 1858 के अधिनियम को भारतीय जनता का 'मैग्नाकार्टा' (महान अधिकार पत्र ) कहा जाता है।
  • वर्ष 1854 में अंग्रेजों द्वारा गठित इनाम कमीशन का उद्देश्यों जागीरों की जांच करना था।
  • अंग्रेज अधिकारी 'मेजर एडवर्ड ' ने कहा था 'भारत में हमारे अधिकार का अंतिम उद्देश्य देश को इसाई बनाना है । "
  • लार्ड कैनिंग के द्वारा मुगल शासक को उपाधि से बचित कर दिया गया था।
  • मुगल शासक अकबर || से बराबरी के स्तर पर मिलनेवाला अंग्रेज अधिकारी लार्ड एम्हर्स्ट (1823) था।
  • वर्ष 1803 में मुगल सम्राट ब्रिटिश संरक्षण में आए थे।
  • अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर को बेगम जीनत महल के साथ रैंगून निर्वासित कर दिया गया था।
  • 1857 की क्रांति में कानपुर की प्रसिद्ध नर्तकी, अजीजन बाई ने अंग्रेजों का सामना किया था।
  • 1857 की क्रांति काल में बहादुरशाह जफर का सर्वाधिक परामर्शदाता हकीम अहसान उल्ला खान थे।
  • विद्रोह काल में मौलवी अहमदुल्ला पर अंग्रेजों ने 50,000 रुपये का इनाम घोषित किया था।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here