Posts
तद्धित प्रत्यय
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा अव्यय पदों में तद्धित प्रत्यय लगते हैं। अण्, इन्, ढक...
कृदन्त
तुमुन्, शतृ, शानच् आदि ‘कृत’ प्रत्यय कहलाते हैं। धातु के साथ इन कृत् प्रत्ययों क...
कारक और विभक्ति
क्रियान्वयिकारकम् - क्रिया के साथ जिसका प्रत्यक्ष सम्बन्ध हो, उसे कारक कहते हैं।...
क्रिया-प्रकरण
धातुओं में तिङ् विभक्तियाँ लगाकर जो क्रिया - पद बनते हैं, उन्हें तिङन्त पद कहते ...
क्रियाविशेषण
जिस विशेषण से क्रिया के गुण या अवस्था का बोध हो, उसे क्रियाविशेषण कहते हैं। क्रि...
विशेषण
विशेष्य (संज्ञा) की संख्या, अवस्था, गुण इत्यादि विशेषता बतानेवाले शब्द विशेषण कह...
अव्यय
लिंग, विभक्ति या वचन के कारण जिन शब्दों में किसी तरह का परिवर्तन न हो, वे अव्यय ...
सर्वनाम
सर्व, विश्व, उभ, उभय, तद्, यद्, इंदम्, अदस्, किम्, युष्मद्, अस्मद् इत्यादि सर्वा...
सुबन्त पद
जैसा कि कहा जा चुका है, प्रत्येक सुबन्त पद लिंग, वचन, पुरुष और कारक से युक्त रहा...
अनुवाद कैसे करें ?
जिस गद्यांश या वाक्य का संस्कृत में अनुवाद किया जाए उसे पहले सावधानी से पढ़कर का...
पुरुष
वक्ता उत्तम पुरुष, श्रोता (सुननेवाला) मध्यम पुरुष तथा जिसके बारे में कहा जाए उसे...
वचन
जिससे किसी पदार्थ की संख्या का बोध हो, उसे वचन कहते हैं। संस्कृत में तीन वचन होत...
लिंग
जिससे पुम् (पुरुष) वर्ग, स्त्रीवर्ग और नपुंसकवर्ग का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं। ...
पद-प्रकरण
जिन शब्दों या धातुओं में विभक्तियाँ नहीं रहतीं, वे प्रातिपदिक शब्द या धातु कहलात...
सन्धि - प्रकरण
दो वर्गों में अतिशय सामीप्य के कारण जो विकार उत्पन्न होता है, उसे सन्धि कहते हैं।